Rotation of the earth: धरती की रफ्तार ने चौंकाया वैज्ञानिकों को घूमती धरती,और गायब होते सेकंड रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला दावा

Rotation of the earthधरती की घूर्णन गति यानी घूमने की रफ्तार सामान्य नहीं है। वैज्ञानिकों की मानें तो पिछले कुछ समय में धरती अपनी सामान्य गति से तेज घूम रही है। इसका सीधा असर यह पड़ रहा है कि दिन थोड़े छोटे हो रहे हैं। आमतौर पर एक दिन 24 घंटे यानी 86,400 सेकंड का होता है लेकिन कुछ दिन ऐसे भी हैं जब यह समय कुछ मिलीसेकेंड कम हो जाता है।

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Rotation of the earth: धरती की घूर्णन गति यानी घूमने की रफ्तार सामान्य नहीं है। वैज्ञानिकों की मानें तो पिछले कुछ समय में धरती अपनी सामान्य गति से तेज घूम रही है। इसका सीधा असर यह पड़ रहा है कि दिन थोड़े छोटे हो रहे हैं। आमतौर पर एक दिन 24 घंटे यानी 86,400 सेकंड का होता है लेकिन कुछ दिन ऐसे भी हैं जब यह समय कुछ मिलीसेकेंड कम हो जाता है।

चांद की स्थिति का हो रहा असर

रिपोर्ट के अनुसार जुलाई और अगस्त की कुछ तारीखों जैसे 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को चंद्रमा की स्थिति पृथ्वी की रोटेशन को प्रभावित करेगी। इन दिनों में हर दिन लगभग 1.3 से 1.51 मिलीसेकेंड तक छोटा हो सकता है। इसका कारण है चांद की पृथ्वी के सापेक्ष बदलती स्थिति जो गुरुत्वाकर्षण बल को प्रभावित करती है।

कभी 19 घंटे का हुआ करता था एक दिन

Space: धरती की घूर्णन गति यानी घूमने की रफ्तार सामान्य नहीं है। वैज्ञानिकों की मानें तो पिछले कुछ समय में धरती अपनी सामान्य गति से तेज घूम रही है। इसका सीधा असर यह पड़ रहा है कि दिन थोड़े छोटे हो रहे हैं। आमतौर पर एक दिन 24 घंटे यानी 86,400 सेकंड का होता है लेकिन कुछ दिन ऐसे भी हैं जब यह समय कुछ मिलीसेकेंड कम हो जाता है।

इतिहास में देखें तो करोड़ों साल पहले धरती की गति और भी तेज थी। वैज्ञानिकों के अनुसार 1 से 2 अरब साल पहले एक दिन सिर्फ 19 घंटे का होता था। इसका कारण यह था कि उस समय चांद धरती के काफी नजदीक था और उसका गुरुत्वाकर्षण असर बहुत ज़्यादा था। जैसे-जैसे चांद दूर गया दिन धीरे-धीरे लंबे होते गए।

2024 में दर्ज हुआ सबसे छोटा दिन

यूएस नेवल ऑब्जर्वेटरी और इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रेफरेंस सिस्टम्स सर्विस के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई में अब तक के सबसे छोटे दिन रिकॉर्ड किए गए हैं। खासतौर पर 5 जुलाई 2024 को दिन 1.66 मिलीसेकेंड छोटा रहा जो अब तक की सबसे तेज रफ्तार को दर्शाता है।

ग्लोबल बदलाव भी डाल रहे हैं प्रभाव

धरती की घूमने की गति पर सिर्फ चांद या सूरज का गुरुत्व बल ही नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन, हिमखंडों का पिघलना, भूजल का बहाव, भूकंप और मौसमी बदलाव भी असर डालते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रक्रिया स्थायी नहीं है और धीरे-धीरे दिन फिर से लंबे होते जाएंगे।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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