Sachin Tendulkar: भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही 5 टेस्ट मैचों की सीरीज़ अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। तीन मैचों के बाद इंग्लैंड 2-1 की बढ़त बना चुका है। चौथा टेस्ट 23 जुलाई से मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला जाएगा। भारत के लिए यह मुकाबला ‘करो या मरो’ जैसा होगा क्योंकि हार का मतलब होगा सीरीज़ से बाहर होना। वहीं जीत के बाद भारत सीरीज़ में बराबरी कर सकता है। लेकिन इस सबके बीच एक नई चर्चा ने क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान खींचा है। अब इस प्रतिष्ठित सीरीज़ को “Anderson-Tendulkar Trophy” के नाम से जाना जाएगा।
जेम्स एंडरसन की भावुक प्रतिक्रिया
इंग्लैंड के दिग्गज तेज गेंदबाज़ जेम्स एंडरसन ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह केवल ट्रॉफी पर नाम लिखवाने की बात नहीं है। सबसे बड़ा सम्मान यह है कि आपका नाम सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी के साथ जुड़ा है। एंडरसन ने स्काई स्पोर्ट्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने अपने करियर में सचिन को बहुत करीब से देखा है। उनके साथ खेला है और उनके खिलाफ गेंदबाज़ी की है। सचिन न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए क्रिकेट का दूसरा नाम हैं।
ECB ने क्यों लिया यह बड़ा फैसला
इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड यानी ECB ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेकर सबको चौंका दिया। अब भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जाने वाले टेस्ट मैचों की सीरीज़ को पाटौदी ट्रॉफी की जगह Anderson-Tendulkar Trophy के नाम से जाना जाएगा। ECB का कहना है कि जेम्स एंडरसन अब टेस्ट इतिहास के सबसे सफल तेज़ गेंदबाज़ बन चुके हैं और उनके योगदान को सम्मान देना बेहद जरूरी है। दूसरी तरफ सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान माना जाता है और उन्होंने भी टेस्ट क्रिकेट में ऐतिहासिक मुकाम हासिल किए हैं। इसलिए दोनों को समान रूप से सम्मान देने का यह तरीका चुना गया है।
पाटौदी ट्रॉफी की जगह नई शुरुआत
अब तक भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज़ को पाटौदी ट्रॉफी के नाम से जाना जाता था। यह नाम भारत के पूर्व कप्तान इफ्तिखार अली खान पाटौदी और उनके बेटे मंसूर अली खान पाटौदी के योगदान को समर्पित था। लेकिन समय के साथ बदलाव जरूरी था। 21वीं सदी में क्रिकेट को नई दिशा देने वाले एंडरसन और तेंदुलकर ने जिस तरह का योगदान दिया है वह युगों तक याद रखा जाएगा। अब Anderson-Tendulkar Trophy के जरिए दोनों महान खिलाड़ियों को एक साथ श्रद्धांजलि दी जाएगी।
भावनाओं से जुड़ी ट्रॉफी
एंडरसन ने आगे कहा कि जब उन्होंने पहली बार ट्रॉफी पर अपना नाम देखा तो उन्हें अजीब लगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया उन्हें यह एहसास हुआ कि यह उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सचिन को बचपन से देखा है और क्रिकेट के शुरुआती दिनों से ही उन्हें आदर्श माना है। उनके लिए यह ट्रॉफी केवल नाम नहीं बल्कि भावनाओं से जुड़ी एक विरासत है।
