Madhya Pradesh : राजधानी भोपाल का मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर यानी बीएमएचआरसी अब वैज्ञानिक सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है। यहां की एटोजेनेटिक लैब को पूरे देश की चुनिंदा संस्थाओं में शामिल करते हुए भारतीय बायोडोसिमेट्री नेटवर्क (IN-BioDoS) का हिस्सा बनाया गया है।
रेडिएशन आपदा में अब देगा वैज्ञानिक सहायता
इस उपलब्धि के बाद बीएमएचआरसी की यह लैब किसी भी रेडिएशन आपदा के समय उसके प्रभाव की वैज्ञानिक जांच करेगी। इसके आधार पर यह तय किया जाएगा कि लोगों पर विकिरण का कितना असर पड़ा है और किस तरह की चिकित्सा की आवश्यकता होगी। ऐसे गंभीर हालातों में यह लैब जान बचाने में अहम भूमिका निभाएगी।
मध्य भारत का पहला संस्थान बना बीएमएचआरसी
इस नेटवर्क में शामिल होकर बीएमएचआरसी मध्य भारत का पहला और एकमात्र संस्थान बन गया है जिसे यह प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है। यह इस क्षेत्र के लिए गौरव की बात है क्योंकि अब यहां ऐसी तकनीक और सुविधा मौजूद होगी जो अब तक सिर्फ बड़े राष्ट्रीय संस्थानों तक सीमित थी।
आवश्यक प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक की सुविधा
बीएमएचआरसी को IN-BioDoS का हिस्सा बनने के साथ ही विशेष प्रशिक्षण और अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी। वैज्ञानिकों की टीम अब विकिरण मापन, डीएनए डैमेज जांच और उससे संबंधित दवाओं की सटीकता का परीक्षण कर सकेगी। इससे न केवल भोपाल बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए यह बड़ा राहत केंद्र बन सकता है।
आपदा प्रबंधन में बढ़ेगी क्षमता
रेडिएशन आपदा किसी भी समय हो सकती है और ऐसे में बीएमएचआरसी की यह लैब देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती देगी। जैविक रूप से रेडिएशन के प्रभाव को पहचानने की यह क्षमता आपदा प्रबंधन में तेजी लाएगी और अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
