Singrauli : कोयले के खेल को लेकर अभी भी है चर्चाओं का बाजार गर्म, कृष्णशीला रेलवे साइडिंग में कैसे पहुंचा था कोयला?

सिंगरौली।। एनसीएल परियोजनाओं का कोयला रेलवे साइडिंग में कैसे पहुंच गया यह सवाल आज भी लोगों के जेहन से नहीं उतर रहा है। कोयले के कारोबार में जुड़े कई नामचीन माफियाओं का नाम सामने आया था। किन्तु यूपी पुलिस की दरियादिली ने कईयों पर रहम दिखा दिया। कृष्णशीला रेलवे साइडिंग में बगैर अनुमति के कोयले का भण्डार कैसे करा दिया गया यह सवाल आज भी उठ रहा है। हालांकि कुछ कोयले को एक पावर कंपनी ने उठाव कर लिया है।

गौरतलब हो कि सीमावर्ती शक्तिनगर के कृष्णशीला रेलवे साइडिंग में बगैर अनुमति के ही तकरीबन 10 लाख मैट्रिक टन कोयले का भण्डारण करा दिया गया था। रेलवे साइडिंग में 32 बीघा भूमि में कोयले का अवैध तरीके से भण्डारण कराया गया था। 22 जुलाई को शक्तिनगर पुलिस ने कोयले को जप्त करते हुए बड़ी कार्रवाई करते हुए तहलका मचा दिया था। किन्तु इसी दौरान तत्कालीन थाना प्रभारी नागेश सिंह को इसी से जुड़े मामले में हटना पड़ा था। चर्चा है कि उन्होंने कुछ कारोबारियों पर बड़ा दिल दिखाया था। वहीं जप्त लाखों टन कोयले के मामले में कोई स्वामित्व साबित नहीं कर पा रहा था। अंतत: दूसरे प्रांत के पावर कंपनी ने कुछ अपना स्वामित्व दिखाया और सीज कोयले को उठाने का आदेश जारी कर दिया गया था।
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तकरीबन जप्त कोयले का आधा उक्त पावर कंपनी ने उठाव कर लिया। लेकिन शेष कोयला पड़ा रहा, कुछ चोरी हो गया और कुछ में सुनियोजित तरीके से आग लगा दी गयी। यह सब खेल कोल माफियाओं ने एक योजनाबद्ध तरीके से किया है। इधर अब सवाल उठ रहा है कि उक्त रेलवे साइडिंग में एनसीएल परियोजनाओं कोयला कैसे पहुंचा? आम लोगों के बीच चर्चाएं हैं कि मिलावटी कोयले में भस्सी व राखड़ का मिलावट करने के बाद असली कोयले को गुप चुप तरीके से रेलवे साइडिंग में पहुंचा दिया जा रहा था और रेलवे साइडिंग से ही ब्लैक डायमण्ड का अवैध कारोबार शुरू हो जाता था। कोयले के लोडिंग, अनलोडिंग कारोबार से जुड़े कंपनी ने बड़ा खेल खेल रहे थे। जिसका यूपी पुलिस ने भण्डाफोड़ कर उनके करतूतों को उजागर कर दिया था, लेकिन यहां सवाल उठाया जा रहा है कि नकली कोयला ललितपुर पावर कंपनी में खपाया जा रहा है। फिर वहां का अमला अंजान क्यों बना हुआ है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि कोयले के इस कारोबार में एक नहीं कई चेहरे हैं और इसमें करोड़ों का वारा-न्यारा किया जा रहा है।
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रेलवे साइडिंग में कैसे पहुंची भस्सी?
बरगवां स्थित रेलवे साइडिंग में कोयले के भण्डारण के स्थान पर भस्सी व रॉ मटेरियल का भण्डारण कैसे करा दिया गया। यह सवाल अब जगह-जगह होने लगा है। रेलवे साइडिंग में रॉ मटेरियल का भण्डारण ही कई सवालों को जन्म दे रहा है और कहीं न कहीं लोडिंग के कार्य में लगी गोदावरी कंपनी का नाम बदनाम हो रहा है। गोदावरी कंपनी के कर्ताधर्ता इस कारोबार में संलिप्त हैं कि नहीं इस पर अभी कुछ कह पाना अभी जल्दबाजी होगी। लेकिन रेलवे साइडिंग में के्रशरों व पहाडिय़ों का रॉ मटेरियल देखे जाने पर तरह-तरह के सवाल उठना लाजिमी है और यह भी कहा जा रहा है कि यह खेल व्यापक पैमाने पर खेला जा रहा है। हालांकि चर्चाओं के मुताबिक यह कोई नई बात नहीं है। फिलहाल इन दिनों कोयले के खेल को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है।