Sahib Singh Verma death anniversary: प्रवेश वर्मा की जुबानी पिता की विदाई की दर्दनाक दास्तां PSO की आखिरी कोशिश सबको रुला गई

Sahib Singh Verma death anniversary: प्रवेश वर्मा की जुबानी पिता की विदाई की दर्दनाक दास्तां PSO की आखिरी कोशिश सबको रुला गई

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Sahib Singh Verma death anniversary: 30 जून को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की 16वीं पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। इस मौके पर उनके बेटे और दिल्ली सरकार में मंत्री प्रवेश वर्मा ने भावुक होकर अपने पिता को याद किया। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सभा में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम थीं क्योंकि साहिब सिंह वर्मा सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि एक संवेदनशील और जमीन से जुड़े इंसान थे।

सड़क हादसे में गई थी चार जिंदगियां

प्रवेश वर्मा ने बताया कि 30 जून 2007 का दिन उनकी जिंदगी का सबसे काला दिन था। उनके पिता एक सड़क दुर्घटना में निधन को प्राप्त हुए थे। उस समय कार में उनके साथ तीन और लोग थे – ड्राइवर, पीएसओ और गांव का एक साथी। यह दुर्घटना इतनी भयानक थी कि चारों की जान चली गई। उस पल ने न केवल उनके परिवार को तोड़ दिया बल्कि दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा शून्य भी छोड़ दिया।

पीएसओ की अंतिम सांस तक चिंता थी साहिब सिंह की

भावुक होते हुए प्रवेश वर्मा ने एक घटना साझा की जिसने सभी को अंदर तक झकझोर दिया। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के बाद जब ग्रामीण पहुंचे तो सिर्फ पीएसओ जगदीर सिंह में सांसें बाकी थीं। लेकिन वो बार-बार यही कह रहे थे कि “साहिब सिंह जी को बचाओ।” इस समर्पण को देखकर यह साफ हो गया कि साहिब सिंह वर्मा अपने साथ काम करने वालों को केवल कर्मचारी नहीं बल्कि परिवार की तरह मानते थे।

रिश्तों में प्रेम और सेवा की मिसाल थे साहिब सिंह

प्रवेश वर्मा ने अपने पिता की एक अनोखी आदत का ज़िक्र किया। जब वे किसी शादी समारोह से लौटते थे तो सबसे पहले यह पूछते थे कि उनके साथ गए लोगों ने खाना खाया या नहीं। जब उन्हें पता चलता कि किसी ने नहीं खाया तो वे खुद रसोई में जाकर खाना बनाते। मज़ेदार बात यह थी कि उन्हें खाना बनाना नहीं आता था लेकिन साथियों के लिए कुछ भी कर सकते थे।

साहिब सिंह वर्मा: गांव से संसद तक संघर्ष की मिसाल

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने श्रद्धांजलि सभा में साहिब सिंह वर्मा को याद करते हुए कहा कि वे श्रमिकों, किसानों और वंचित समाज की मजबूत आवाज़ थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी उनके लिए एक वीडियो साझा किया और लिखा कि उनका जीवन समर्पण, सादगी और राष्ट्र के लिए संघर्ष की प्रेरणा है। गांव की मिट्टी से उठकर संसद तक पहुंचे साहिब सिंह वर्मा आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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