Ahmedabad Plane Crash Black Box: तकनीकी खामी या मानवीय भूल? ब्लैक बॉक्स ही खोलेगा अहमदाबाद हादसे का पर्दाफाश

Ahmedabad Plane Crash Black Box: तकनीकी खामी या मानवीय भूल? ब्लैक बॉक्स ही खोलेगा अहमदाबाद हादसे का पर्दाफाश

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Ahmedabad Plane Crash Black Box: गुरुवार को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 हादसे का शिकार हो गई। रनवे से उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद विमान अचानक नीचे गिर पड़ा और जबरदस्त धमाका हुआ। इस हादसे में 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। घटना ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया है। हादसे की वजह फिलहाल स्पष्ट नहीं हुई है लेकिन कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है और अधिकारी जांच में जुटे हैं।

ब्लैक बॉक्स से मिलेगी असली वजह की जानकारी

हर विमान में एक ब्लैक बॉक्स होता है जो किसी भी विमान हादसे के बाद सबसे अहम सबूत बनता है। इस डिवाइस में दो हिस्से होते हैं – फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)। यह डिवाइस ऐसी तकनीक से बना होता है जो भीषण आग और पानी के तेज बहाव में भी सुरक्षित रहता है। हादसे के बाद से ही जांच एजेंसियां इस ब्लैक बॉक्स को ढूंढने में लगी हुई हैं ताकि पता चल सके कि असल में विमान क्रैश कैसे हुआ।

Ahmedabad Plane Crash Black Box: तकनीकी खामी या मानवीय भूल? ब्लैक बॉक्स ही खोलेगा अहमदाबाद हादसे का पर्दाफाश

ब्लैक बॉक्स में छुपा होता है पूरा सच

ब्लैक बॉक्स से यह पता लगाया जा सकता है कि विमान के उड़ान भरते वक्त क्या तकनीकी समस्या आई थी। क्या इंजन में कोई खराबी थी? आखिरी समय में पायलट्स के बीच क्या बातचीत हुई? कहीं कोई गलत तकनीकी निर्णय तो नहीं लिया गया? ब्लैक बॉक्स में इन सभी सवालों के जवाब रिकॉर्ड होते हैं। यही कारण है कि ब्लैक बॉक्स की तलाश अहम मानी जा रही है। हालांकि अब तक वह नहीं मिला है और इसमें थोड़ा समय भी लग सकता है।

कैसे होता है ब्लैक बॉक्स का विश्लेषण

जब ब्लैक बॉक्स मिल जाता है तो उसे सबसे पहले फॉरेंसिक लैब भेजा जाता है। भारत में यह काम Bureau of Aircraft Accident Archive (BAAA) करता है। अगर ब्लैक बॉक्स किसी भी हिस्से से क्षतिग्रस्त होता है तो उसे पहले मरम्मत किया जाता है। इसके बाद इसमें से डाटा निकाला जाता है जिसमें पायलट्स की बातचीत से लेकर विमान की स्पीड, ऊंचाई, इंजन की स्थिति और नियंत्रण प्रणाली की जानकारी शामिल होती है। ब्लैक बॉक्स को डिकोड करने में थ्री-डी कंप्यूटर सिस्टम की मदद ली जाती है और यह प्रक्रिया कई हफ्तों या महीनों तक भी चल सकती है।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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