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सफलता की कहानी : छत की बगिया करा रही प्रकृति के पास रहने का अहसास

सतना ।। जिले के कोठी में जहां पौधों व पर्यावरण से इतना लगाव की घर की छत को बगीचे में बदल दिया। लगातार किए जाने वाले प्रयास का परिणाम सुखदायी होता है। कभी-कभी असंभव लगने वाली चीजें भी संभव होती दिखती है। केशव सिंह को बचपन में पौधे लगाने का शौक क्या हुआ कि जनाब ने अपने घर की छत को ही बगीचा बना दिया। रासायनिक उर्वरकों से तैयार बाजार में बिक रही सब्जी के नुकसान को देखते हुए छत पर ही सब्जियों की खेती शुरू कर दी।

जहां आर्गेनिक खाद डालकर सब्जी का स्वाद पूरा परिवार चख रहा है, वहीं पास-पड़ोस के लोग भी गमले में उगी सब्जियों को स्वादिष्ट बता रहे हैं।
कोठी में केशव सिंह ने अपने घर की छत को ही बगिया बना दिया है। फूलों के साथ-साथ सब्जियों की भी पैदावार शुरू हो गई है। छोटे से कस्बे में लोग सोच भी नहीं सकते कि छत पर बगिया बन सकती है, लेकिन उनके लगातार प्रयास और पर्यावरण के प्रति प्रेम ने इसको संभव बना दिया। जब पूरे देश में लोग कोरोना काल के समय आक्सीजन की भारी कमी को देख चुके हैं और पौधारोपण पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में केशव सिंह जी की मेहनत की बगिया मिसाल है। वह लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

केशव सिंह बताते हैं कि वह पौधों की वृद्धि के लिए किसी भी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग करते हैं। रसोई का वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल भी पौधों के लिए करते हैं। इससे दो फायदे होते हैं। पौधों को देसी खाद मिलता है और रसोई से निकलने वाले गीले कचरे से बाहर गंदगी नहीं होती।केशव सिंह कोठी बस स्टैंड में कपिल मेडिकल स्टोर के नाम से मेडीकल स्टोर चलाते है। केशव सिंह ने कोठी में मकान 12 साल पहले बनवाया है। घर की छत पर करीब 400 पौधों की बगिया बनाई है, जिसमें कई प्रकार की सुगंधित फुलवारी में बेला, चमेली, गुलाब के अलावा गुड़हल, क्लांचु, सदाबहार, कन्नेर व अन्य प्रकार के पौधे हैं। ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने वाले एरिका, पाम, स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, बैंबू प्लांट, पारिया, आमला, शमी के अलावा फलदार पौधों में अमरूद, आम, केला, नीबू, मौसमी, चीकू, संतरा, पपीता, अंजीर, माल्टा तथा सब्जियों में मिर्च, शिमला मिर्च, गोभी, खीरा, तोरई, लौकी, बैंगन, करेला, काशीफल, पालक, खरबूज, तरबूज व अन्य पौधे छत पर लगाए हैं।
केशव सिंह प्रतिदिन करीब तीन घंटे पौधों की देखभाल में बिताते हैं। सुबह शाम को एक-एक पौधे की देखरेख करते हैं। पौधों में पानी देना, उनकी कटाई-छंटाई करना। बोन साइज पौधे का आकार कैसे बनाया जाए? इसका पूरा ध्यान रखते हैं। अब तो वे खुद ही गमले में पौधे लगाकर गार्डनिग करते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी भी पूरा सहयोग करती हैं। गमलों से छत के साथ दीवार भी निखर उठी। उन्होंने बताया कि छत व दीवार पर बोतल के छोटे-छोटे गमले बनाकर लगा दिए। इसमें फूलदार विविध प्रकार के पौधे लगाए हैं। इससे दीवार निखर उठी। अब जो भी छत पर आता है। उसकी नजर सबसे पहले दीवार पड़ ही पड़ती है। इसमें विविध प्रकार के लगे फूल से दीवार निखर उठी है।
केशव सिंह का कहना है कि प्रकृति के करीब रहने पर सुखद अहसास होता है। आक्सीजन स्तर दुरुस्त बना रहता है और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। यहां तक कि पेड़-पौधों के साथ जुड़ाव रहने और उनकी देखभाल करते रहने से मानसिक तनाव भी दूर हो जाता है। प्रयास रहता है कि घर पर ही प्राकृतिक नजारा मिल सके। सभी लोगों को पौधारोपण अवश्य करना चाहिए। साथ ही पौधों की देखभाल भी करनी चाहिए।

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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