Gurugram Murder Case: हरियाणा के गुरुग्राम में एक दर्दनाक घटना ने पूरे समाज को चौंका दिया है। एक होनहार टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या उसके अपने पिता ने कर दी और वजह सुनकर हर किसी का दिल कांप गया। राधिका की हत्या इसलिए हुई क्योंकि समाज के ताने पिता को बर्दाश्त नहीं हुए। यह वही समाज है जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करता है लेकिन जब कोई लड़की आगे बढ़ती है तो उसे ताना देकर तोड़ देता है। इस एक हत्या ने दिखा दिया कि लड़कियों की बराबरी की बातें आज भी कितनी खोखली हैं।
खेल से चोट लगी तो बनाई अपनी अकादमी
राधिका यादव एक स्टेट लेवल टेनिस खिलाड़ी थी और उसने अपने खेल से कई मेडल भी जीते थे। लेकिन एक कंधे की चोट ने उसके करियर को रोक दिया। पर उसने हार नहीं मानी और खेल से जुड़ी अपनी खुद की टेनिस अकादमी शुरू कर दी। यह अकादमी धीरे-धीरे चलने लगी और उसके जरिए कई नए खिलाड़ी तैयार हो रहे थे। राधिका मेहनत से कमाई कर रही थी और अपने परिवार को भी सहयोग दे रही थी। लेकिन यही बात समाज को नागवार गुजरी और लोगों ने राधिका के पिता दीपक यादव को ताना मारना शुरू कर दिया कि वो बेटी की कमाई खा रहा है।
पिता ने बेटी को मारा मां के जन्मदिन पर
यह घटना 10 जुलाई की सुबह की है। राधिका की मां मंजू यादव का जन्मदिन था लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। ऐसे में राधिका रसोई में खाना बना रही थी। तभी सुबह करीब 10:30 बजे उसके पिता दीपक यादव ने पीछे से आकर 32 बोर के लाइसेंसी रिवॉल्वर से उसकी पीठ पर तीन गोलियां मार दीं। राधिका की मौके पर ही मौत हो गई। यह सब उस समय हुआ जब घर में कोई और नहीं था। राधिका गुरुग्राम के वजीराबाद गांव की रहने वाली थी जो सेक्टर 57 के पास स्थित है।
तानों ने खत्म कर दी एक होनहार बेटी की जिंदगी
राधिका का परिवार पहले खुश था। पिता किराए की दुकान पर काम करते थे और राधिका की अकादमी से भी अच्छी कमाई हो रही थी। लेकिन जैसे-जैसे समाज के ताने बढ़े वैसे-वैसे पिता का मन खराब होता गया। उन्हें बार-बार यह सुनना पड़ता था कि वह बेटी की कमाई खा रहे हैं। इस बात ने उनकी आत्मा को अंदर से घुना दिया। उन्होंने राधिका से कहा कि वह अकादमी बंद कर दे लेकिन राधिका ने अपने सपनों से समझौता नहीं किया। यही बात पिता को इतनी नागवार लगी कि उन्होंने अपनी ही बेटी की जान ले ली। यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं है बल्कि पूरे समाज पर एक सवाल है कि क्या हम सच में लड़कियों को आगे बढ़ते देख सकते हैं या सिर्फ नारे लगाना जानते हैं।
