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Singrauli News : गायब धान को लीपापोती करने की शुरू हुई कवायदें!,खाद्य से लेकर नागरिक आपूर्ति अमले की भूमिका संदिग्ध

सिंगरौली ।। सेवा सहकारी समिति कुसाही में तकरीबन 700 क्विंटल धान के अचानक गायब होने के उपरांत सनसनीखेज खुलासे के बाद सहकारिता एवं सोसायटी में हड़कम्प मचा हुआ है। गायब धान पर पर्दा डालने की कवायदें भी जारी हो गयी हैं। धान को कैसे मर्ज करें इसके लिए समिति प्रबंधक खूब इधर-उधर हाथ-पैर चला रहा है। वहीं इस पूरे मामले में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग अमले की भूमिका को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किये जा रहे हैं।

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दरअसल धान उपार्जन सत्र 2022-23 में सिंगरौली जिला इस बार फिर निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा समर्थन मूल्य के तहत खरीदी कर लिया है। जबकि धान की बोनी इस वर्ष 50 फीसदी भी नहीं हुई है। फिर अचानक खरीदी केन्द्रों में धान कहां से आ गयी। सूत्र इसके पीछे कई जानकारियां मुहैया करा रहे हैं। चर्चाओं के मुताबिक झारखण्ड एवं यूपी से धान चोरी-चुपके जिले के कई तथाकथित केन्द्रों में खपाई गयी। इसकी भनक कुछ अधिकारियों को लगी। इसके बावजूद कार्रवाई करने से परहेज करने लगे।

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जबकि प्रमुख सचिव खाद्य आपूर्ति ने जिले के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि किसी भी हालत में दूसरे प्रांत से धान जिले में नहीं आनी चाहिए। प्रमुख सचिव के सख्त निर्देश के बावजूद जिले का संबंधित विभाग के अमले ने गंभीरता से नहीं लिया। लिहाजा झारखण्ड एवं यूपी प्रांत से एमपी के सिंगरौली जिले में खूब धान खपाई गयी और यह धान रणनीति पूर्वक परिवहन कराया गया। सूत्र एवं चर्चाओं के मुताबिक सबसे पहले दूसरे प्रांत से आने वाली धानों को केन्द्रों में खपाया गया और अपने चहेते चिन्हित किसानों की धान बताकर उनके खाते में रकम भी हासिल करा लिये। यह सब खेल चुनिंदा चर्चित तथाकथित समिति सेवकों ने किया है। जिसके बारे में खण्ड स्तर के अधिकारी भी भली-भांति जानते हैं।

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उधर चितरंगी ब्लाक के सेवा सहकारी समिति कुसाही में 700 क्विं टल धान के गायब होने के बाद सहकारिता विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है। हालांकि यह सब विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है। सवाल उठाया जा रहा है कि पूरे समितियो ंके धान का परिवहन पिछले सप्ताह ही हो चुका है। कुसाही समिति की धान अब तक परिवहन क्यों नहीं हुआ। जिम्मेदार अधिकारी मानीटरिंग करने से कतराते क्यों रहे। कहीं न कहीं अधिकारी समिति प्रबंधक पर बड़ा दिल दिखा रहे थे। फिलहाल इस बात की चर्चा सहकारिता विभाग में ही चलने लगी है कि मामला उजागर हो गया है। इसके बावजूद उक्त मामले में लीपापोती की कवायदें की जा रही हैं। जिसमें एक मीलर भी शामिल है। इसके पहले भी कथित मीलर भी लंबा खेल कर चुका है। मीलर के बहाने गायब धान की पूर्ति कराने के लिए पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं।

एसडीएम के निर्देश को खाद्य अधिकारी ने डाल दिया था ठण्डे बस्ते में

12 जनवरी को तत्कालीन चितरंगी के एसडीएम सम्पदा सर्राफ ने कलेक्टर एवं खाद्य अधिकारी को पत्र लिखते हुए कुसाही समिति प्रबंध के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई किये जाने और धान उपार्जन से पृथक करने के लिए निर्देशित किया था। हैरानी की बात है कि एसडीएम का पत्र 12 जनवरी को खाद्य अधिकारी के यहां पहुंच गया और 16 जनवरी तक धान खरीदी की अंतिम तिथि थी। आरोप है कि खाद्य अधिकारी ने गुणा-भाग लगाते हुए करीब 10 दिन बाद जब धान खरीदी की तिथि समाप्त हो गयी तब उन्होंने उपायुक्त सहकारिता सिंगरौली को पत्र लिखकर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करने में जुट गये। आरोप है कि इस मामले में भी जिला खाद्य अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध बतायी जा रही है। वहीं खाद्य निरीक्षक की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। कल शनिवार को खाद्य निरीक्षक ने जिस तरह से भूमिका निभाई है ऐसे में खाद्य निरीक्षक पर भी तरह-तरह के आरोप लगने लगे हैं। समिति प्रबंधक पर हमदर्दी दिखाने की कोशिश की है। खाद्य निरीक्षक की भूमिका के संबंध में कलेक्टर को भी अवगत करा दिया गया है।

इनका कहना है
पारिवारिक कारणों से अभी मैं जिले से बाहर हूॅ। मामले के संबंध में अभी विस्तृत जानकारी नहीं है। बुधवार को जिले में आने के बाद क्या कुछ मामला है और अब तक क्या जांच पड़ताल हुई है इसके बाद ही कुछ बता पाऊंगा।
चन्द्रशेखर गोयल
प्रबंधक
नागरिक आपूर्ति अधिकारी,सिंगरौली

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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