Panchang: आज रविवार है और तारीख है 06 जुलाई 2025। आज का दिन हिन्दू धर्म में बेहद खास माना जा रहा है क्योंकि आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है जिसे हरिशयनी या देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करके पुण्य की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि आज रात 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। इसी के साथ साध्य योग रात 9 बजकर 27 मिनट तक और विशाखा नक्षत्र रात 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
आज के शुभ मुहूर्त और अभिजीत का समय
आज रविवार को देवशयनी एकादशी के दिन जो लोग किसी शुभ कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं उनके लिए अभिजीत मुहूर्त बहुत लाभकारी रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 58 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस समय किसी भी नए काम की शुरुआत की जा सकती है। आज का दिन धार्मिक कार्यों के लिए बेहद शुभ माना गया है। पूजा पाठ के लिए खासतौर पर प्रातःकाल और संध्याकाल का समय उत्तम रहेगा। जो लोग व्रत रख रहे हैं वे पूरे दिन भगवान विष्णु की आराधना करें और शाम को कथा और आरती के साथ व्रत का समापन करें।
राहुकाल का समय और इससे बचाव का उपाय
आज के दिन राहुकाल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इसलिए जरूरी है कि आप इन समयों का ध्यान रखें। अलग-अलग शहरों के लिए राहुकाल का समय कुछ इस प्रकार रहेगा — दिल्ली में शाम 5:38 से 7:23 तक, मुंबई में 5:41 से 7:20 तक, चंडीगढ़ में 5:44 से 7:29 तक, लखनऊ में 5:21 से 7:04 तक, भोपाल में 5:29 से 7:10 तक, कोलकाता में 4:44 से 7:29 तक, अहमदाबाद में 5:48 से 7:29 तक और चेन्नई में 5:03 से 6:39 तक। इन समयों में कोई भी नया कार्य शुरू करने से बचना चाहिए। यदि मजबूरीवश कोई काम करना ही पड़े तो हनुमान चालीसा का पाठ करके या नारियल चढ़ाकर शुरुआत करें।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
आज सूरज सुबह 5 बजकर 29 मिनट पर उदय हुआ और शाम को 7 बजकर 23 मिनट पर अस्त होगा। सूर्यदेव की पूजा करने के लिए सूर्योदय का समय सबसे उत्तम माना गया है। जो लोग देवशयनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं वे प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर दिनभर उपवास रखें। शाम को सूर्यास्त से पहले तुलसी में जल चढ़ाएं और शाम के समय दीप जलाकर श्री हरि विष्णु की आरती करें। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
