रामगंजमंडी। राजकीय हीराभाई उच्च माद्यमिक विधालय से जुड़े सब्जीमंडी के निकट संचालित होने वाले छात्राओं के मिडिल स्कूल में शनिवार को दूसरी बार कोबरा साप घुस आया। गत शनिवार को आया यह कोबरा कुछ घंटे बाद वापस चला गया, लेकिन इस बार उसे जाता हुआ नहीं देखने से विधालय प्रशासन की मुसीबत बढ़ी हुई है।
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Snake News: एक सप्ताह में दूसरी बार स्कूल में घुस आया कोबरा, मचा हड़कंप
रामगंजमंडी मे सब्जी मंडी व भारतीय डाकघर की दीवारों के बीच वाले हिस्से में बालिकाओं का यह विद्यालय संचालित होता है जिसमें करीब दो सो छात्राएं कक्षा 8वीं तक पढ़ने पहुंचती हैं। विद्यालय की कार्यवाहक सरिता शर्मा है। जानकारी अनुसार स्कूल का पीछे का हिस्सा एक खेत से जुड़ा हुआ है जिसमें हवा रौशनी के लिए खिड़की लगी हुई है।लकड़ी की इस खिड़की मे छेद है और पीछे खेत वाले हिस्से मे बल्लिया रखी हुई हैं, जिस पर चढ़कर कोबरा सांप स्कूल की खिड़की के सहारे अंदर आता है। गत शनिवार को यह सांप आया कुछ समय बाद वापस खिड़की से होकर बाहर निकल गया।इस बार शनिवार को यह सांप अंदर देखा गया पर उसे वापस जाते हुए किसी ने नहीं देखा। नोडल प्रभारी प्रभुलाल कारपेंटर ने बताया की गत शनिवार सांप को रेस्कू करने की बात हुई थी। 2500 रुपये इस कार्य के लिए मांगे थे बाद मे पांच हजार मांगे। उन्होंने बताया की सोमवार को विद्यालय चलने पर जिस कमरे मे कोबरा सांप घुसा था उसमे छात्राओं को नही बिठाया जाएगा।Rajasthan Cabinet: राजस्थान में आज नहीं होगा भजनलाल मंत्रिमंडल का विस्तार!
Rajasthan cabinet :राजस्थान में तीन दिसंबर को चुनावी नतीजे आने के बाद से शुरू हुआ असमंजस का दौर 27 दिसंबर तक थमने का नाम नहीं ले रहा। तीन दिसंबर को नतीजों के साथ शुरू हुआ दौर, जिसमें मुख्यमंत्री कौन बनेगा के साथ शुरू हुईं अटकलें आज भी जारी हैं।
Image credit by satna times मंत्रिमंडल विस्तार के लिए बुधवार का दिन फाइनल माना जा रहा था, परंतु मुख्यमंत्री के आज के कार्यक्रम बताते हैं कि विस्तार की आज भी कोई संभावना नहीं है। दरअसल मुख्यमंत्री आज प्रधानमंत्री की विकसित भारत संकल्प यात्रा की वीसी में शामिल होंगे। सभी विधायकों को भी अपने क्षेत्र में रहकर वीसी से जुड़ने को कहा गया है। वीसी के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल टोंक के मालपुरा जाएंगे और विकसित भारत यात्रा का अवलोकन कर लाभार्थी से वार्तालाप करेंगे और शाम चार बजे जयपुर पहुंचेंगे। इस कार्यक्रम से स्पष्ट है कि आज मंत्रिमंडल विस्तार का कोई कार्यक्रम नहीं होने वाला है।
मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा?
एक बार फिर सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार को विस्तार हो सकता है, जिसमें 17 से 18 मंत्री शपथ ले सकते हैं, जिसके लिए विधायकों के साथ प्रोटोकाल अधिकारी को भी गुरुवार तक जानकारी दी जा सकती है। हालांकि, राजभवन की वीडियो सामने आई है, जहां तैयारी पूरी कर ली गई है।ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे सतना टाइम्स एप को डाऊनलोड कर सकते हैं। यूट्यूब पर
मंत्रिमंडल विस्तार में देरी को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं,जिसमें सबसे ऊपर नाम है पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कहा जा रहा है कि मैडम अपने मंत्री बनाए जाने के लिए अड़ी हुई हैं। मैडम अपने छह मंत्री मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर अड़ी हुई हैं, जिसको लेकर बात नहीं बन पाई है।
Rajasthan Assembly Election :राजस्थान के 4 सांसदों ने दिया इस्तीफा, जानें वजह और अब क्या करेंगे?
