Andhra Pradesh: गरीब छात्रों के सपनों को मिली उड़ान! आंध्र प्रदेश के शिक्षकों ने भरा उम्मीदों का पंख

Andhra Pradesh: गरीब छात्रों के सपनों को मिली उड़ान! आंध्र प्रदेश के शिक्षकों ने भरा उम्मीदों का पंख

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Andhra Pradesh के अनंतपुर जिले के बेलुगुप्पा मंडल की पांच छात्राओं और विजयनगरम जिले के दो छात्रों के लिए हाल ही में एक सपना साकार हुआ। कक्षा 10वीं में 550 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले इन छात्रों को उनके शिक्षकों ने हवाई यात्रा कराकर सम्मानित किया। ये सभी छात्र आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं, लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें उड़ान का अवसर दिलाया।

एक ऐसा अनुभव जो बना प्रेरणा का स्रोत

इन छात्रों में से एक, टी मधुश्री ने बताया कि उनका परिवार बीपीएल श्रेणी में आता है और वे पहले कभी कार में भी नहीं बैठे थे। हवाई यात्रा उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रही। उनकी सहपाठी वाई ईश्वरि ने कहा, “हमें कभी उम्मीद नहीं थी कि हम विमान में सफर करेंगे। लेकिन जब मल्ला रेड्डी सर ने हमें बताया कि 550 से अधिक अंक लाने वाले छात्रों को फ्लाइट से ले जाया जाएगा, तो हमने और मेहनत की।”

Andhra Pradesh: गरीब छात्रों के सपनों को मिली उड़ान! आंध्र प्रदेश के शिक्षकों ने भरा उम्मीदों का पंख

जब शिक्षक बने उम्मीदों के संरक्षक

मंडल शिक्षा अधिकारी मल्ला रेड्डी ने पांच छात्राओं की यात्रा को प्रायोजित किया और जिला कलेक्टर वी विनोद कुमार ने भी इस पहल का समर्थन किया। वहीं, विजयनगरम जिले में शिक्षक मरदाना सत्य राव ने दो छात्रों संगिरेड्डी विवेक और टी रेवंत की विजयवाड़ा से विशाखापट्टनम तक की यात्रा का खर्च उठाया। विवेक ने 593 और रेवंत ने 591 अंक प्राप्त किए थे। यह पहल यह दर्शाती है कि सरकारी स्कूलों में भी अगर शिक्षक ठान लें तो छात्रों के भविष्य को संवारा जा सकता है।

सरकारी स्कूलों की छवि को मिला नया आयाम

मल्ला रेड्डी ने कहा कि जब सरकारी स्कूलों के शिक्षक और प्राचार्य रचनात्मक पहल करते हैं, तो उनके छात्र किसी से कम नहीं रहते। इस हवाई यात्रा ने न केवल इन छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाया है, बल्कि बाकी छात्रों के लिए भी एक प्रेरणा का काम किया है। यह दिखाता है कि संसाधनों की कमी प्रतिभा को नहीं रोक सकती, बस ज़रूरत होती है सही दिशा और प्रोत्साहन की।

सपनों को पंख देने वाली यह पहल बनी उदाहरण

हवाई सफर का यह अनोखा पुरस्कार अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। इससे छात्रों में बेहतर करने की प्रेरणा तो मिली ही है, साथ ही यह पहल पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन गई है। अगर शिक्षक छात्रों की प्रतिभा को पहचानकर इस तरह के कदम उठाएं, तो सरकारी स्कूल भी प्राइवेट संस्थानों को पीछे छोड़ सकते हैं।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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