हरिद्वार कांवड़ यात्रा में रोहतक के युवक ने खुद पर किया हमला, गले पर चाकू मारकर की आत्महत्या की कोशिश

हरिद्वार कांवड़ यात्रा में रोहतक के युवक ने खुद पर किया हमला, गले पर चाकू मारकर की आत्महत्या की कोशिश

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हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में कांवड़ यात्रा के दौरान एक 23 वर्षीय शिवभक्त द्वारा आत्महत्या का प्रयास करने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है। रोहतक निवासी प्रवीण कुमार ने जर्स कंट्री बीच चौराहे पर बने रेड लाइट के पास स्वयं के गले पर चाकू से हमला कर लिया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया। शिवभक्तों और स्थानीय लोगों ने जब युवक को खून से लथपथ देखा तो तुरंत उसकी मदद की और घायल अवस्था में पुलिस को इसकी सूचना दी। कांवड़ यात्रा में शामिल अन्य भक्तों ने भी प्रवीण को संभाला और उसे सड़क किनारे सुरक्षित स्थान पर लिटाया, ताकि उसकी हालत स्थिर रह सके।

पुलिस टीम मौके पर पहुंची, घायल शिवभक्त को अस्पताल पहुंचाया

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और मामले की गंभीरता को देखते हुए 108 एंबुलेंस सेवा की मदद से घायल कांवड़िया प्रवीण कुमार को जिला अस्पताल भिजवाया गया। जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने तत्परता दिखाते हुए उपचार शुरू किया और उसके गले में कई टांके लगाए। डॉक्टरों के अनुसार, यदि समय पर इलाज नहीं मिलता तो स्थिति और गंभीर हो सकती थी। घायल शिवभक्त की हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है, लेकिन मानसिक स्थिति पर भी डॉक्टर नजर बनाए हुए हैं। वहीं, कांवड़ यात्रा में शामिल अन्य श्रद्धालु इस घटना से आहत दिखाई दिए और उन्होंने प्रवीण के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।

आत्महत्या के प्रयास के पीछे का कारण जानने में जुटी पुलिस

फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की जांच में जुट गई है और आत्महत्या के प्रयास के पीछे के कारण का पता लगाने का प्रयास कर रही है। पुलिस ने बताया कि घटना के वक्त प्रवीण कुमार अकेला था और उसने किसी से बात नहीं की थी। अभी तक आत्महत्या के प्रयास का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है और यह रहस्य बना हुआ है। पुलिस उसके परिवार से संपर्क कर रही है और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि प्रवीण किन परिस्थितियों से गुजर रहा था, जिससे उसने इतना बड़ा कदम उठाया। पुलिस ने आसपास के शिवभक्तों और प्रत्यक्षदर्शियों से भी बयान दर्ज किए हैं ताकि घटना की सच्चाई सामने आ सके।

कांवड़ यात्रा: शिवभक्तों की आस्था, तपस्या और समर्पण का प्रतीक

बताते चलें कि कांवड़ यात्रा शिवभक्तों की आस्था, तपस्या और भगवान शिव के प्रति समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। सावन माह में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है, जिसमें शिवभक्त गंगा नदी से पवित्र जल भरकर कांवर (बांस की लकड़ी पर लटके दो कलश) में रखते हैं और पैदल चलते हुए अपने क्षेत्र के शिव मंदिर में जल अर्पित करते हैं। इस यात्रा के दौरान कांवड़िये नंगे पांव चलते हैं, भगवा वस्त्र पहनते हैं और भोलेनाथ के भजनों का गुणगान करते हुए यात्रा पूरी करते हैं। यह यात्रा उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और बिहार में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। कांवड़ यात्रा भक्ति और धैर्य का अद्भुत उदाहरण है, जिसमें भक्त कई दिनों तक कठिनाइयों का सामना कर यात्रा पूरी करते हैं।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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