सतना,मध्यप्रदेश(Satna News)।। सतना हिन्दु धर्मग्रंथों के अनुसार गौमाता (goumata) में सभी देवी-देवताओं का वास होता है लेकिन बारिश के सीजन में इनकी दर्दभरी कहानी नजर आती है। सतना-मैहर जिले में लगभग 50 हजार से अधिक गौवंश आवारा हैं। जबकि गौशालाओं में रहने वाले पशुओं करोड़ों रुपए का अनुदान दिया जाता है इसके बाद भी गौवंश सड़कों पर है।
एक तरफ जहां आवारा गौवंश ने किसानों की नींद हराम कर रखी है वहीं दूसरी तरफ सड़क पर गौवंश होने से दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ रही है। पिछले पांच सालों में सरकार ने 100 गौशालाएं भी नहीं खोल पाई।
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जानकारी के अनुसार सतना-मैहर जिले में स्वीकृत गौशालाओं की संख्या 124 है जिसमें से लगभग 59 गौशालाएं ही पूर्ण हो पाई हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना 2018-19 में चलाई गई थी जिसके अन्तर्गत आवारा पशुओं के लिए गौशालाएं खोली जानी थी। मनरेगा व स्व सहायता समूह के माध्यम से ये गौशालाएं संचालित हो रही हैं।
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किसानों की फसलों को नुकसान
अन्न दाताओं की हालत सबसे खराब है, दिन-रात मेहनत कर- के भी किसान अपनी फसलों को आवारा गौवंश से नहीं बचा पा रहे हैं। बारिश के सीजन में भी किसानों को रतजगा कर फसलों की सुरक्षा करनी पड़ रही है। किसानों की फसल आवारा पशु खा जाते हैं, महंगी खाद-बीज और दवाइयों का खर्च कर्ज बढ़ा देता है।
स्मार्ट सिटी की सड़कों पर भी आवारा पशु
सतना स्मार्ट सिटी की सड़कों में भी आवारा गौवंश डेरा डाले रहते हैं। न तो हांका गैंग सड़कों से इन्हें हटाता है और न ही नेशनल हाइवे में बैठने वाले आवारा पशुओं पर रेडियम पट्टी लगाई जाती है। इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता है जो दो पहिया वाहन से चलते हैं।और सड़कों पर अवारा पशु होने के कारण आये दिन दुर्घटना होती रहती है।
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इस कारण हो गए आवारा नश्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन न बढ़ना
- खेती में काम आने वाले पशुओं का काम बंद
- पशुओं के लिए भूसे- चारे की समस्या
- पर्याप्त गौशालाएं नहीं होने से सड़कों में बैठते हैं पशु
- टैगिंग से पशु मालिकों की पहचान नहीं
फैक्ट फाइल
- सतना-मैहर जिले में कुल गौवंश: 8 लाख 24 हजार
- आवारा लगभग 50 हजार से अधिक
- मुख्यमंत्री गौशालाओं की संख्या: 59
- मुख्यमंत्री गौशालाओं में पशु संख्या: 5900
स्वयंसेवी संस्थाओं की गौशालाएं: 16
- स्वयंसेवी संस्थाओं में गौवंश 7 हजार 819 से अधिक
वाहनों की ठोकर से बेमौत काल के गाल में समा रहे
हाइवे में आवारा पशु बड़े वाहनों की ठोकर से बेमौत काल के गाल में समा रहे हैं। वहीं बारिश के सीजन में उन्हें कहीं भी ठौर नहीं मिलती है, जगह- जगह किसी के दरवाजे बैठने पर भगा दिए जाते हैं। कई बार छोटे-छोटे बछड़ों को कुत्ते नोंचते रहते हैं।