इस समय भारत समेत दुनिया के कई हिस्से भूकंप के झटकों से कांप रहे हैं। हाल ही में म्यांमार में आए भीषण भूकंप में हजारों लोगों की जान चली गई। वहीं, भारत की राजधानी दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में भी बीते कुछ दिनों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। अब जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप आने की खबर ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में लोगों में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर भूकंप की तीव्रता कितनी थी और यह किस समय आया।
जम्मू-कश्मीर में रात के समय महसूस हुए झटके
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) द्वारा जारी अपडेट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में रविवार और सोमवार की दरमियानी रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई। भूकंप का केंद्र किश्तवाड़, जम्मू-कश्मीर में धरती से 10 किलोमीटर नीचे था। रात के समय आए इन झटकों ने स्थानीय लोगों में डर का माहौल बना दिया, हालांकि किसी प्रकार की जान-माल की हानि की खबर नहीं है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि किसी भी प्रकार की अफवाह से बचें और किसी आपात स्थिति में प्रशासन से तुरंत संपर्क करें।
अरुणाचल प्रदेश में भी महसूस हुए भूकंप के झटके
रविवार देर रात अरुणाचल प्रदेश में भी धरती कांप उठी। यह भूकंप रात 10:59 बजे आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी क्षेत्र में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई। भूकंप का केंद्र जमीन से 5 किलोमीटर अंदर था। अरुणाचल में भी रात के समय आए इस भूकंप ने लोगों को घबराने पर मजबूर कर दिया, हालांकि राहत की बात यह रही कि इसमें भी किसी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं आई। लगातार भूकंप के झटकों से लोगों में चिंता का माहौल बना हुआ है और लोग घरों से बाहर निकलकर खुले स्थानों पर समय बिता रहे हैं।
क्यों आते हैं भूकंप, जानिए वैज्ञानिक कारण
भूकंप आने के पीछे वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो धरती के अंदर कुल 7 टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद होती हैं। ये सभी प्लेट्स अपनी-अपनी जगह पर लगातार घूमती रहती हैं। कई बार घूमने के दौरान यह प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं और इन प्लेट्स के बीच टकराव से फ्रिक्शन यानी घर्षण पैदा होता है। इस घर्षण से ऊर्जा उत्पन्न होती है जो बाहर निकलने का रास्ता ढूंढती है। जब यह ऊर्जा बाहर निकलती है, तो धरती की सतह पर कंपन यानी भूकंप के झटके महसूस होते हैं। भारत में उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर के राज्य और कुछ हिस्से भूकंप संभावित क्षेत्रों में आते हैं, जहां इन प्लेट्स की गतिविधियां अधिक होती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को भूकंप की स्थिति में घबराने के बजाय सुरक्षित स्थानों पर जाने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।
