Amitabh Bachchan Post: बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारतीय सेना की बहादुरी की खुलकर तारीफ की है। यह पोस्ट उस समय आया जब कुछ दिनों पहले पहलगाम आतंकी हमले पर चुप्पी को लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया था। लेकिन अब बिग बी ने अपनी बात बेहद खास अंदाज में रखी है और उन्होंने देशभक्ति की भावना से भरी एक पुरानी कविता को साझा किया है। यह कविता उनके पिता और प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन द्वारा 1965 की जंग के दौरान लिखी गई थी।
हरिवंश राय बच्चन की कविता ने फिर जगाई भावना
अमिताभ बच्चन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा “जय हिंद। बाबूजी की एक कविता की कुछ पंक्तियाँ।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यह कविता 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय लिखी गई थी और इसके लिए हरिवंश राय बच्चन को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। अमिताभ ने लिखा कि यह पंक्तियाँ आज के समय में और भी अधिक सटीक लगती हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि एक सच्चे कवि की दृष्टि समय से कहीं आगे होती है और बाबूजी की यह कविता आज के हालातों में भी उतनी ही सजीव महसूस होती है।
T 5376(i) – 👇🏽👇🏽👇🏽
the meaning of the poem words below on T 5376 ..These words of the title are from the Tulsidas Ramcharit Manas .. तूलिसदास रामचरित मानस … the sage Tulsidas's Ramayan ..
"सूर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आप" पंक्ति का अर्थ है कि शूरवीर अपने पराक्रम को…
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) May 11, 2025
रामचरितमानस की पंक्ति से जोड़ा संदेश
अमिताभ बच्चन ने इस पोस्ट में रामचरितमानस से लक्ष्मण-परशुराम संवाद की एक प्रसिद्ध पंक्ति का भी उल्लेख किया – “सुर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आप।” इसका अर्थ उन्होंने समझाते हुए लिखा कि बहादुर लोग युद्ध में अपने शौर्य से जवाब देते हैं वे अपनी बहादुरी के किस्से खुद बयान नहीं करते। सिर्फ कायर लोग युद्ध में दुश्मन को देखकर अपनी बहादुरी की डींगे हाँकते हैं। इस गूढ़ और गहरी बात को जोड़ते हुए अमिताभ ने यह भी संकेत दिया कि असली वीर वही हैं जो बिना बोले युद्धभूमि में अपना पराक्रम दिखाते हैं।
फैंस कर रहे हैं तारीफ, पोस्ट हुआ वायरल
अमिताभ बच्चन का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। उनके प्रशंसक इस देशभक्ति से भरे अंदाज़ और भावुक अभिव्यक्ति की खूब सराहना कर रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि अमिताभ ने जो नहीं कहा था वह अब उनकी इस कविता और भाव से स्पष्ट हो गया है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह पोस्ट चुप रहने वालों के लिए एक मौन उत्तर है जो सिर्फ शब्दों पर ध्यान देते हैं कर्म पर नहीं। अमिताभ बच्चन ने न केवल अपने पिता की काव्यशक्ति को आगे बढ़ाया बल्कि यह भी दिखाया कि आज भी साहित्य और कविता से समाज में एक बड़ी बात कही जा सकती है।
