Kidney Damage: हमारे शरीर के सारे अंग एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इसलिए कोई भी बीमारी सिर्फ एक अंग पर असर नहीं डालती बल्कि बाकी अंगों को भी नुकसान पहुंचाती है। खासकर दो बीमारियां जो सबसे ज्यादा आम हो गई हैं, यानी डायबिटीज (शुगर) और हाई ब्लड प्रेशर (हाई बीपी)। ये दोनों बीमारियां देशभर में लाखों लोगों की किडनी को चुपचाप खराब कर रही हैं। सबसे गंभीर बात ये है कि यह किडनी की बीमारी धीरे-धीरे और बिना किसी लक्षण के बढ़ती जाती है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि करीब 70-80% क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) के मामलों के पीछे हाई बीपी और डायबिटीज जिम्मेदार होते हैं। जब यह दोनों बीमारियां किडनी की परेशानी से मिलती हैं तो एक घातक त्रिकोण बन जाता है जो बिना आहट के धीरे-धीरे मरीज को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की तरफ धकेल देता है।
किडनी को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं शुगर और बीपी
किडनी हमारे शरीर का नेचुरल फिल्टर है जो खून से बेकार पदार्थों को छानकर शरीर से बाहर निकालती है। यह शरीर में फ्लूइड बैलेंस, खून का दबाव कंट्रोल करने और जरूरी मिनरल्स को संतुलित रखने का काम भी करती है। लेकिन जब किसी को डायबिटीज होती है तो खून में शुगर का स्तर लगातार बढ़ा रहता है। ये बढ़ा हुआ शुगर धीरे-धीरे किडनी के छोटे रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे डायबिटिक नेफ्रोपैथी नाम की स्थिति पैदा होती है। वहीं हाई बीपी किडनी की रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ाता है, जिससे उनकी क्षमता घट जाती है। जब दोनों बीमारियां साथ होती हैं तो किडनी पर दोतरफा हमला होता है और उसका असर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर दिखने लगता है।
क्या हैं लक्षण और कैसे रखें खुद को सुरक्षित
किडनी की बीमारी शुरुआत में कोई लक्षण नहीं देती, लेकिन जब यह बढ़ने लगती है तो कुछ संकेतों पर ध्यान देना जरूरी होता है। जैसे कि टखनों, पैरों या चेहरे पर सूजन आना। बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में। पेशाब में झाग आना या गाढ़ा पेशाब होना। बिना कारण थकान महसूस होना, भूख न लगना और कमजोरी रहना। अगर आपका बीपी बार-बार बढ़ता है और दवा से भी कंट्रोल नहीं हो रहा तो ये भी संकेत हो सकता है कि किडनी पर असर हो रहा है। सबसे जरूरी बात ये है कि अगर आपको डायबिटीज या हाई बीपी है तो आपको हर साल अपनी किडनी की जांच जरूर करानी चाहिए, चाहे कोई लक्षण दिखाई दें या नहीं।
किडनी को बचाने के लिए अपनाएं ये आदतें
अगर आप चाहते हैं कि आपकी किडनी हमेशा स्वस्थ रहे तो सबसे पहले अपने ब्लड शुगर और बीपी को कंट्रोल में रखें। डायबिटीज वालों के लिए HbA1c 7% से नीचे होना चाहिए और बीपी 130/80 mmHg से कम रखना चाहिए। इसके लिए डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं नियमित रूप से लें। हर साल किडनी की जांच करवाएं जिसमें खून और पेशाब के टेस्ट शामिल हों। खाने में नमक, चीनी, तला-भुना और रेड मीट कम करें। फल, सब्जियां और होल ग्रेन वाली चीजें ज्यादा खाएं। रोज कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें, चाहे वो टहलना हो, योगा हो या कोई हल्का-फुल्का एक्सरसाइज। दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीना भी जरूरी है। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा ना लें और पेनकिलर का ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें।