Rajasthan Assembly Election. भारतीय जनता पार्टी के चार सांसदों ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। चारों सांसदों ने हाल ही में राजस्थान विधानसभा चुनाव जीते हैं और अब वे राज्य की राजनीति में योगदान देंगे। सांसद दिया कुमारी, बाबा बालकनाथ, राज्यवर्धन सिंह राठौर ने लोकसभा से और किरोड़ी लाल मीणा ने राज्यसभा से इस्तीफा दिया है।
Image credit by social media सभी सांसदों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। यह भी चर्चा है कि इनमें से कम से कम तीन लोग सीएम और डिप्टी सीएम की दौड़ में भी हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से चुनाव जीतने वाले सांसदों ने भी इस्तीफा दे दिया है।
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राजस्थान में सीएम की रेस में कौन-कौन
राजस्थान प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष सीपी जोशी और राजस्थान प्रभारी अरूण सिंह को सीएम का नाम तय करने की जिम्मेदारी दी गई है और दोनों नेता जयपुर पहुंचे हैं। वे नए विधायकों से मिल रहे हैं ताकि विधायकों का मन टटोला जा सके। माना जा रहा है कि इन नेताओं के पास सीएम पद के लिए 10 से ज्यादा नाम हैं लेकिन सीएम की रेस में वसुंधरा राजे सिंधिया, बाबा बालकनाथ और दिया कुमारी की नाम प्रमुखता से चल रहा है। चर्चा यह भी है कि सीएम के लिए तीन नामों का पैनल बन गया है। यानी तीन नाम अरुण सिंह और सीपी जोशी को बताए गए हैं। उनके बारे में विधायकों से बातचीत और चर्चा की जा रही है। इन तीन नामों में से ही एक सीएम हो सकता है।
इन सांसदों ने भी दिया इस्तीफा
मध्य प्रदेश से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, राकेश सिंह, उदय प्रताप, रीति पाठक ने इस्तीफा दिया है। छत्तीसगढ़ से अरुण साव और गोमती साई ने भी इस्तीफा दे दिया है।
राजस्थान में बीजेपी को पूर्ण बहुमत
राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल चुका है। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 115 सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस पार्टी 69 सीटों पर सिमट गई। वहीं बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटें मिली हैं।
199 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 101 का है जबकि बीजेपी ने इससे 14 सीटें ज्यादा जीती हैं। राजस्थान में भाजपा ने कई सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया था जिनमें से 4 सांसद चुनाव जीते हैं। अब माना जा रहा है कि इन्हीं में से किसी एक नेता को राजस्थान की कमान दी जा सकती है।
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Rajasthan Election :वोटिंग से पहले जानिए क्या है राजस्थान का जातीय समीकरण और किसके पास है जीत की चाबी?
Rajasthan Election 2023 :।। राजस्थान, भारत के उन बड़े राज्यों में से एक है जिनकी राजनीति में जाति सबसे अहम् भूमिका निभाती है। वैसे तो राजस्थान के भीतर लगभग हर जाति वर्ग निवास करता है, लेकिन इनमे कुछ जातियां है, जिनके हाथ में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री के पद की चाबी होती है। राज्य में 200 विधानसभा सीटें हैं, जहां चार जातियां जाट, राजपूत, मीना और गुज्जर प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
IMAGE CREDIT BY SOCIAL MEDIA राजस्थान की सामाजिक संरचना जाति व्यवस्था के साथ जटिल रूप से जुड़ी हुई है, हालाँकि, महाराष्ट्र, हरियाणा या कर्नाटक के विपरीत, जहाँ मराठा, जाट या लिंगायत जैसी विशिष्ट जातियाँ हावी हैं, राजस्थान की जाति संरचना विविध है। यह लेख राजस्थान की उसी विविध संरचना को ध्यान में रखकर चुनावों में हावी जातिय समीकरणों का आकलन करने का प्रयास करेगा।
