Kedarnath Yatra: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में हो रही भारी बारिश की वजह से केदारनाथ यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। मौसम विभाग ने इन इलाकों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसी के चलते प्रशासन ने यात्रियों को सोनप्रयाग और गौरीकुंड में ही रोक दिया है ताकि किसी भी आपदा से उन्हें सुरक्षित रखा जा सके। प्रशासन का कहना है कि जब तक मौसम में सुधार नहीं होता तब तक यात्रा शुरू नहीं की जाएगी।
अलकनंदा नदी का बढ़ा जलस्तर, भूस्खलन से बद्रीनाथ मार्ग बंद
तेज बारिश की वजह से अलकनंदा नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ा है। हालांकि अभी खतरे के निशान से नीचे है लेकिन लगातार बारिश की स्थिति को देखते हुए सतर्कता बरती जा रही है। वहीं बद्रीनाथ धाम जाने वाला मार्ग भूस्खलन के कारण बंद हो गया है। पहाड़ों से मलबा गिरने के कारण सड़कें पूरी तरह जाम हो गई हैं। गौरीकुंड में भी मलबा हटाने का काम तेजी से चल रहा है ताकि जल्द से जल्द यात्रा फिर से शुरू की जा सके।
#WATCH | Heavy rainfall in Rudraprayag and adjacent areas of Uttarakhand has increased the water flow in the Alaknanda River. However, the river is still flowing below the danger mark.
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— ANI (@ANI) July 7, 2025
बारिश से परेशान हुए यात्री, बिजली और पानी की आपूर्ति भी बाधित
बारिश के कारण कई यात्री रास्ते में फंसे हुए हैं जिन्हें प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर रुकवाया है। हाल ही में सोनप्रयाग में हुए भूस्खलन के कारण केदारनाथ से लौट रहे करीब 40 श्रद्धालु फंस गए थे जिन्हें SDRF ने रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला। बारिश से केवल यात्रा ही नहीं बल्कि कई इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हो गई है। कुछ दिन पहले बरकोट के पास बादल फटने की घटना भी सामने आई थी जिससे हालात और खराब हो गए हैं।
चार जिलों में भूस्खलन का अलर्ट, सतर्क रहने की अपील
मौसम विभाग ने 7 और 8 जुलाई के लिए उत्तराखंड के चार जिलों — टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में भूस्खलन की चेतावनी जारी की है। लोगों को पहाड़ी इलाकों में सफर करने से बचने की सलाह दी गई है और जो पहले से यात्रा पर हैं उनसे अपील की गई है कि वे प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें। प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जैसे ही मौसम में सुधार होगा यात्रा को फिर से शुरू कर दिया जाएगा। बता दें कि केदारनाथ यात्रा हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाती है जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक के दर्शन के लिए की जाती है।
