Bihar News: बिहार के दरभंगा जिले की विशेष MP/MLA अदालत ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक मिश्रीलाल यादव और उनके सहयोगी को 2019 के हमले के मामले में तीन महीने की सजा सुनाई है। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर ने विधायक की राहत याचिका को खारिज कर दिया और तुरंत जेल भेजने का आदेश दिया। अदालत ने साफ कर दिया कि विधायक को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी। यह फैसला बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाला है क्योंकि विधायक पर आम आदमी पर हमले और पैसे छीनने का गंभीर आरोप है।
तीन महीने की सजा और 500 रुपये का जुर्माना
मामले की विशेष सरकारी अभियोजक रेणु झा ने बताया कि मिश्रीलाल यादव ने अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। फरवरी में अदालत ने उन्हें तीन महीने की जेल और 500 रुपये का जुर्माना सुनाया था। इस मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होनी है। अदालत के फैसले के बाद विधायक और उनके सहयोगी सुरेश यादव दोनों को जेल भेज दिया गया और दोनों पर 500-500 रुपये का जुर्माना लगाया गया। रेणु झा ने बताया कि कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और तुरंत उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया।
दया याचिका नहीं सुनी गई, सीधे जेल भेजे गए विधायक
विशेष न्यायाधीश सह अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी करुणानिधि प्रसाद आर्य की अदालत ने फरवरी 2025 में ही विधायक और उनके साथी को तीन महीने की सजा सुनाई थी। उन पर 29 जनवरी 2019 को उमेश मिश्रा नामक व्यक्ति को जानबूझकर चोट पहुंचाने का आरोप था। विधायक को जब जेल ले जाया जा रहा था, तब उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “मैंने फरवरी में दिए गए आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी जिसे आज अदालत ने खारिज कर दिया। मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं।” बता दें कि अदालत ने गुरुवार को उनकी दया याचिका पर सुनवाई नहीं की और सीधे न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दे दिया।
उमेश मिश्रा पर हमले और पैसे छीनने का आरोप
यह मामला दरभंगा के रायम थाना क्षेत्र के समैला गांव का है जहां 29 जनवरी 2019 को BJP विधायक मिश्रीलाल यादव पर उमेश मिश्रा के साथ मारपीट और पैसे छीनने का आरोप लगा था। उमेश मिश्रा ने अपनी शिकायत में बताया था कि विधायक और उनके साथियों ने उनके घर के बाहर हमला किया और जबरदस्ती पैसे छीने। इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। अब लगभग छह साल बाद अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए विधायक और उनके साथी को तीन महीने की सजा और जुर्माना सुनाया है। यह मामला राज्य की राजनीति के लिए एक बड़ा संदेश है कि कानून सबके लिए बराबर है चाहे वह किसी पद पर क्यों न हो।