4 प्रमुख जाति और उनके भीतर का समीकरण :
जाट समुदाय :
राज्य की लगभग 10% आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले, जाट कई उप-जातियों में विभाजित हैं, जिनमें अहलावत, पूनिया और अन्य शामिल हैं। इनका प्रभाव मुख्यतः मारवाड़ और शेखावाटी क्षेत्रों में है और इनकी उपस्थिति 40 विधानसभा क्षेत्रों में है। जाट समुदाय वैसे तो पारंपरिक तौर पर कांग्रेस के साथ रहा था लेकिन कुछ सालों से वह भाजपा की तरफ शिफ्ट होता दिखाई दिया है। जाट समुदाय मुख्य रूप से दोनों दलों (भाजपा और कांग्रेस) से एक मुख्यमंत्री की मांग करते हैं। हालाँकि, यह मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने इकाई प्रमुख के रूप में दोनों जाट चेहरों सतीश पूनिया और गोविंद डोटासरा को चुना था।
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बरहाल, कुछ सालों के भीतर भाजपा से निष्काषित होने के बाद खुद की पार्टी बनाने वाले हनुमान बेनीवाल जाट समुदाय की राजनीती के बीच अपनी नयी पहचान बनाई है। इस साल मार्च में जयपुर में हुए जाट महाकुंभ में भी मांग राखी गयी थी कि राज्य का मुख्यमंत्री जाट समुदाय से हो।1950 से 1990 तक कांग्रेस ने जाटों का खूब समर्थन प्राप्त किया था। इसी के विपरीत जाट समुदाय के युवाओं के बीच कांग्रेस को लेकर नाराज़गी भी बढ़ने लगी थी क्योंकि कांग्रेस ने 1990 तक एक भी जाट नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाया था। इसी गुस्से की वजह से और अन्य मांगों को लेकर 1990 में जाट आंदोलन की शरुआत हुई थी। इन मांगों में से एक था जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा देना।
इस पूरे जाट प्रकरण को भाजपा ने राज्य अपनी जड़े मजबूत करने वाले मौके की तरह देखा।1990 में पहली बार भाजपा की सरकार बानी लेकिन मुख्यमंत्री बड़े राजपूत नेता भैरों सिंह शेखावत को बनाया गया था। इसी बीच 1998 में पहली बार अशोक गेहलोत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन वो भी जाट नेता नहीं थे। राजस्थान को पहला जाट मुख्यमंत्री भाजपा ने दिया जब 2003 में वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री पद की शपत ली थी। वर्तमान की अगर बात करे तो जाट समुदाय दोनों दलों के बीच बंटा हुआ नज़र आ रहा है। एक तरफ जहा किसान आंदोलन और भाजपा के बड़े जाट नेता वसुंधरा राजे एवं सतीश पूनिया को किनारे करना जाट समुदाय के लोगों के बीच भगवा दाल के लिए गुस्से को बढ़ा रहा था।
वही जाट समुदाय की मांगों को न माने वाली गेहलोत सर्कार से भी जाट खफा नज़र आ रहे है। कांग्रेस ने जाटों को लुभाने के लिए बड़े जाटलैंड के नेता गोविन्द सिंह डोटसारा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन उन्ही के पार्टी नेताओं द्वारा जाट समुदाय के खिलाफ बोले गए बयान अशोक गेहलोत का काम ख़राब कर रहे है। हालाँकि, पिछले कुछ समय में कांग्रेस ने भाजपा के कई बड़े जाट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर राजपूत मतों को साधने का प्रयास किया है।
राजपूत समुदाय :
लगभग 6-8% आबादी वाले राजपूत, एक समय राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य पर हावी थे। हालाँकि स्वतंत्रता के बाद समुदाय से केवल एक ही मुख्यमंत्री (भैरों सिंह शेखावत) चुना गया है, लेकिन उनका प्रभाव कम नहीं हुआ है। राजपूत समुदाय 30 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखता है और ऐतिहासिक रूप से राजस्थान की राजनीती का सेंटर पॉइंट रहा है। जाटों के विपरीत, राजपूतों ने लंबे समय तक भाजपा पर भरोसा किया है। बहरहाल, 2018 के चुनावों में, भाजपा की हार सबसे बड़ा कारण राजपूत समुदाय ही था।
