Dhanteras : इस धनतेरस पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग,जाने खरीददारी एवं पूजा करने का शुभ मुहूर्त

Satna Times : कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन त्रयोदशी या धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस बार धनतेरस पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषविद बताते हैं कि कृष्ण कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन त्रयोदशी या धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस बार धनतेरस पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। कृष्ण त्रयोदशी के ही दिन भगवान धनवंतरि का प्राकट्य हुआ था। उनके प्राकट्योत्सव के कारण इस पर्व का नाम धनतेरस पड़ा। इस त्योहार का दूसरा महत्व यम दीपदान को लेकर है। इस दिन संध्या के समय प्रदोषकाल में मुख्यद्वार पर यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है।

धनतेरस पर विशेष रूप से नए बर्तन, सोना, चांदी, आभूषण, नए वस्त्र और गृह-सज्जा का समान खरीदना शुभ माना गया है। धनतेरस का दिन परमसिद्ध मुहूर्त होता है। इस दिन नींवपूजन, गृहप्रवेश, नए घर की बुकिंग, बिजनेस डील और नए वाहन की खरीदारी भी बहुत शुभ मानी गई है। इस बार धनतेरस पर सुबह से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो जाएगा, जो पूरे दिन और रात्रि तक रहेगा। दोपहर 2:30 बजे से अमृत सिद्धि योग भी शुरू होगा।
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धनतेरस पर सुबह 7.51 बजे से दोपहर 12 बजे के मध्य चर, लाभ और अमृत के शुभ चौघड़िया मुहूर्त रहेंगे, जो खरीदारी करने के लिए बहुत शुभ समय होगा। इसके बाद दोपहर 1:30 से 3 बजे के बीच भी शुभ चौघड़िया में खरीदारी के लिए शुभ समय होगा। इसके बाद शाम 6 बजे से रात 10:30 बजे के बीच भी पुनः चर, लाभ और अमृत के शुभ चौघड़िया मुहूर्त होंगे, जिनमें खरीदारी का शुभ समय होगा।
खरीदारी का शुभ मुहूर्त
सुबह : 7:51 से दोपहर 12 बजे तक लाभ अमृत चौघड़िया
दोपहर : 1:30 से 3 बजे तक शुभ चौघड़िया
शाम 6 से रात 10:30 बजे तक चर, लाभ अमृत चौघड़िया
राहुकाल में न करें खरीदारी : दिन शाम 4:30 बजे से 6 बजे तक राहुकाल
धनतेरस पर पूजन
धनतेरस पर शाम 6 बजकर 3 मिनट पर त्रयोदशी समाप्त हो रही है, इसलिए शाम 6:03 से पहले ही पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा। शाम 5:40 बजे से शुभ चौघड़िया भी शुरू हो जाएगा, इसलिए धनतेरस पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5:40 से 6:03 तक रहेगा। जो व्यक्ति इस मुहूर्त में धनतेरस पूजन ना कर पाएं, वे इस समय के बाद भी पूजन कर सकते हैं क्योंकि पूरे दिन त्रयोदशी तिथि व्याप्त है।
श्री नाथ प्रपन्नाचार्य जी महाराज