Panchak Astrology: सावन में पंचक योग: पंचक में क्यों नहीं होते शुभ कार्य? जानें कारण पूजा या यात्रा करें या नहीं?

Panchak Astrology: सावन के पवित्र महीने में इस बार पंचक का आरंभ रविवार 13 जुलाई 2025 की शाम 6 बजकर 53 मिनट पर हुआ है। पंचक को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है और इसमें कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस बार पंचक की छाया सावन के पहले सोमवार यानी 14 जुलाई पर भी रहेगी

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Panchak Astrology: सावन के पवित्र महीने में इस बार पंचक का आरंभ रविवार 13 जुलाई 2025 की शाम 6 बजकर 53 मिनट पर हुआ है। पंचक को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है और इसमें कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस बार पंचक की छाया सावन के पहले सोमवार यानी 14 जुलाई पर भी रहेगी।

क्या होता है पंचक और क्यों माना जाता है अशुभ

पंचक का अर्थ होता है पाँच और यह पंच नक्षत्रों के योग से बनता है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में प्रवेश करता है और धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों से गुजरता है तो पंचक योग बनता है। ज्योतिष में पंचक के दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे यात्रा, गृह प्रवेश, खरीदारी, मुंडन, नया कार्य आरंभ करना आदि से बचने की सलाह दी जाती है।

रोग पंचक में क्या न करें

Panchak Astrology: सावन के पवित्र महीने में इस बार पंचक का आरंभ रविवार 13 जुलाई 2025 की शाम 6 बजकर 53 मिनट पर हुआ है। पंचक को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है और इसमें कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस बार पंचक की छाया सावन के पहले सोमवार यानी 14 जुलाई पर भी रहेगी

इस बार पंचक रविवार से शुरू हुआ है इसलिए इसे ‘रोग पंचक’ कहा गया है। मान्यता है कि रोग पंचक में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ, मानसिक तनाव, शारीरिक कष्ट आदि बढ़ सकते हैं। इस समय अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। कोई भी जोखिम भरा या नया कार्य आरंभ न करें।

कब समाप्त होगा पंचक

जुलाई महीने का यह पंचक गुरुवार 17 जुलाई 2025 को दोपहर 3 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगा। यानी कुल मिलाकर पंचक की अवधि लगभग 4 दिन तक रहेगी। इस दौरान चंद्रमा का गोचर कुंभ राशि से मीन राशि में होगा।

कांवड़ यात्रा और भगवा रंग का महत्व

सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। इस यात्रा में श्रद्धालु भगवा वस्त्र धारण करते हैं। भगवा रंग त्याग, भक्ति, ऊर्जा और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। पंचक के दौरान भी भक्त भगवान शिव की पूजा कर रोग और दोषों से मुक्ति की कामना करते हैं। ऐसे समय में साधना और ध्यान से आत्मिक शक्ति बढ़ती है।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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