सालों तक राजपूत समुदाय का समर्थन का लुफ्त उठाने वाली भाजपा को फिल्म पद्मावत, जसवंत सिंह का बाड़मेर से टिकट काटना और राजपूत समुदाय से आने वाले हिस्ट्रीशीटरों के एनकाउंटर ने राजपूत समुदाय को भाजपा के खिलाफ जाने को मजबूर कर दिया था। हालाँकि, ताज़ा आए ओपिनियन पोल्स की माने तो भाजपा इस गुस्से शांत करने में सफल हुई है। भाजपा ने बड़े राजपूत नेता लोकेन्द्र सिंह कालवी के बेटे और पोलो खिलाडी भवानी सिंह कालवी को दिल्ली में कैबिनेट मंत्री अर्जुनराम मेघवाल की उपस्थिति में पार्टी में शामिल कर राजपूत के गुस्से को शांत करने का कार्य किया।
यही नहीं, महाराजा महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ को पार्टी में शामिल कराया। विश्वराज सिंह मेवाड़ को शामिल कर भाजप ने राजपूत मतदाताओं के बीच यह मैसेज देने का प्रयास किया की वह राजपूतों का कितना सम्मान करती है। कांग्रेस ने राजपूत मतदाताओं को लुभाने के लिए इस बार सबसे ज्यादा टिकट राजपूत समुदाय के प्रत्याशियों को दिए है। हालाँकि, ऐतिहासिक दृष्टि से कांग्रेस को कभी भी राजपूतों का समर्थन नहीं मिला है। राजपूतों का मानना था की कांग्रेस एक ऐसी पार्टी हैं जिसने भारत के इतिहास में उनके वीर और महान योद्धाओं और उनके संस्कृति के योगदान को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया।
कांग्रेस की कृषि नीतियां और भूमि सुधार कभी-कभी पारंपरिक सामंती व्यवस्था से टकराते थे। भूमि का पुनर्वितरण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से बनाई गई इन नीतियों को अक्सर राजपूतों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और भूमि स्वामित्व के लिए खतरा माना जाता था, जिससे समुदाय और पार्टी के बीच तनावपूर्ण संबंध पैदा हो गए। बहरहाल इसके विपरीत कांग्रेस को 2018 के चुनाव में राजपूतों का भरी समर्थन भी प्राप्त हुआ था जिसके कारण ही उनकी सरकार में वापसी हुई थी।
गुर्जर समुदाय :
गुर्जर, जिनकी आबादी लगभग 9 से 12 प्रतिशत है और पूर्वी राजस्थान की 40 से 50 विधानसभा सीटों पर महत्वपूर्ण हैं, कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं। कांग्रेस के सबसे बड़े गुर्जर नेता सचिन पायलट है जो कि इस बार भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक है। दूसरी तरफ, भाजपा ने विजय बैंसला को मैदान में उतारा है। बैंसला गुर्जर आरक्षण आंदोलन में अहम् भूमिका निभाने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे है। पिछली बार भाजपा ने 11 गुर्जर जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन सभी को हार का मुंह देखना पड़ा था क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में गुर्जर समुदाय ने कांग्रेस को वोट किया था।
गुर्जर समुदाय का कांग्रेस को इतना बड़ा सपोर्ट देने का सबसे बड़ा कारण यह था कि उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाएगी। इस बार गुर्जर वोटर्स को साधना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाने से गुर्जर वोटर्स नाराज है। इस नाराज़गी की आग में घी डालने के काम स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने किया जब उन्होंने सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेशाध्यक्ष के पद हटवा दिया और लगातार उनके खिलाफ बयानबाज़ी की। अशोक गेहलोत और सचिन पायलट के बीच के इस टकराव ने गुर्जर समुदाय को कांग्रेस से अलग होने का काम किया बल्कि राज्य में कांग्रेस की छवि को भी क्षति पहुंचाई है।
बहरहाल, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों और स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सचिन पायलट और राहुल गाँधी के बीच किसी एक बड़े विषय को लेकर सहमति हो गयी है और उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमिटी का सदस्य बना दिया गया है। सीडब्लूसी का सदस्य बनाएं जाने के बाद पायलट पूरे ज़ोर से साथ चुनाव प्रचार में लग चुके है। दूसरी तरफ, भाजपा ने राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा है।
