एक ओर जहां पूरे देशभर में दशहरे पर रावण दहन किया जाता है, वहीं सतना जिले में एक ऐसा गांव है जहां रावण की पूजा की जाती है. यहां पुतले की नहीं बल्कि प्रतिमा की पूजा होती है. बताया जाता है कि यह प्रतिमा ढाई सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है.
सतना मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर है कोठी कस्बा. यहां 10 सिरवाले रावण की यह प्रतिमा है. कोठी के रहनेवाले रमेश मिश्रा अपने आप को रावण का वंशज बताते हैं. वे पिछले 40 साल से बड़े धूमधाम से विजयादशमी के दिन रावण की पूजा करते चले आ रहे हैं. इस बारे में रमेश मिश्रा ने बताया
यह भी पढ़े – दशहरे के दिन की यह खास मान्यता, निभाएं यह परंपरा, मिलेगा शुभ प्रभाव
कि पांच पीढ़ियों से हम रावण की पूजा कर रहे हैं. वे बताते हैं कि यहां रावण की प्रतिमा 260 साल से अधिक पुरानी है.पहले रावण की पूजा दीपक जलाकर सामान्य रूप से की जाती थी, लेकिन अब हम 40 साल से ढोल-नगाड़े के साथ घर से पूजा की थाली लेकर निकलते हैं और कोठी थाने के अंदर स्थापित रावण की प्रतिमा के पास पहुंचकर उनको जल से स्नान कराकर जनेऊ, चंदन, दीपक और अगरबत्ती जलाकर बड़े धूमधाम से उनकी पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरण करते हुए अपने घर लौट जाते हैं.