सिंगरौली ।। जिले के आदिवासी विकास विभाग में अधीक्षकों का टोटा है। जिले में संचालित करीब दो दर्जन शिक्षा विभाग के शिक्षकों को अधीक्षक का प्रभार सौंपा गया है। हालांकि उन्हें पठन-पाठन से मुक्त नहीं किया गया है। ऐसा दावा शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।
दरअसल जिले में जनजातीय कार्य विभाग के करीब 86 छात्रावास हैं जिसमें जनजातीय महाविद्यालयीन बालक-बालिका छात्रावास, जिला-खण्ड स्तरीय उत्कृष्ट जनजातीय बालक, कन्या छात्रावास, जनजातीय बालक-बालिका जूनियर, सीनियर छात्रावास के साथ-साथ जनजातीय बालक, मिश्रित बालक, मिश्रित आश्रम जनजातीय कन्या आश्रम, विशिष्ट संस्था जनजातीय कन्या, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अनुसूचित जाति महाविद्यालयीन बालक-बालिका छात्रावास, अजा सीनियर, जूनियर बालक-बालिका छात्रावास संचालित हैं। जिनकी संख्या 86 है। किन्तु 86 मे से दो दर्जन छात्रावास व आश्रमों में ट्रायबल विभाग के पास स्थायी विभागीय अधीक्षक नहीं हैं। ऐसे छात्रावास आश्रमों में शिक्षा विभाग के शिक्षकों को अधीक्षकीय प्रभार सौंपा गया है। शिक्षा विभाग के शिक्षकों को यह जिम्मेवारी आज से नहीं कई वर्षो से आदिवासी विकास विभाग के द्वारा सौंपी गयी है। जहां चर्चा है कि शिक्षकों का अधिकांश समय छात्रावास व आश्रमों के देख-रेख में ही निकल जा रहा है। पठन-पाठन के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। जिसके चलते छात्र-छात्राओं का भविष्य भी अंधकार की ओर जा रहा है। आदिवासी विकास विभाग भले यह दावा करे कि शिक्षक केवल अधीक्षकीय काम ही कर रहे है पठन-पाठन कार्य में कोई रोड़ा नहीं डाला गया है। उन्हें केवल अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। स्टाफ की कमी के चलते ऐसी व्यवस्था बनायी गयी है। शिक्षकों को स्पष्ट कहा गया है कि वे पठन-पाठन के कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें। फिलहाल आदिवासी विकास विभाग में पर्याप्त स्टाफ न होने, शिक्षा विभाग के शिक्षकोंं को अधीक्षकीय प्रभार सौंपे जाने को लेकर विद्यालयीन पठन-पाठन पर प्रभाव दिख रहा है। कक्षा 1 से लेकर 8 वीं तक की प्रथम एवं द्वितीय त्रैमास की रैकिंग खिसकी है। गे्रडिंग में भी जिला बी से सी केटेगरी में पहुंचा है। जिसको लेकर भोपाल स्तर तक किरकिरी हो रही है।
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कई अधीक्षकों पर सहायक आयुक्त की दरियादिली
जनजातीय कार्य विभाग सिंगरौली के सहायक आयुक्त ने कई अधीक्षकों पर दरियादिली दिखाया है। ऐसे कई अधीक्षक हैं जिन्हें कई आश्रम व छात्रावासों का प्रभार सौंपा गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दंगल सिंह को जनजातीय महाविद्यालयीन बालक छात्रावास बरका एवं धौहनी का प्रभार है। वहीं रामानुज साकेत को पंजरेह सीनियर, जूनियर बालक का अधीक्षक प्रभार है। अधीक्षिका एगसिया देवी के पास कन्या छात्रावास बैढऩ, क्रमांक-2 बैढऩ, अजा कन्या बैढऩ को प्रभार का जिम्मा दिया गया है। एक नहीं इन्हें 4 छात्रावासों का अधीक्षक बनाया गया है। इसके अलावा शरद रावत के पास जनजातीय जूनियर बालक छात्रावास नैकहवा एवं बर्दी छात्रावास का प्रभार है। नैकहवा एवं बर्दी की दूरी करीब 70 किमी से ज्यादा है। एक साथ दोनों छात्रावासों का देखभाल कैसे करते होंगे इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
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छात्रावासों में नहीं ठहरते अधीक्षक,बेपटरी पर व्यवस्थाएं
शासन का भी निर्देश है कि अधीक्षक हरहाल में रात छात्रावास व आश्रमों में ही गुजारें। किन्तु कई ऐसे अधीक्षक हैं जिनके पास दो से चार छात्रावासों का प्रभार है वे रात में किस छात्रावास में रहें यह तय नहीं कर पाते। अधीक्षक शरद रावत उदाहरण भी है। वे नैकहवा जनजातीय जूनियर बालक छात्रावास के अधीक्षक हैं। साथ ही बर्दी छात्रावास का भी अतिरिक्त प्रभार है। दोनों छात्रावासों की दूरी करीब 70 किमी है। ऐसे में रात के समय अधीक्षक किस छात्रावास में ठहरें। वहीं अन्य कई अधीक्षकों के पास भी दो से तीन छात्रावासों का प्रभार सौंपा गया है। ऐसे हालात में जिले के कई छात्रावासों की व्यवस्थाएं बेपटरी पर हैं। यहां ठहरने वाले बच्चों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।