Monsoon in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में तय समय पर मानसून के आने पर संशय के बादल
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Monsoon in Madhya Pradesh: भोपाल।। अमूमन गर्मी के सीजन में अप्रैल-मई माह में जोरदार गर्मी पड़ती है। कई शहरों में लगातार लू भी चलती है। जून माह की शुरुआत से मानसून पूर्व की गतिविधियों में तेजी आने लगती है। साथ ही दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के साथ पूरे वेग से मानसून आगे बढ़ने लगता है। इस वर्ष मार्च, अप्रैल के साथ ही मई माह में गरज-चमक के साथ वर्षा हो रही है। इस वजह से मौसम के मिजाज के अनुरूप गर्मी नहीं पड़ रही है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक मौजूदा स्थिति को देखते हुए दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रदेश में आगमन तय समय से पिछड़ सकता है। साथ ही उसकी आमद की तीव्रता भी प्रभावित हो सकती है।
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मध्य प्रदेश में कुल 67.9 मिलीमीटर वर्षा
गर्मी का सीजन चल रहा है। उधर एक मार्च से लेकर बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे तक मध्य प्रदेश में कुल 67.9 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है। जो सामान्य वर्षा 13.9 मिमी. की तुलना में 388 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष अभी तक सिर्फ मई माह में 11,12 मई को रतलाम, धार में एवं 13 मई को खरगोन में लू चली है।
मानसून अपनी तय तारीख 16 जून से पिछड़ने की संभावना
उधर भारत मौसम विज्ञान विभाग ने हाल ही में मानसून के केरल में तय तारीख एक जून से चार दिन पिछड़ने की संभावना जारी की है। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला का कहना है कि इस बार मध्य प्रदेश में भी मानसून अपनी तय तारीख 16 जून से पिछड़ने की संभावना है। इसकी एक वजह गर्मी के सीजन में अपेक्षाकृत तापमान का नहीं बढ़ना भी है। इसके अलावा तपिश नहीं रहने के कारण मानसून के आगमन की तीव्रता भी प्रभावित होगी।
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गर्मी के सीजन में अब तक हुई वर्षा
कहां कितनी वर्षा सामान्य वर्षा अधिक प्रतिशत में
मप्र 67.9 13.9 388
पूर्वी मप्र 84.1 19.6 329
पश्चिमी मप्र 55.4 9.5 483
नोट:- वर्षा मिमी. में।
मानसून के आगमन के लक्षण
हवा का रुख लगातार दक्षिण-पश्चिमी रहता है।
चार किमी. तक की ऊंचाई पर आद्रता मौजूद रहती है।
तीन दिन तक लगातार वर्षा होती है।
आउट गोइंग लांग रेंज रेडिएशन (ओएलआर)
प्रति वर्गमीटर 200 वाट से कम दर्ज होने लगता है।
किसान क्या सावधानी बरतें
कृषि विज्ञानी एवं पूर्व कृषि संचालक डा. जीएस कौशल ने बताया कि किसान अक्सर मानसून आने की गफलत में समय से पहले बोवनी कर लेते हैं। इससे अक्सर उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों को चाहिए कि जब तक जमीन में छह से आठ इंच तक नमी नहीं पहुंच जाए, तब तक बोवनी करने से बचें। पिछले वर्षों में मध्य प्रदेश और
भोपाल में कब-कब आया मानसून
वर्ष मप्र भोपाल
2011 17 जून 21 जून
2012 19 जून तीन जुलाई
2013 10 जून 10 जून
2014 19 जून सात जुलाई
2015 14 जून 22 जून
2016 19 जून 21 जून
2017 22 जून 26 जून
2018 24 जून 27 जून
2019 24 जून 28 जून
2020 15 जून 23 जून
2021 10 जून 11 जून
2022 16 जून 20 जून
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