Axiom Mission का इंतजार कर रहे लोगों के लिए एक बार फिर से निराशा की खबर सामने आई है। 22 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होने वाला यह मिशन फिर से टाल दिया गया है। इस मिशन में भारतीय मूल के शुभांशु शुक्ला भी बतौर अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। टेक्निकल खराबियों के कारण अब तक इस मिशन की लॉन्चिंग कई बार टल चुकी है। NASA, Axiom Space और SpaceX की टीमें लगातार हालात की समीक्षा कर रही हैं और जल्द ही नई तारीख की घोषणा की जाएगी।
तकनीकी खामी बनी रोड़ा, फाल्कन-9 रॉकेट में भी आई थी गड़बड़ी
इस मिशन को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत तकनीकी खामियों की रही है। इससे पहले भी कई बार मिशन को टालना पड़ा है। खासतौर पर फाल्कन-9 रॉकेट में तकनीकी खराबी पाए जाने के कारण मिशन की लॉन्चिंग को स्थगित करना पड़ा था। यही नहीं 10 जून को लॉन्चिंग से ठीक पहले खराब मौसम के कारण भी मिशन को एक दिन के लिए टालना पड़ा था। इन सभी वजहों से Axiom मिशन अब तक अपनी निर्धारित उड़ान नहीं भर सका है और वैज्ञानिक टीमें लगातार इसकी तैयारियों में जुटी हुई हैं।
NASA, Axiom Space, and SpaceX continue reviewing launch opportunities for Axiom Mission 4. NASA is standing down from a launch on Sunday, June 22, and will target a new launch date in the coming days. pic.twitter.com/rJpuKDhEhH
— ANI (@ANI) June 19, 2025
मई से अब तक चार बार टल चुकी है लॉन्चिंग
Axiom Mission की लॉन्चिंग की शुरुआत में तारीख 29 मई रखी गई थी लेकिन तब इसे पहली बार टाल दिया गया। इसके बाद नई तारीख 8 जून घोषित हुई फिर इसे 10 जून तक बढ़ा दिया गया। 10 जून को मौसम खराब होने की वजह से मिशन को 11 जून तक टाल दिया गया लेकिन उस दिन रॉकेट में आई गड़बड़ी के चलते चौथी बार इसे टालना पड़ा। अब 22 जून की तारीख तय की गई थी लेकिन एक बार फिर तकनीकी कारणों से लॉन्चिंग नहीं हो सकी। फिलहाल नई तारीख की घोषणा नहीं की गई है।
भारतीय शुभांशु शुक्ला की मौजूदगी ने बढ़ाई उम्मीदें
इस मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ला की मौजूदगी ने देशवासियों में उत्साह भर दिया है। शुभांशु उन चार अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं जो ISS की ओर रवाना होने वाले हैं। हालांकि मिशन के बार-बार टलने से सभी की उम्मीदें फिलहाल अधर में हैं। फिर भी NASA और Axiom Space की ओर से लगातार अपडेट दिए जा रहे हैं जिससे लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही शुभ समय आएगा और मिशन को हरी झंडी मिल जाएगी। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि भारत के लिए भी गौरव का विषय बना हुआ है।
