काल अष्ठमी की व्रत पूजन भोग की विधि, जानिए कालाष्टमी की पूजा कैसे करे काल भैरव की पूजा करने से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है कालाष्टमी कब है हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है. इस दिन रुद्रावतार काल भैरव की पूजा करते हैं.
बाबा काल भैरव की पूजा करने से तंत्र और मंत्र की सिद्धि होती है. इसके लिए काल भैरव की पूजा निशिता काल रात्रि का वह समय है जो समान्यत: रात 12 बजे से रात 3 बजे की बीच होता है। मुहूर्त में की जाती है. इस दिन रुद्रावतार काल भैरव की पूजा करते हैं. कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव का विशेष श्रृंगार किया जाएगा.
कालाष्टमी का भोग
कच्चा दूध ,शराब,हलुआ पूरी ,इमरती जलेबी और पांच तरह की मिठाई भी भैरव जी को पसंद है
कालाष्टमी व्रत कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 2 फरवरी दिन शुक्रवार को शाम 04 बजकर 02 मिनट पर होगा. यह तिथि अगले दिन 3 फरवरी को शाम 05 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगी.
काल भैरव का होगा विशेष शृंगार
भगवान काल भैरव का कालाअष्टमी के महापर्व पर बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाता है जिसमें भैरव बाबा को नये कपडे अर्पित किये जाते है . साथ ही बाबा का श्रृंगार स्वर्ण से किया जाएगा. उसी के साथ शाम को मंदिर परिसर में आतिशबाजी देखने को मिलेगी.एक महत्वपूर्ण त्योहार कालाष्टमी है भगवान काल भैरव, भगवान शिव का उग्र रूप हैं, जो लोग पूर्ण श्रद्धा-भाव के साथ उनकी पूजा करते हैं, भगवान काल भैरव हमेशा उनकी रक्षा करते हैं.
कालाष्टमी पूजा विध
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके. मंदिर को अच्छे से साफ करें. इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर रखे, भगवान के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक का पाठ करें.चौमुखी दीपक जलाये,शिव पारवती की पूजा करने के बाद काल पूजा करे अंत में काल भैरव की आरती करें. रात में सात्विक भोजन से ही अपना व्रत खोलें.व्रत सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को दूध और मीठी रोटी खिलाये इस दिन सरसों का तेल ,जूते चप्पल ,काळा कम्बल ,काले कपडे ,कांसे के बर्तन चीजों को दान करना चाहिए ,
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