मीणा जाति :
पूर्वी राजस्थान के जिलों में बसने वालों यह अनुसूचित जनजाति का राजस्थान की राजनीति में बड़ा किरदार निभाते हुए आई है। राजस्थान की कुल जनसँख्या का 7 प्रतिशत होने के कारण मीणा जाति का लगभग 13-15 विधानसभा सीटों बड़ा असर देखने को मिलता है। इस जनजाति का प्रभाव पूर्वी राजस्थान के बहार भी देखा जा सकता है जैसे की करौली, धौलपुर और उदयपुर। मीणा जाति के सबसे बड़े नेता है किरोड़ी लाल मीणा जिन्हें पूर्वी राजस्थान में बाबा किरोड़ी के नाम से भी जाना जाता है। किरोड़ी लाल मीणा भाजपा के लिए सबसे जरुरी मीणा नेता है।
हालाँकि, 2008 में उन्होंने भाजपा छोड़ अपनी नई राष्ट्रीय जनता पार्टी की स्थापना कर बीजेपी को बड़ा झटका दिया था लेकिन 10 सालों बाद 2018 में वह फिर भाजपा से जुड़ गए थे। बहरहाल, किरोड़ी लाल मीणा को अपनी पार्टी से जोड़ने के बाद भी भाजपा को फ़ायदा नहीं पंहुचा और मीणा जाती बहुल सीटों में उन्हें सबसे बड़ी हार का मुँह देखना पड़ा था। वही दूसरी कांग्रेस ने रमेश चाँद मीणा से जैसे नेता को 2008 में पार्टी में शामिल कर किरोड़ी लाल मीणा के वर्चस्व को काम करने का काम किया है।
किरोड़ी लाल मीणा पांच बार विधायक, 2 बार लोक सभा सांसद और वर्तमान में राज्य सभा सांसद है। उन्हें इस बार फिर सवाई माधोपुर से कांग्रेस के गद्दावर नेता अबरार अहमद के बेटे दानिश अबरार को हारने का जिम्मा सौपा गया है। इसके आलावा किरोड़ी लाल मीणा को मीणा बहुल इलाकों में भाजपा का परचम लहराने का भी कार्यभार सौपा गया है।
सीरवी के गीत और कविता पर झूमा जालोर राजस्थान
जालोर सिटी।।राजस्थान के जालोर ज़िले में हुवे मारवाड़ी व्यूज़ द्वारा आयोजित राजस्थानी सांस्कृतिक कार्यक्रम में जानता ने खूब आनंद लिया
साथ की श्री पुखराज पाराशर राज्यमंत्री (राजस्थान सरकार) क्षेत्र के विधायक , पूर्व विधायक और भामाशाह की उपस्थिति रही।कार्यक्रम में राजस्थान के प्रसिद्ध कलाकारों और कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध मंच संचालक “श्री ओम आचार्य जी “ और नयेउभरते हुवे लेखक “श्री देवहरी सीरवी “ की भी उपस्थिति रही ओम आचार्य जी ने देवहरी सीरवी जी को अपनी किताब “जश्न-ए-मोहब्बत” की सफलता की बधाई दी और स्वागत सम्मान करते हुवे कहा कि युवाओ को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए जिससे लेखन ,कविता में युवा पीड़ी की जिज्ञासा बनी रहे।Image credit by social media VI Radio 90.8 FM के संस्थापक श्री अनिल जी शर्मा की उपस्थिति में युवा कवि देवहरि के देशभक्ति गीत और कविता ने जालोर शहर की जानता में जोश और उत्साह भर दिया.जिसमें वर्तमान को दर्शाती कुछ पंक्तियाँ -ना नर में कोई राम बचा हे ना नारी में सीता
ना धरा बचाने ख़ातिर विष कोई शंकर सा पिता
ना कान्हा जैसा धर्म-अधर्म पर ज्ञान कोई देता
ना तेजा जी के जैसे गो भक्त हो पाता
ना हरीशचन्द्र जैसे सत्य को झेल पता
– देवहरी सीरवी
राइटर , authorBigboss 16 फेम Gori Nagori के साथ हुई मारपीट, शिकायत लिखने के बजाए पुलिस वालों ने कहा घर का मामला है निपटा लो…
बिग बॉस’ में नजर आ चुकी डांसर गोरी नागोरी (Gori Nagori) इन दिनों चर्चे में आ गई है. गोरी के साथ ऐसी घटना हुई है जिसे जानकर आप शॉक्ड हो जाएंगे. मशहूर डांसर गोरी नागोरी (Gori Nagori) अपनी बहन की शादी में अजमेर गई थी जहां पर उनके साथ मारपीट हुई. हद तो तब हो गई जब गोरी नागोरी रिपोर्ट लिखवाने के लिए पुलिस स्टेशन गई तो पुलिस वालों ने रिपोर्ट नहीं लिखी बल्कि सेल्फी लेकर उन्हें घर भेज दिया.
