सतना,मध्यप्रदेश।। मध्यप्रदेश के सतना जिले (satna district) के जनप्रतिनिधि विकास का ढिंढोरा पीटते लाख दावे-वादे करते है पर शहर से जुड़ी 10 किलोमीटर ऐसी सड़क है जिसका कोई भी माई बाप नही है।
दरअसल मामला सतना जिले का जहाँ पर गांव से शहर को जोड़ने वाली सड़क का हाल बेहाल है। पूरी तरह बदहालं हो चुकी सडक की इसकी स्थिति देख लगता है कि यह सडक किसी दूरदराज क्षेत्र की है जहां कभी भी आवागमन नही होता होगा। परन्तु निरीह समझी जाने वाली यह सड़क धवारी से पोड़ी पतौरा मार्ग है। जहां धवारी से जिगनहट तक तो हालत बहुत ही ज्यादा खराब है सड़क में इतने बड़े बड़े गढ्ढे है कि पूरा वाहन ही समा जाए।
अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने नही की कोई पहल
सड़क की बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज 10 किलोमीटर मार्ग को तय करने में घंटे भर का समय लग जाता है। इस मार्ग में अब तक दर्जनों बड़ी दुर्घटनाएं होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई पहल नहीं किया गया है जबकि लोगो के द्वारा कई दफा जिला प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों से सड़कों की दशा सुधारने की अपील की गई है। अगर देखा जाए तो हर दिन इसी मार्ग से कई जनप्रतिनिधि सहित सरकारी विभाग के अफसर भी गुजरते हैं।
पचासों गावों को शहर से जोड़ने वाला प्रमुख है यह मार्ग
नागौद विधानसभा के नागौद और ऊँचेहरा के मध्य पचासों गावों यहां तक कि परसमनिया पहाड़ के लोगों का भी शहर से जोड़ने यह महत्वपूर्ण मार्ग है। देखा जाय तो यहां हर मिनट में औसत 5 से अधिक वाहन होकर गुजरते है। ग्रामीण क्षेत्र से शहर कार्य करने वाले गावो के श्रमिक ,सैकडों स्कूली बच्चे सहित गावांे के ग्रामीण प्रतिदिन लगभग हजार से अधिक लोगो के लिए यह संपर्क पथ है। कुल मिलाकर सबसे अधिक चलने वाला प्रमुख मार्ग है ।
बारिश में बढ़ जाती है परेशानी
बरसात के मौसम में इस जर्जर सड़क की हालत और बदतर हो जाती है। बारिश के बाद सड़क के गड्ढों में जगह – जगह पानी भर जाने से लबालब भरे इन गड्ढों का अनुमान नहीं लग पाता है जिससे अनजान चालक इसमें फंस जाते हैं वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है।
हर वर्ष होती है मरम्मत के नाम पर खानापूति
कई बार राहगीरों और मीडिया में मामला आने परएक दो बार मरॅम्म्त कर दिया जाता है और कुछ दिनों में फिर वही स्थिति हो जाती है। गर्मी में यहां मरम्मत हुआ था जिसमें डामर की बजाय काला कलरयुक्त केमिकल का उपयोग किया गया था जो महज कुछ सप्ताह में गढढों में तब्दील हो गई और सड़क के परखच्चे उड़ गये।
काग्रेस के आईटी सेल उपाध्यक्ष आदित्य प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मार्ग पर आए दिन क्षेत्र के वरिष्ट जनप्रतिनिधी जिले के प्रसाशनिक अधिकारी स्वयं कलेक्टर इस माह से कई बार गुजरें है। बावजूद किसी का इस ओर ध्यान नही जाता सोचने की बात है कि इतने वर्षों बाद भी इस मार्ग कों दुरस्त नहीं किया गया।
अधिवक्ता उपेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि गांव से सतना शहर में जुड़ने यह मार्ग प्रमुख है प्रतिदिन यहां कई दर्जनों स्कूलो छात्र व शिक्षकों व्यापारियों का आवागमन होता है । जिनको निकलने भारी समस्या होती है ।
डॉ बसंत तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जरूरत इस बात की है कि ऐसी सड़कों पर सरकार पहले ध्यान दें और प्राथमिकता के साथ इसे दुरुस्त कराएं ताकि गांव और शहर की दूरियां सिमट सके।