क्या आप सोच सकते हैं कि कभी 1940-50 में मिट्टी के तेल- Kerosene- का भी विज्ञापन आया करता था.?

Mohammed Rafi sang for kerosene ad : क्या आप सोच सकते हैं कि कभी मिट्टी के तेल का भी विज्ञापन आता था, और उसके लिए बाकायदा गीत गाया गाए गए। वो भी किसी गुमनाम गायक ने नहीं, बल्कि मोहम्मद रफी ने। हम आपके लिए आज वही दुर्लभ गीत लेकर आए हैं जो मो.रफी ने केरोसिन विज्ञापन के लिए गाया था।

आज की पीढ़ी के लिए ये समझना काफी मुश्किल होगा कि कभी केरोसिन तेल एक बहुमूल्य वस्तु हुआ करता था। पहली बात तो उसकी उपलब्धता इतनी आसान नहीं थी। एक समय तो केरोसिन की कालाबाजारी भी काफी अहम मुद्दा थी। उस जमाने में दीपक जलाने या फिर खाना पकाने के लिए इसी का उपयोग होता था। ऐसे में मिट्टी के तेल पर निर्भरता बहुत थी। ज़ाहिर सी बात है जिस वस्तु का जितना महत्व होगा, बाजार में उसकी मांग भी उतनी ही होगी। ऐसे में बाजार का नियम हर देश काल में लागू होता है। तो मिट्टी का तेल बेचने के लिए भी विज्ञापन बनते थे और ये गीत जो हम आपके लिए लेकर आए हैं, ये 1940 से 1950 के दशक का है। वो रेडियो का ज़माना था और उस समय गीतों के जरिए लोगों तक पहुंचना सबसे सटीक माध्यम था।
इस गीत में हम सुन सकते हैं कि मो. रफी बर्मा शैल (Burma Shell) कंपनी के केरोसिन के लिए जिंगल गा रहे हैं। ये जिंगल नहीं, बल्कि बाकायदा तीन मिनिट से बड़ा गीत है। इसमें गायक बर्मा शैल कंपनी का बखान करते हुए उसके गुण बता रहे हैं। इस गीत के रोचक टुकड़ों में कल्लू काका, नत्थू नाई, चौधरी चंपतराम, चौधरानी, मिश्रानी, नाउन जैसे चरित्रों के जरिए उस समय के जीवन और उसमें केरोसिन के महत्व को दर्शाया गया है। इससे पता चलता है कि उस समय केरोसिन के भी अलग अलग ब्रांड्स रहे होंगे। बर्मा शेल कंपनी ने ने मिट्टी के तेल के आयात और विपणन के साथ अपना परिचालन शुरू किया था। यह कंपनी भारत के दूर-दराज के हिस्सों तक पहुंचने के लिए कैन में केरोसिन, डीजल और पेट्रोल की मार्केटिंग भी करती थी और ये विज्ञापन गीत उसी मार्केटिंग स्ट्रेटजी का हिस्सा था।