Panchayat का साइलेंट हीरो निकला जबरदस्त स्ट्रगलर! जानिए कैसे मुंबई में अकेले लड़ा सफलता की जंग

Panchayat का साइलेंट हीरो निकला जबरदस्त स्ट्रगलर! जानिए कैसे मुंबई में अकेले लड़ा सफलता की जंग

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TVF की मशहूर सीरीज ‘Panchayat 4’ 18 मई को जब अमेज़न प्राइम वीडियो पर आई, तो लोगों ने एक बार फिर इसे खुले दिल से अपनाया। इस सीरीज ने ना सिर्फ अपनी दमदार कहानी बल्कि अपने ज़मीन से जुड़े किरदारों के ज़रिए भी दर्शकों का दिल जीत लिया। लेकिन इस कहानी में जो एक चेहरा खासतौर पर चर्चा में आया है, वह हैं ‘मधव’ यानी बुल्लू कुमार। मधव का किरदार निभाने वाले बुल्लू ने कैमरे पर जितनी हंसी बिखेरी, असल ज़िंदगी में उनकी कहानी उतनी ही दर्द भरी और प्रेरणादायक है। अपने परिवार को छोड़कर एक्टिंग के सपने को पूरा करने मुंबई पहुंचे बुल्लू को एक-एक कदम संघर्ष के सहारे तय करना पड़ा।

गरीबी ने बना दिया अभिनेता, लेकिन हार नहीं मानी

बुल्लू कुमार ने ‘Panchayat’ में अपने मजेदार संवाद और देसी अंदाज से दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया। लेकिन असल ज़िंदगी में हालात इतने आसान नहीं थे। एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास बच्चों की स्कूल फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। आर्थिक तंगी से जूझते हुए उन्होंने छोटे-मोटे काम किए, लेकिन अभिनय का सपना कभी नहीं छोड़ा। बुल्लू बताते हैं कि पहले उनके रिश्तेदार और पिता उन्हें ताने मारते थे कि यह लड़का नाचने-कूदने मुंबई चला गया है। लेकिन अब वही लोग उनकी तारीफ करते हैं और ‘पंचायत’ में उनकी भूमिका पर गर्व महसूस करते हैं। उनकी पत्नी और तीन बच्चे अब उनके संघर्ष को समझते हैं और उनके साथ खड़े हैं।

 

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परिवार से दूर रहकर किया खुद को साबित

बुल्लू कुमार ने एक बातचीत में बताया कि मुंबई में रहना आसान नहीं था। खर्चा इतना ज्यादा था कि वह अब भी अपने परिवार को मुंबई नहीं ला पाए हैं। वो आज भी किराये के एक छोटे से कमरे में रहते हैं। उन्होंने कहा कि “मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे खुद मेहनत करके आगे बढ़ें। मैं उन्हें यह नहीं सिखाना चाहता कि सिर्फ मेरी कमाई से ऐश करें।” बुल्लू ने यह भी बताया कि उनका भाई, मां और पिता बीमारी से जूझते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह इस दर्द से उबर नहीं पाए हैं लेकिन फिर भी अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से उन्होंने खुद को संभाला और अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

‘पंचायत’ के जरिए बदली किस्मत, फिर भी जमीनी इंसान

‘पंचायत’ एक ऐसी सीरीज है जिसमें किसी एक हीरो की कहानी नहीं, बल्कि पूरे गांव की कहानी है। यही कारण है कि बुल्लू जैसे कलाकारों को भी खूब प्यार और पहचान मिली है। आज ‘मधव’ का नाम बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की जुबान पर है। बुल्लू की मेहनत, सादगी और संघर्ष ने उन्हें एक मिसाल बना दिया है। उनकी जिंदगी बताती है कि हालात कैसे भी हों, अगर सपना सच्चा है और मेहनत सच्ची है तो सफलता देर-सबेर ज़रूर मिलती है। बुल्लू आज भी उस सफर को याद करते हैं जब लोग उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन आज वही लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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