उप पंजीयक के करतूतों की जांच के लिए टीम गठित असिंचित जमीन से जुड़ा है मामला

सिंगरौली ।। उप पंजीयक दफ्तर में मची भर्रेशाही को लेकर सांसद के निर्देश पर अपर कलेक्टर डीपी वर्मन ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर 4 दिसम्बर के अंदर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किया था। किन्तु अभी तक जांच शुरू ही नहीं की गयी है, बल्कि आदेश को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया है।

दरअसल आरोप है कि उप पंजीयक दफ्तर में ग्रामीण अंचलों के भूमियों के क्रय में व्यापक पैमाने पर खेल खेला जा रहा है। दफ्तर में सक्रिय दलालों द्वारा क्रेता, विक्रेताओं को जमकर चूना लगाया जा रहा है। वहीं ग्रामीण अंचलों के भूमि खरीदने वाले क्रेताओं को टेबल के नीचे से भारी भरकम नजराना देना पड़ रहा है। आरोप है कि खसरा के कालम नं.12 कैफियत में निरंक लिखा है तो उप पंजीयक दफ्तर के द्वारा उसे सिंचित मान लिया जा रहा है। भूमि के क्रय करने वाले व्यक्तियों से सिंचित का स्टाम्प शुल्क लगाने के लिए दबाव बनाया जाता है और इसके बाद यहीं से बड़ा खेला हो रहा है। सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि दलाल क्रेता, विक्रेताओं से तालमेल बनाकर अंतत: निरंक को सिंचित ही मानकर नजराना में 50-50 कर लेते हैं।
यह गोरखधंधा कई महीने से चल रहा है। पिछले 20 अक्टूबर को सांसद रीती पाठक का सिंगरौली में प्रवास हुआ था। इस दौरान उनके यहां शिकायतें भी पहुंची थी और मीडिया कर्मियों ने इसी आधार पर सवाल भी किया था। जिस पर सांसद रीती पाठक ने तत्कालीन कलेक्टर राजीव रंजन मीना को निर्देशित कीं थीं की इसकी जांच के लिए टीम गठित करें। सांसद के निर्देशानुसार अपर कलेक्टर डीपी वर्मन ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित किया है। जिसमें अभिषेक सिंह परिहार जिला पंजीयक, रमेश कोल तहसीलदार सिंगरौली नगर एवं दिवाकर सिंह सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख सिंगरौली टीम में शामिल हैं। अपर कलेक्टर ने निर्देशित किया था कि 4 दिसम्बर के अंदर जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। हैरानी की बात है कि अभी तक उक्त मामले की जांच शुरू ही नहीं की गयी है। चर्चा है कि जांच टीम में शामिल पंजीयक भी कोई रूचि नहीं ले रहे हैं। वहीं जांच टीम के सदस्य तहसीलदार रमेश कोल ने बताया कि अपर कलेक्टर कार्यालय से पत्र प्राप्त हुआ है जल्द ही जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा।