Breast Cancer: सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन ये सच है कि बिच्छू का ज़हर अब मौत नहीं बल्कि जिंदगी देने वाला साबित हो सकता है। ब्राजील की यूनिवर्सिटी ऑफ साओ पाउलो के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है। उन्होंने बिच्छू के ज़हर में एक ऐसा अणु यानी मोलेक्यूल खोजा है जो ब्रेस्ट कैंसर को ठीक करने में कीमोथेरेपी जितना असरदार हो सकता है। इस रिसर्च के जरिए वैज्ञानिकों ने बायोप्रॉस्पेक्टिंग तकनीक से बिच्छू के ज़हर में मौजूद एक विशेष पेप्टाइड को पहचाना है जो कैंसर सेल्स को मारने की ताकत रखता है। यह एक नई उम्मीद है उन लाखों महिलाओं के लिए जो इस गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं।
ज़हर निकाला गया लेकिन बिच्छू को नुकसान नहीं पहुंचा
इस रिसर्च की सबसे खास बात यह रही कि बिच्छू को ज़हर निकालते समय कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया। वैज्ञानिकों ने एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया जिसे ‘हेटरोलॉगस एक्सप्रेशन’ कहा जाता है। इसमें ज़हर बनाने वाले जीन को यीस्ट या बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवों में डाल दिया जाता है। इसके बाद ये सूक्ष्म जीव लैब में बड़ी मात्रा में वही ज़रूरी प्रोटीन या पेप्टाइड तैयार करते हैं। प्रोफेसर एलिएन अरांतेस के अनुसार इस प्रक्रिया में उन्होंने ‘Pichia pastoris’ नाम की यीस्ट का इस्तेमाल किया है। अब उनका अगला लक्ष्य इस अणु को और अधिक मात्रा में तैयार करना है ताकि इस पर आगे के क्लीनिकल ट्रायल किए जा सकें।
कीमोथेरेपी जैसी ताकत लेकिन कम साइड इफेक्ट्स
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बिच्छू के ज़हर से तैयार किया गया पेप्टाइड कैंसर सेल्स को नेक्रोसिस के जरिए खत्म करता है। यानी सेल्स फटकर खत्म हो जाते हैं। कीमोथेरेपी भी कुछ इसी तरह काम करती है लेकिन इसके कई गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं जैसे बाल झड़ना थकान या इम्यून सिस्टम पर असर। वहीं इस नए मोलेक्यूल में इन साइड इफेक्ट्स की संभावना कम मानी जा रही है क्योंकि यह सीधे कैंसर कोशिकाओं को ही टारगेट करता है। अभी यह रिसर्च शुरुआती चरण में है और इसके मानव ट्रायल शुरू होने में समय लगेगा लेकिन अब तक के नतीजे काफी उत्साहजनक हैं।
हर 20 में से 1 महिला को है खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर दुनिया में महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर 20 महिलाओं में से एक को अपनी ज़िंदगी में कभी न कभी इस बीमारी का सामना करना पड़ता है। साल 2022 में ही ब्रेस्ट कैंसर के करीब 2.3 मिलियन नए मामले सामने आए और करीब 6.7 लाख महिलाओं की मौत हुई। यह बीमारी खासतौर पर 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। अगर यह बिच्छू के ज़हर से बनी दवा कारगर साबित होती है तो आने वाले समय में लाखों ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं और कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों से भी राहत मिल सकती है।
