भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ी कार्रवाई देखने को मिली है। SEBI यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने अमेरिका की दिग्गज ट्रेडिंग फर्म Jane Street के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। SEBI ने इस विदेशी फर्म पर धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाते हुए इसे भारतीय शेयर बाजार में किसी भी तरह का लेनदेन करने से प्रतिबंधित कर दिया है। यही नहीं SEBI ने Jane Street को लगभग 4843 करोड़ रुपये की अवैध कमाई को भी वापस लौटाने का आदेश दिया है। इस कार्रवाई से बाजार में हड़कंप मच गया है और यह विदेशी कंपनियों के लिए एक कड़ा संदेश भी है।
4843 करोड़ की कमाई जब्त करने का आदेश
SEBI की वेबसाइट पर जारी आदेश में बताया गया है कि Jane Street ने भारत में गैरकानूनी तरीके से 48.4 बिलियन यानी करीब 4843 करोड़ रुपये की कमाई की है। SEBI ने इसे पूरी तरह अवैध बताते हुए तुरंत इस रकम को जब्त करने का आदेश दिया है। इसके अलावा बैंकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि Jane Street बिना SEBI की मंजूरी के अपने किसी भी खाते से पैसा न निकाल पाए। SEBI ने आदेश में साफ कहा है कि इस कंपनी की यह कमाई नियमों के खिलाफ की गई है और इस पर अब पूरी तरह से रोक लगेगी।
कब हुआ ये घोटाला, SEBI ने साफ नहीं बताया
हालांकि SEBI ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि Jane Street ने ये कारोबार कब और किस समयावधि में किया था। लेकिन जो आदेश जारी हुआ है उससे यह जरूर साफ है कि यह मामला लंबा चला और गहराई से जांच के बाद इतनी बड़ी रकम पर कार्रवाई की गई है। SEBI की यह कार्रवाई दिखाती है कि चाहे विदेशी कंपनी हो या देशी, अगर कोई भारतीय बाजार में नियमों को ताक पर रखकर मुनाफा कमाता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। यह आदेश उन सभी विदेशी कंपनियों के लिए चेतावनी है जो आक्रामक तरीके से भारत में काम कर रही हैं।
दुनिया की ताकतवर ट्रेडिंग फर्म Jane Street अब भारत से बाहर
Jane Street दुनिया की सबसे बड़ी और प्रभावशाली ट्रेडिंग कंपनियों में मानी जाती है। यह कंपनी शेयर, बॉन्ड, ईटीएफ और डेरिवेटिव्स जैसे क्षेत्रों में कारोबार करती है। Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक इस कंपनी ने सिर्फ पिछले साल ही भारत से 2.3 ट्रिलियन डॉलर तक का व्यापार किया था। लेकिन SEBI की इस सख्त कार्रवाई के बाद अब Jane Street का भारत में कारोबार पूरी तरह से रुक गया है। यह कदम उन विदेशी फर्म्स के लिए एक मजबूत संकेत है जो भारत में बिना नियमों का पालन किए मुनाफा कमाने में लगी हैं। अब ये साफ हो गया है कि भारत सरकार और उसके संस्थान निवेशकों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे।
