MP BJP President: मध्यप्रदेश बीजेपी की राजनीति में बड़ा फेरबदल हुआ है। बिना किसी हो-हल्ले के हेमंत खंडेलवाल को भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। यह फैसला जितना शांत था, उतना ही बड़ा संदेश लेकर आया। इस नियुक्ति ने पार्टी के अंदर गुटबाजी करने वालों को सीधा झटका दिया और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की रणनीति को पूरी तरह सफल बना दिया। पार्टी की टॉप लीडरशिप ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि मध्यप्रदेश में नेता की पहचान पार्टी के प्रति निष्ठा और योग्यता से तय होगी न कि जाति या क्षेत्रवाद से।
जातिगत और क्षेत्रीय गणित पर नहीं चला दांव, पार्टी ने वफादारी को दी तरजीह
इस बार भी कई कयास लगाए जा रहे थे। कोई कह रहा था कि ग्वालियर की स्थिति को देखते हुए किसी अनुसूचित जाति के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा। कुछ का मानना था कि आदिवासी क्षेत्र में संतुलन बनाने के लिए कोई आदिवासी चेहरा सामने लाया जाएगा। वहीं कुछ लोगों को लग रहा था कि पार्टी महिलाओं पर फोकस कर रही है तो कोई महिला प्रदेश अध्यक्ष बनेगी। लेकिन इन सब कयासों पर विराम लगाते हुए भाजपा ने हेमंत खंडेलवाल के नाम पर मुहर लगाकर यह स्पष्ट कर दिया कि केवल पार्टी के प्रति समर्पित और योग्य व्यक्ति ही नेतृत्व करेगा।
सीएम मोहन यादव ने क्यों चुना हेमंत खंडेलवाल का नाम
प्रदेश में पार्टी के प्रति वफादार नेताओं की कमी नहीं है और योग्यता की भी कोई कमी नहीं है। फिर भी मोहन यादव ने हेमंत खंडेलवाल का नाम आगे बढ़ाया और यह भी सुनिश्चित किया कि उनका चयन सर्वसम्मति से हो। इसकी कई वजहें हैं। सबसे पहले तो दोनों नेता संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं और लंबे समय से संगठन में सक्रिय रहे हैं। मोहन यादव ने 1993 से 1996 तक उज्जैन नगर में संघ के विभिन्न पदों पर काम किया जबकि हेमंत खंडेलवाल के पिता स्व. विजय खंडेलवाल बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे हैं और खुद हेमंत छात्र जीवन से ही पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं।
संगठन और सरकार में तालमेल की मजबूत जोड़ी
हेमंत खंडेलवाल इस समय बीजेपी के कोषाध्यक्ष थे और मोहन यादव खुद मुख्यमंत्री हैं। दोनों के बीच निजी विश्वास का संबंध है और यही वजह है कि संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिलेगा। दोनों नेताओं ने छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत की और आज संगठन व सत्ता के शीर्ष पदों पर हैं। मोहन यादव ने एमबीए और पीएचडी जैसी उच्च शिक्षा ली है जबकि हेमंत खंडेलवाल बी.कॉम और एलएलबी की पढ़ाई कर चुके हैं। जब मोहन यादव कोषाध्यक्ष थे, तभी उन्होंने हेमंत खंडेलवाल की कार्यक्षमता को करीब से देखा था। यही वजह है कि उन्होंने संगठन में उनके नाम का प्रस्ताव भी खुद दिया और अब वही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं।
