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MP : कई प्रदेशों में फैलाई जा रही पावर प्लांटों की राख,जिम्मेदार पूरी तरह से मौन

सिंगरौली।। ऊर्जाधानी में आबाद कोयला आधारित ताप बिजली घरों की राख अब कई प्रदेशों को प्रदूषित करने लगी है। राख ट्रांसपोर्टरों द्वारा कायदे पस्त कर जो कुछ किया जा उस पर जिम्मेदारों की चुप्पी से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। यह स्थिति तब है जब राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी द्वारा गठित टीम राख व कोयले से उत्पन्न प्रदूषण व इसके रोकथाम की निगरानी कर रही है। अब तक यूपी-एमपी के सीमावर्ती क्षेत्रों के रहवासी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे थे। नियम विरुद्ध ट्रक ट्रेलरों के जरिए ओवरलोड राख परिवहन से प्रदूषण का दायरा बढ़ गया है। इसी के चलते बढ़ी आबादी की चिंता भी बढ़ गई है।

ऊर्जाधानी में स्थित ताप विद्युत गृहों से रोजाना उत्सर्जित कई हजार टन कोयले की राख पावर प्रोजेक्टों के लिए समस्या बनी है। राख उपयोग बढ़ाने के लिए जो कदम उठाए गए वही अब प्रदूषण का बड़ा कारक बन गए हैं। यहां मौजूद पावर प्लांटों के राख बांध में दशकों से जमा लाखों टन राख का उपयोग हाइवे निर्माण में किया जा रहा। राख की खेप मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के सीमांचल क्षेत्र से बिहार व झारखंड खपाई जा रही है। इसके परिवहन के लिए पावर प्रोजेक्टों ने अलग-अलग ट्रांसपोर्टरों को नियम कायदे के साथ ठेका आवंटित किया है। प्रति टन/ किलोमीटर के हिसाब से पावर प्रोजेक्ट ट्रांसपोर्टरों को भुगतान करते हैं। यही से मनमानी शुरू होती है। ट्रांसपोर्टर कम समय में अधिक राख उठा कर अच्छा मुनाफे के लिए सभी कायदे हासिए पर डाल मनमानी कर रहे हैं। यही वजह है कि केंद्रीय व राज्य सरकारों की एजेंसियों के निगरानी के बावजूद प्रदूषण का दायरा बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए एनजीटी ने ओवर साइट कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी से केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों के पिछले माह ऊर्जाधानी में प्रदूषण की जमीनी हकीकत को परखा था और नाखुशी जाहिर किया था। इसके बावजूद जिम्मेदारों का रूख पूरे मामले पर उदासीन बना है। स्थिति यह है कि ट्रक ट्रेलरों पर ओवरलोड की गई राख को हाइवे सहित उन आम सड़कों पर जहां तहां गिराया व फेंका जा रहा है जहां से आम व खास लोग गुजरते हैं।

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पानी छिड़काव नहीं होने से स्थिति भयावह

कोयले से उत्सर्जित राख को खपाने के लिए जो योजना बनाई गई उसकी जानकारी रखने वाले लोगों की माने तो योजना गलत नहीं है। लेकिन इसके लिए जो मानक तय किए उनको दरकिनार किए जाने से स्थिति भयावह होती जा रही है। ट्रांसपोर्टरों को राख उठान स्थल से लेकर सड़क तक पानी का छिड़काव करना है। इसी तरह राख भराई के बाद वाहनों की धुलाई करनी है ताकि वाहन पर भराई के दौरान जमी राख बाहर नहीं फैले लेकिन इसके नाम पर खानापूर्ति से हालात बेहाल हैं।

एनजीटी ने तलब किया वास्तविक रिपोर्ट। सिंगरौली-सोनभद्र से राख के खुले मालवाहकों से अभिवहन के मुद्दे पर पंकज मिश्रा की याचिका पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी ने वास्तविक रिपोर्ट तलब किया है। इसके लिए एनजीटी ने पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालयए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कमेटी गठित किया है। टीम राख अभिवहन से जनित गंभीर वायु प्रदुषण से संबंधित वास्तविक रिपोर्ट दाखिल करेगी। इसके लिए तीन माह का वक्त मिला है। प्रकरण की अगली सुनवाई तीन मार्च 2023 को होगी।

JAYDEV VISHWAKARMA

पत्रकारिता में 4 साल से कार्यरत। सामाजिक सरोकार, सकारात्मक मुद्दों, राजनीतिक, स्वास्थ्य व आमजन से जुड़े विषयों पर खबर लिखने का अनुभव। Founder & Ceo - Satna Times

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