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India Become Exporter of Weapons: हथियारों का आयातक नहीं निर्यातक बन रहा देश, गोला बारूद से लेकर मिसाइल तक,दुनिया देख रही भारत की धमक

India Defence Exports : भारत की रक्षा तैयारी कैसी हैं? रक्षा के उत्पादन में भारत कहां तक पहुंचा है? वैसे तो भारत एक प्रमुख सैन्य ताकत रहा है, लेकिन अब रक्षा के क्षेत्र में न सिर्फ आत्मनिर्भरता बढ़ाने की बात है साथ ही भारत को 2025 तक 5 अरब डॉलर की रक्षा अर्थव्यवस्था बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है। आत्मनिर्भर भारत की धमक का लोहा पुरी दुनिया मान रही है। आत्मनिर्भर अभियान की चमक भारत की सीमाओं को धरती से आसमान तक और समंदर की गहराइयों तक अभेद बना रही हैं।

साल 2014 में देश में सत्ता परिवर्तन के बाद मोदी सरकार ने हथियारों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कदम बढ़ाया, जिससे विदेशों से आयात होने वाले सैन्य उपकरणों पर निर्भरता कम से कम की जा सके। पिछले 7 सालों के दौरान केंद्र सरकार ने रक्षा गलियारे के निर्माण के साथ कई योजनाओं पर एक साथ काम किया जिससे स्वदेशी कंपनियों को भी एक नई ऊर्जा मिली।

मोदी सरकार का प्रयास था कि हथियारों के निर्माण के लिए देश में सबसे पहले आधारभूत ढांचे का निर्माण किया जाए, जिसमें सरकार को सफलता भी मिली। सरकार ने तेजी से इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया जिससे न केवल देश में तेजी से सैन्य उत्पादों का निर्माण संभव हो पाया साथ ही उसका निर्यात भी शुरू हुआ ।

स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार

० भारत के हथियार आयात में साल 2011-2015 और 2016-2020 के बीच एक- लगभग 33% की कमी आई है।

रिपोर्ट बताती है, सरकार ने निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं।

सरकार के प्रयासों के चलते 12,000 एमएसएमई (MSME) रक्षा उद्योग से जुड़े हैं। सरकार के इस प्रयास से सबसे बड़े आयातक रूस को बड़ा झटका लगा है।

रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण बात ये बताई गई कि भारत अमेरिका से जो हथियार खरीदता था उसमें 46 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

दुनिया का 24वां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बना भारत साल

2016-20 के दौरान वैश्विक हथियारों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.2 प्रतिशत की रही, जो कि साल 2011-15 की तुलना में 200 प्रतिशत उछाल है। भारत अपने बेहतरीन हथियारों के निर्यात के परिणामस्वरुप विश्व में 24वां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है। साल 2022-23 की पहली तिमाही में भारत ने 1,387 करोड़ रक्षा संबंधित सामग्री का निर्यात किया और साल 2021-22 में रक्षा निर्यात का आंकड़ा 12,185 करोड़ के पार रहा जो अब तक का सर्वाधिक है। साल 2020-21 की तुलना में इसमें 54.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

भारत के सैन्य उपकरणों का लाभ लेने वाले देशों में सबसे ऊपर म्यांमार, श्रीलंका और मॉरीशस का नाम है। भारत विदेशों से हथियारों की खरीद पर कमी लाने के लिए घरेलू रक्षा बाजार को ज्यादा बढ़ावा दे रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रूपए के रक्षा कारोबार का लक्ष्य साधा है।

भारत से हथियार खरीदेंगे ये देश

भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का अपने देश में निर्माण किया है. सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात यानी UAE ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। डिफेंस डील को लकेर इन दो देशों के साथ भारत की बातचीत जारी है। आत्मनिर्भर अभियान के साथ आगे बढ़ रही केंद्र सरकार चीन और पाकिस्तान को भी उसी अंदाज में जवाब दे रही है। चीन को जवाब देने के लिए भारत ने पूर्वी लद्दाख में जहां लड़ाकू विमान एलसीए तेजस, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, पिनाका राकेट प्रणाली, स्वदेशी के-4 होवित्जर तोप जैसे अत्याधुनिक तोपों की तैनाती की तो वहीं दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप से त्रस्त फिलीपींस को 2,780 करोड़ रूपए के साथ ब्रह्मोस निर्यात करने के एक बड़े रक्षा समझौते का करार किया।

वियतनाम,इंडोनेशिया,ताइवान समेत विश्व के कई देश इस मिसाइल को खरीदने के इच्छुक हैं, वहीं पूर्ण स्वदेशी आकाश मिसाइल को खरीदने के लिए भी भारत को कई प्रस्ताव मिले हैं। स्वदेशीकरण में लगी भारत सरकार ने साल 2019 में इजरायल के साथ हुए 35 हजार करोड़ के एंटी टैंक मिसाइलों के करार को ये कहते हुए रद्द कर दिया था कि वो दो साल के भीतर ठीक इसी तरह के एंटी टैंक मिसाइल के संस्करण को विकसित कर लेगा। देश के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने इसमें सफलता भी प्राप्त कर ली और 11 जनवरी 2022 को मानव-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया जो सभी मानकों पर खरा उतरा। स्थिति पूरी तरह से बदल रही है। स्वदेशीकरण के मूल मंत्र को साधकर जहां विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का निर्माण करके चुनिंदा देशों की श्रेणी में खड़ा है तो वहीं देश में ही पनडुब्बियों,मिसाइलों,हल्के युद्धक हेलीकॉप्टरों का निर्माण करके विदेशों से इनके सौदे को हमेशा के लिए बंद करने के साथ ही इनके तेजी से निर्यात के लिए भी सरकार बड़े स्तर पर कार्य में जुटी है।

भारत के लिए ये दोहरी कामयाबी है। एक तरफ जहां हथियारों के निर्यात में 228 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई वहीं दूसरी ओर दूसरे देशों से हथियारों की खरीद पर निर्भरता 33 प्रतिशत तक कम हुई है। अब भारत हथियारों के लिए दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को घटाकर आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण को लेकर बड़ा तंत्र तैयार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका कितना लाभ भारत को मिला ये आंकड़े उसका सबूत हैं।

7 सालों में इतने करोड़ रूपए के हथियारों का हुआ निर्यात

2014-15 में 1940.64 करोड़ के हथियारों का हुआ निर्यात।

2015-16 में 2059 करोड़ रूपए के हुआ रक्षा सौदे।

2016-17 में 1521 करोड़ रूपए के हथियारों का हुआ करार।

2017-18 में भारत ने 4682.36 करोड़ के हथियार बेचे।

2018-19 में भारत द्वारा 10745.77 करोड़ के हथियारों की बिक्री हुई।

2019-20 में 9115.55 करोड़ के भारतीय हथियार बेचे गए।

साल 2020-21 8,434 करोड़ रूपए के हथियारों का निर्यात किया गया।

2025 के लिए सरकार का 5 अरब डॉलर के रक्षा उपकरणों के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है।

कुल मिलाकर भारत ने पिछले 7 सालों के दौरान 70 देशों को 38,000 करोड़ रूपए के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया है। ये केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर अभियान का ही असर है कि भारत सैन्य उत्पादों का निर्यात करने वाले दुनिया के शीर्ष 25 देशों में शामिल है और आने वाले कुछ सालों में भारत हथियार निर्माण के क्षेत्र में न केवल पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएगा बल्कि उसकी गिनती विश्व के 10 प्रमुख निर्यातक देशों भी होगी।

सतना टाइम्स न्यूज डेस्क

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