मध्यप्रदेशसतना

एह शरीर ब्रह्म में नहीं है, ब्रह्म जो एहदे विच बोले संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित सप्ताहिकी सत्संग

सतना ।। संत निरंकारी सत्संग भवन कृष्ण नगर ब्रांच सतना में आयोजित सत्संग में महात्मा जी ने सतगुरु माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव सिंह जी का पावन संदेश देते हुए फरमाया कि निरंकार पारब्रह्म परमात्मा को मन में बसा कर जो जीवन जीता जाता वह प्रेम से भरपूर होता है! ईश्वर निरंकार पारब्रह्म परमात्मा ही सभी सुखों का प्रेम का परम स्त्रोत् है! परमात्मा के एहसास में व्यतीत किया गया हर पल, हर क्षण आनंद से भरपूर होता है,

ऐसा जीवन सहज एवं सरल होता है !जैसे कबीर दास जी ने कहा है कि” सहज- सहज सब कोई कहे, सहज न जाने कोय “अर्थात परम सहज परमात्मा को जानने से ही जीवन में सहजता आती है! इंसान जब इस सृष्टि के कण-कण में विद्यमान निरंकार पारब्रह्म परमात्मा का बोध सतगुरु की शरण में जाकर समर्पित होकर हासिल करता है एवं अपने मन का नाता इससे जोड़कर जीवन जीता है तो जीवन में स्थिरता आती है परम- संतोष का भाव जागृत होता है परम- आनंद की अनुभूति होती है !
महात्मा जी ने आगे फरमाते हुए कहा कि शहंशाह बाबा अवतार सिंह ने अवतार वाणी के पद एह शरीर भ्रम नहीं है, ब्रह्म जो एह दे विच बोले के माध्यम से ब्रह्म और माया के विषय में समझा रहे हैं कि. यह शरीर भ्रम नहीं है यह शरीर तो पांच तत्वों का पुतला मात्र है यह नश्वर है नष्ट होने वाला है संत समझाते हैं कि जो कुछ भी दृष्टि मान है वह माया है जो कुछ भी मन बुद्धि और इंद्रियों से समझ में आए वह माया है प्रतिक्षण बदलने वाली भी माया ही है. ब्रह्म मन बुद्धि व समझ के पार का विषय है इसे मन व बुद्धि से पाया नहीं जा सकता सतगुरु की कृपा से ही इंसान को ब्रह्म का बोध होता है!
माया के विषय में सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज समझाते थे कि हर वह वस्तु व कारण जो हमें सत्संग से दूर करें, अलग कर. वह माया है किसी ज्ञानी महात्मा ने कहा कि “समझ से समझ आ जाए नजर से नजर आ जाए खुदा वह हो नहीं सकता “ कठोपनिषद में समझाया गया है कि यह परमात्मा शरीर रहित हो. के भी शरीरों में विद्यमान है गुरु वाणी में गुरु साहिबान समझाते हैं कि इस परमात्मा में लाखों -लाख आकाश लाखों- लाख पाताल सारा ब्रह्मांड इससे समाया है सारी सृष्टि का रचयिता यह है और पालनहार भी यह स्वयं है !
महात्मा जी ने. आगे फरमाया कि इंसान ब्रह्म और माया की जानकारी केवल सतगुरु की कृपा से कर पाता है सतगुरु की कृपा से प्रदत ब्रह्मज्ञान को माध्यम बना जो बंदे प्रभु निरंकार परमात्मा का स्मरण करते हैं वही इस संसार के सच्चे साह है! अंत में महात्मा जी ने सबके भले की कामना की यानी हर इंसान के जीवन में सुख और समृद्धि हो जीवन में खुशहाली हो सारे संसार का भला हो!

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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