अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी स्काइडवेलर ने ऐसा निगरानी विमान तैयार किया है, जो बिना जमीन पर उतरे लगातार 90 दिनों तक उड़ान भर सकता है। यह कार्बन-फाइबर इलेक्ट्रिक ड्रोन आकार में बोइंग 747 विमान जितना बड़ा है। कंपनी का दावा है कि इस ड्रोन का पहला माइलस्टोन लगातार तीन महीने तक उड़ान भरने का रखा गया है, लेकिन इसमें बिना जमीन पर उतरे अनिश्चितकाल तक उड़ान भरने की क्षमता मौजूद है। यह ड्रोन सूर्य की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करता है, जिससे इसे ईंधन भरने या चार्जिंग के लिए जमीन पर उतरने की आवश्यकता नहीं होती। इस तकनीक से निगरानी अभियानों को नई दिशा मिलेगी और सीमाओं की निगरानी, समुद्री इलाकों में ट्रैकिंग और आपदा प्रबंधन में भी इसकी मदद ली जा सकेगी।
सौर ऊर्जा से उड़ान भरता है यह ड्रोन
इससे पहले मई में ब्रिटिश जेट जेफायर ने 67 दिन लगातार उड़ान भरकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था, जिसमें 1,608 घंटे की लगातार उड़ान शामिल थी। वहीं, स्काइडवेलर के इस निगरानी ड्रोन में 17,000 सोलर सेल्स लगाए गए हैं। ये सोलर पैनल विमान के 270 वर्ग मीटर (करीब 2,900 वर्ग फीट) के पंखों पर लगे हैं, जो सूर्य की रोशनी को सौर ऊर्जा में बदलते हैं। बोइंग 747 के पंखों की लंबाई 236 फीट होती है और स्काइडवेलर के इस ड्रोन के पंख भी इतने ही लंबे हैं, लेकिन इसके बावजूद इसका वजन बोइंग विमान की तुलना में 160 गुना कम है। कंपनी का दावा है कि इस ड्रोन में लगे सोलर सेल्स 100 किलोवाट तक बिजली पैदा कर सकते हैं। बादल छाए रहने या खराब मौसम की स्थिति में भी यह विमान कम से कम 100 किलोवाट बिजली बनाने में सक्षम रहेगा, जिससे इसकी उड़ान निरंतर बनी रह सकेगी।
रात में उड़ान में मदद करती है बैटरी
इस अत्याधुनिक ड्रोन में 635 किलोग्राम की बैटरी लगाई गई है, जो रात में विमान को उड़ान भरने में मदद करती है। दिन में यह विमान 44,600 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है, जबकि रात में यह 4,900 फीट की ऊंचाई पर उड़ता है ताकि ऊर्जा की बचत की जा सके। इस विमान को नियंत्रित करने के लिए ऑटोमैटिक गस्ट लोड एलिवेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है, जो विमान की एयरोडायनैमिक्स को नियंत्रित करता है और हवा में टर्बुलेंस यानी झटकों से बचाव करता है। इस तकनीक की मदद से उड़ान की स्थिरता बनी रहती है और लंबे समय तक विमान को बिना रुकावट उड़ाया जा सकता है। इसके माध्यम से समुद्र, रेगिस्तान और सीमावर्ती क्षेत्रों में बिना रुके निगरानी की जा सकती है।
उन्नत सॉफ्टवेयर से होगा संचालन
स्काइडवेलर के इस ड्रोन को उन्नत वाहन प्रबंधन प्रणाली (VMS) सॉफ्टवेयर से संचालित किया जाएगा, जो इसे 90 दिनों तक आसमान में रहने में मदद करेगा। यदि किसी कारण से ऑनबोर्ड सिस्टम फेल हो जाता है, तो बैकअप सिस्टम इस विमान को हवा में उड़ाए रखेगा। इस सॉफ्टवेयर में जटिल कंप्यूटर एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है, जो किसी भी समस्या का पता लगाकर उसे स्वतः सुधार सकता है। इसे एक तरह से ऑनबोर्ड आईटी विशेषज्ञ भी कहा जा सकता है। यह निगरानी ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मदद से हवा में किसी भी गड़बड़ी का पता लगाने, उसका विश्लेषण करने और उसका तुरंत समाधान निकालने में सक्षम है। इसके उपयोग से भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य, समुद्री डकैती पर निगरानी और सैन्य निगरानी अभियानों में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है।
