Kolkata: दिनदहाड़े बम विस्फोट से गांव में चीख-पुकार, तमन्ना की मौत ने सबको रुला दिया

Kolkata: दिनदहाड़े बम विस्फोट से गांव में चीख-पुकार, तमन्ना की मौत ने सबको रुला दिया

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Kolkata: पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कालिगंज विधानसभा क्षेत्र के पलाशी के पास मुलुंडी गांव में सोमवार को एक जोरदार बम धमाका हुआ। इस विस्फोट में 13 साल की बच्ची तम्मना खातून की मौके पर ही मौत हो गई। वह चौथी कक्षा की छात्रा थी और धमाके के वक्त घटनास्थल के पास मौजूद थी। यह हादसा तब हुआ जब कालिगंज उपचुनाव के नतीजों की घोषणा चल रही थी। धमाके की गूंज से पूरे गांव में हड़कंप मच गया और चारों तरफ अफरातफरी मच गई।

CPI(M) का आरोप – पीड़िता वामपंथी समर्थक परिवार की थी

घटना के बाद CPI(M) के नेताओं ने दावा किया कि मृत बच्ची तम्मना एक वामपंथी कार्यकर्ता के परिवार से थी। उनका आरोप है कि यह घटना राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकती है और सत्तारूढ़ पार्टी TMC की विजय जुलूस के दौरान हुई है। हालांकि प्रशासन की ओर से अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि पीड़िता का परिवार किसी राजनीतिक दल से जुड़ा है या नहीं। लेकिन इस बयान ने बंगाल की राजनीति में और उबाल ला दिया है।

ममता बनर्जी ने जताया दुख, पुलिस को दिए सख्त आदेश

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस दर्दनाक हादसे पर सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “मैं इस विस्फोट में एक बच्ची की मौत से स्तब्ध और बेहद दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ित परिवार के साथ हैं। पुलिस दोषियों के खिलाफ कड़ी और कानूनी कार्रवाई करेगी।” मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तत्काल जांच शुरू करने और दोषियों को सजा दिलाने के निर्देश दिए हैं। शुरुआती जांच में पोस्ट-पोल हिंसा की संभावना पर भी पुलिस नजर बनाए हुए है।

BJP का हमला – अमित मालवीय ने TMC को ठहराया जिम्मेदार

BJP के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने टीएमसी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि तृणमूल की जीत एक बार फिर खून के छींटों से सजी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “TMC के जश्न ने फिर एक बच्ची की जान ले ली। मुस्लिम बहुल कालिगंज सीट पर TMC की विजय रैली के दौरान बम फेंके गए, और उसी अफरातफरी में चौथी कक्षा की छात्रा तम्मना की मौत हो गई। TMC कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि गिद्धों का झुंड है।” मालवीय ने यह भी आरोप लगाया कि ममता सरकार ने बंगाल की राजनीति में हिंसा को सामान्य बना दिया है और चुनावों को युद्ध का मैदान बना दिया है।

राजनीतिक हिंसा पर फिर छिड़ी बहस

टीएमसी की उम्मीदवार अलिफा अहमद को कालिगंज उपचुनाव में 91,480 वोट मिले और वह सबसे आगे रहीं। बीजेपी के अशीष घोष और कांग्रेस के काबिलुद्दीन शेख पीछे रह गए। लेकिन इस जीत की खुशी जल्द ही एक मासूम की मौत के कारण मातम में बदल गई। इस हादसे ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दल और सामाजिक संगठन सरकार से जवाब मांग रहे हैं और जांच की मांग कर रहे हैं। सवाल यही है कि क्या बंगाल में चुनाव अब भी लोकतंत्र का पर्व हैं या फिर मौत का मंजर बन चुके हैं।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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