Mouse Jiggler: क्या आप भी कर रहे हैं धोखा? माउस जिगलर से हो रही है ऑफिस की निगरानी नाकाम

Mouse Jiggler: क्या आप भी कर रहे हैं धोखा? माउस जिगलर से हो रही है ऑफिस की निगरानी नाकाम

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Mouse Jiggler: क्या आपने कभी “माउस जिगलर” का नाम सुना है? यह एक ऐसी डिवाइस है जो इन दिनों ऑफिस में काम करने वालों के बीच खूब चर्चा में है। खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए जो ऑफिस या वर्क फ्रॉम होम में बिना कुछ किए एक्टिव दिखना चाहते हैं। कोरोना महामारी के बाद से जब वर्क फ्रॉम होम का चलन तेजी से बढ़ा, तब से ही कंपनियों ने कर्मचारियों की निगरानी के लिए अलग-अलग तकनीकें अपनानी शुरू कर दीं। अब कई कंपनियां ऐसे सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर रही हैं जो स्क्रीन टाइम, कीबोर्ड एक्टिविटी और माउस क्लिक तक को ट्रैक करता है। ऐसे माहौल में माउस जिगलर जैसे तकनीकी हथियार चुपचाप लोगों की मदद कर रहे हैं।

माउस जिगलर कैसे करता है काम

इस डिवाइस का मुख्य काम कंप्यूटर को लगातार एक्टिव बनाए रखना होता है। आमतौर पर जब हम माउस को कुछ समय तक नहीं हिलाते तो सिस्टम स्लीप मोड में चला जाता है। लेकिन माउस जिगलर उस स्लीप मोड को रोकता है। यह या तो एक छोटा हार्डवेयर होता है जो माउस के नीचे रखा जाता है और उसे लगातार हिलाता रहता है या फिर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो स्क्रीन पर माउस की नकली हरकतें दिखाता है। इससे कंप्यूटर को लगता है कि यूजर लगातार काम कर रहा है जबकि हकीकत में वो सामने बैठा भी नहीं होता। ऐसे में कर्मचारी आराम से ब्रेक ले सकते हैं या दूसरे काम कर सकते हैं और सिस्टम पर उनकी उपस्थिति बनी रहती है।

Mouse Jiggler: क्या आप भी कर रहे हैं धोखा? माउस जिगलर से हो रही है ऑफिस की निगरानी नाकाम

कितनी है कीमत और कैसे इस्तेमाल करते हैं लोग

इस तकनीक की कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं है। एक Reddit यूजर के अनुसार एक सामान्य माउस जिगलर ऑनलाइन मात्र 30 डॉलर यानी करीब 2400 रुपये में मिल जाता है। कुछ लोग तो बिना पैसे खर्च किए घर की चीजों से भी माउस को हिलाने के जुगाड़ बना लेते हैं। जैसे कि किसी पुराने अलार्म घड़ी की सेकेंड हैंड से माउस को थोड़ा-थोड़ा हिलाया जा सकता है। सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो और टिप्स वायरल हो चुके हैं जो बताते हैं कि किस तरह से लोग इन आसान तरीकों से ऑफिस के सिस्टम को चालू रखकर खुद आराम फरमा रहे हैं।

सोहम पारेख और 34 नौकरियों का मामला

इस पूरी चर्चा में सोहम पारेख नाम का एक शख्स अचानक चर्चा में आ गया। उस पर आरोप है कि उसने माउस जिगलर जैसे गैजेट्स की मदद से एक साथ 34 नौकरियां कीं और रोज़ाना करीब 2.5 लाख रुपये तक की कमाई की। हालांकि यह मामला अकेला नहीं है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि बहुत से लोग इसी रास्ते पर चल रहे हैं। ये डिवाइस पकड़ना आसान नहीं होता क्योंकि ये कंप्यूटर से सीधे जुड़ते नहीं हैं और सॉफ्टवेयर में आसानी से दिखते भी नहीं। लेकिन कुछ तरीकों से कंपनियां संदेह जता सकती हैं। जैसे अचानक कॉल करके सवाल पूछना और जवाब न मिलना, तो शक हो सकता है कि सिस्टम पर केवल माउस चल रहा है लेकिन इंसान मौजूद नहीं है।

मूल सवाल: तकनीक या निगरानी पर बहस

माउस जिगलर सिर्फ एक तकनीक नहीं बल्कि उस बहस का भी हिस्सा बन गया है जिसमें सवाल उठता है कि आखिर कंपनियों को अपने कर्मचारियों की इतनी कड़ी निगरानी क्यों करनी पड़ती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की 10 में से 8 बड़ी प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखती हैं। हालांकि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर निगरानी की जानकारी पारदर्शिता से दी जाए और उसका मकसद स्पष्ट किया जाए तो कर्मचारी उसे आसानी से स्वीकार कर सकते हैं। लेकिन जब भरोसे की जगह शंका ले लेती है तो माउस जिगलर जैसे ‘जुगाड़’ तेजी से लोकप्रिय हो जाते हैं।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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