Image credit social media डांसर गोरी नागोरी (Gori Nagori) के साथ ये पूरी घटना अजमेर में हुई है. जहां पर वो अपनी बहन की शादी में गई थी. खबरों की मानें तो गोरी का वहां पर अपने जीजा जावेद हुसैन के साथ किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया, इसके बाद ये मामला इतना ज्यादा बढ़ गया कि बात मारपीट तक पहुंच गई. गोरी के अनुसार उन्हें बाल खींचकर पीटा गया. कई साथियों को गंभीर चोट आई. यहां तक कि मैनेजर भी घायल हो गए और बाउंसर का सिर फट गया है. ये पूरा मामला अब तूल पकड़ रहा हैं क्योंकि गोरी नागोरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी आपबीती बताई.
गोरी नागोरी (Gori Nagori) ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए केप्शन में लिखा कि- हेलो दोस्तों मैं आपकी गोरी और आज जो मेरे साथ हुआ ऐसा किसी के साथ ना हो तो इसी के कारण मैं यह वीडियो अपलोड कर रही हूं. दोस्तों 22 मई को मेरी बहन की शादी थी, जैसे कि मैं Merta सिटी रहती हूं और मेरे Father और भाई नहीं है. तो मेरा एक बड़ा जीजा Javed Hussin है जिन्होंने वैसे बोला कि आप शादी को किशनगढ़ में कर लो मैं सारा इंतजाम करा दूंगा तो मैंने उनके कहने पर किशनगढ़ शादी करी और मुझे नहीं पता था कि इनकी यह सारी साजिश है. किशनगढ़ बुलाया और मुझ पर और मेरी टीम पर बहुत ज्यादा बुरी तरह से मेरी जीजू और उनके दोस्त भाई इन सब ने हमला करा और मैं कंप्लेंट गई कराने तो पुलिस वालों ने मेरी कंप्लेंट नहीं ली बोला कि घर का मामला है, घर में निपटा लो और पुलिस वालों ने मुझे बहुत देर तक बिठाए रखा और बोला की सेल्फी लो मैं एक अकेली लड़की हूं घर में और मेरी मां है और हमें इन सब लोगों से खतरा है. अगर मेरी जान को कुछ भी होता है, मुझे मेरी मां मेरी टीम को कुछ भी होता है, तो उसके जिम्मेदार यह लोग होंगे जिनके वीडियो में मैंने नाम लिए हैं. मैं बस यही दरकाश करूंगी राजस्थान के लोगों से मुझे सपोर्ट मैं यही चाहूंगी राजस्थान सरकार से सर अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी से कि मुझे सपोर्ट करें और जल्द से जल्द न्याय दिलाए और जिसकी गलती है उसको सजा मिले मेरी जान को खतरा है राजस्थान सरकार.
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पुलिस वालों ने सेल्फी खींचकर भेजा घर
गोरी नागोरी (Gori Nagori) ने बताया कि जब वो इस पूरे मामले की रिपोर्ट लिखवाने पुलिस स्टेशन पहुंचीं, तो पुलिस वालों ने उनकी बात तक नहीं सुनी और ना ही रिपोर्ट दर्ज किया. उन लोगों ने मेरे साथ सेल्फी ली और मुझे घर जाने को कह दिया.
सोशल मीडिया पर बयां किया दर्द
गोरी नागोरी (Gori Nagori) ने इसके बाद सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती का वीडियो शेयर किया है. जिसके बाद ये से मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. डांसर ने इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मदद भी मांगी है.
पुलिस ने आरोपों को किया खारिज
पुलिस थाने के एसएसओ सुनील बेड़ा ने गोरी नागोरी (Gori Nagori) के इन आरोपों से पल्ला झाड़ा है. उनका कहना है कि गोरी पुलिस स्टेशन आई थीं, लेकिन बार-बार कहने के बाद भी कोई लिखित शिकायत नहीं दी. बता दें कि गोरी नागोरी का असली नाम तस्लीना बानो हैं. वो अपने डांस के लिए जानी जाती हैं.