Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सरकार ने एक नया नियम लागू किया है जिसके तहत 10 से 15 साल पुराने वाहन अब सड़क पर चलाने की इजाजत नहीं होगी। अगर आपकी गाड़ी डीजल है और उसकी उम्र 10 साल से ज्यादा हो गई है या पेट्रोल वाली गाड़ी 15 साल से पुरानी हो गई है, तो अब न तो आपको पेट्रोल पंप से ईंधन मिलेगा और न ही आप उसे सड़क पर चला पाएंगे। यह नियम 1 जुलाई से प्रभावी हो चुका है। हालांकि इस नए नियम से दिल्ली के वाहन मालिकों की नाराजगी बढ़ रही है और वे इस नीति की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
अनुराधा तिवारी ने सरकार की नीति पर जताई कड़वी शिकायत
दिल्ली की रहने वाली अनुराधा तिवारी ने सोशल मीडिया पर अपनी तकलीफ जाहिर की। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता की कार 15 साल पुरानी जरूर है, लेकिन उसे सिर्फ 20 हजार किलोमीटर चले हैं। कार दिखने में बिल्कुल नई लगती है और चलने में भी पूरी तरह फिट है। उसके इंजन में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है और उसकी पॉल्यूशन यूनिट सर्टिफिकेट (PUC) भी पूरी तरह सही है। इसके बावजूद, सरकार की इस नई नीतिगत जाल में फंसकर उनकी कार को भी स्क्रैप करना पड़ेगा। अनुराधा ने इसे सरकार की एक गलत और अत्यंत निराधार नीति करार दिया।
My parent's car is 15 years old, barely 20k km driven, still runs like new.
Engine untouched, PUC perfect. Yet it must be scrapped under govt absurd policy.
After looting 30–40% taxes, they will now seize your car at petrol pumps.
Just to keep middle class under loans forever! pic.twitter.com/8RIbUXqYkj
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) July 1, 2025
सरकार की नीतियों को लेकर मध्यम वर्ग में गहरा आक्रोश
अनुराधा तिवारी ने सरकार पर सीधे आरोप लगाए कि यह नीति मध्यम वर्ग को हमेशा कर्ज में डालकर बांधकर रखने की चाल है। उन्होंने कहा कि पहले तो गाड़ी खरीदने पर भारी-भरकम 30-40 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है और अब पेट्रोल पंप पर जाकर आपकी गाड़ी को ईंधन देने से रोक दिया जाएगा। दिल्ली में एक कार खरीदना किसी मध्यम वर्ग के परिवार के लिए सपने के समान है, जिसके लिए वे सालों तक ईएमआई भरते हैं। लेकिन सरकार की इस नीति के मुताबिक उनके लिए उस कार का कोई मूल्य ही नहीं रहेगा। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या यही है मध्यम वर्ग के साथ न्याय?
नेताओं के दोगलेपन पर तीखा कटाक्ष
अनुराधा ने इस नीति पर सवाल उठाते हुए नेताओं के दोगलेपन की भी आलोचना की। उन्होंने पूछा कि जब नेता और मंत्री किसी कार्यक्रम या दौरे पर जाते हैं, तो उनके साथ 40-50 वाहनों की भारी टुकड़ी होती है। क्या उन्हें प्रदूषण की कोई चिंता नहीं है? फिर वे खुद क्यों साइकिल नहीं चलाते या मेट्रो का उपयोग क्यों नहीं करते? क्या यह नियम केवल मध्यम वर्ग के लिए बनाया गया है? अनुराधा का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों के बीच इसका ज़ोरदार समर्थन मिला। उन्होंने इस नीति के खिलाफ आवाज उठाते हुए सरकार से पुनर्विचार की मांग की है।
