Pm narendra modi

  • Holi Special 2023: होली से पहले सरकार का बड़ा तोहफा, बेरोजगार युवाओं को मिलेगा इतने रुपये का मासिक भत्ता

    Monthly Allowance: होली से पहले सरकार ने बेरोजगार युवाओं को शानदार तोहफा दिया है. सरकार की ओर से बेरोजगार युवाओं को मासिक भत्ता देने का ऐलान किया गया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को विधानसभा में वित्त वर्ष 2023-24 का 1,21,500 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया. इस बार के बजट में राज्य के बेरोजगार युवाओं को 2,500 रुपये का मासिक भत्ता देने की घोषणा गई है. MP में सबसे तेज और भरोसेमंद खबरों के लिए डाऊनलोड करें सतना टाइम्स ऐप, इस लिंक पर करें क्लिक)

     

    मानदेय में भी वृद्धि
    बघेल ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, होम गार्ड, ग्राम कोटवारों के मानदेय में भी वृद्धि करने की घोषणा की. कांग्रेस सरकार ने चुनावी साल में युवाओं, किसानों, मजदूरों, महिलाओं और कर्मचारियों को साधने की कोशिश की है. बघेल ने कहा कि ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की दृष्टि से पेश किया गया बजट कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए राज्य की समृद्धि और विकास पर केंद्रित है, जो ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ के उद्देश्यों को मजबूत करेगा.

    बजट
    उन्होंने कहा कि यह बजट हमारी सरकार के जरिए वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ की जनता से किए गए वादों को पूरा करने का एक ईमानदार और मजबूत प्रयास है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बेरोजगारों को भत्ता देने की नई योजना शुरू की जाएगी. योजना के तहत 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के 12वीं कक्षा उत्तीर्ण बेरोजगार युवा, जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.50 लाख से कम होगी, उन्हें 2,500 रुपये प्रतिमाह भत्ता दिया जाएगा.’’

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    इसमें किया इजाफा
    उन्होंने कहा कि आंगनबाडी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का मासिक मानदेय क्रमश: 6,500 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये और 3,250 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रतिमाह किया जायेगा. इसी तरह ‘छोटे’ आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को 4,500 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये मानदेय दिया जायेगा. मुख्यमंत्री ने ग्राम कोटवारों के मानदेय में वृद्धि की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि ग्राम पटेलों का मासिक मानदेय दो हजार रुपये से बढ़ाकर तीन हजार रुपये किया जाएगा.

    सफाई कर्मियों का मानदेय
    उन्होंने कहा कि स्कूलों में कार्यरत सफाई कर्मियों का मानदेय 2,500 रुपये से बढ़ाकर 2,800 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में मनेन्द्रगढ़, गीदम, जांजगीर चांपा और कबीरधाम जिलों में चार नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिये 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि बजट में किसी नए कर का प्रस्ताव नहीं है.

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  • 7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों को होली से पहले मिला तोहफा, 27,000 रुपये बढ़ गई सैलरी, सीधे खाते में आएगा पैसा!

    7th Pay commission DA Hike: देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों (Central govt employees) और पेंशनर्स को होली से पहले बड़ा तोहफा मिल गया है. सरकार ने कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा कर दिया है. मोदी कैबिनेट की बैठक में महंगाई भत्ते में इजाफे को मंजूरी दे दी गई है. इस मंजूरी के बाद में कर्मचारियों की सैलरी में 27,000 रुपये से भी ज्यादा का इजाफा हो गया है. आइए आपको बताते हैं कि किस लेवल के कर्मचारियों की सैलरी में कितना इजाफा हो गया है- MP में सबसे तेज और भरोसेमंद खबरों के लिए डाऊनलोड करें सतना टाइम्स ऐप, इस लिंक पर करें क्लिक

    हो गया 4 फीसदी का इजाफा 
    AICPI इंडेक्स से मिली जानकारी के मुताबिक, 1 जनवरी 2023 से कर्मचारियों को बढ़े हुए डीए का फायदा मिलेगा. इस समय पर कर्मचारियों को 38 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा था, लेकिन अब इसमें 4 फीसदी का इजाफा हो गया है.

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    42 फीसदी मिलेगा डीए
    होली से पहले हुई कैबिनेट मीटिंग से जानकारी मिली है कि कर्मचारियों को 42 फीसदी की दर से महंगाई भत्ते का फायदा मिलेगा. AICPI-IW के आधार पर ही महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन की जाती है.

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    किस कर्मचारी की बढ़ेगी कितनी सैलरी?
    बता दें अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 18000 रुपये है तो इनकी सैलरी में प्रतिमाह 720 रुपये का इजाफा होगा यानी सालाना आधार पर कर्मचारियों की सैलरी में 8640 रुपये की बढ़ोतरी होगी. वहीं, अगर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 56900 रुपये प्रतिमाह है तो इनकी सैलरी में प्रति माह 2276 रुपये का इजाफा होगा यानी सालाना आधार पर 27312 रुपये सैलरी बढ़ेगी. सरकार की तरफ से जल्द ही सैलरी बढ़ने का ऐलान हो सकता है.

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    होली से पहले जारी हो सकता है नोटिफिकेशन
    सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, माना जा रहा है कि पीएम मोदी होली से पहले इसका ऐलान कर सकते हैं. होली के बाद वित्त मंत्रालय इसका नोट‍िफ‍िकेशन जारी करेगा. मार्च की सैलरी के साथ ही बढ़े हुए महंगाई भत्ते का भुगतान होना है. कर्मचार‍ियों को दो महीने का एर‍ियर भी म‍िलेगा.

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    जुलाई में भी 4 फीसदी बढ़ा था डीए 
    आपको बता दें अगर कर्मचारियों के डीए में 4 फीसदी का इजाफा होता है तो महंगाई भत्ते 42 फीसदी की दर पर पहुंच जाएगा. जुलाई 2022 में भी सरकार ने कर्मचारियों के डीए में 4 फीसदी का इजाफा किया था. DA और DR में होने वाली बढ़ोतरी से लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को फायदा मिलेगा.

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  • Old Pension Scheme : पुरानी पेंशन योजना पर क्या कदम उठाएगी सरकार? फटाफट जानें

    Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लेकर काफी चर्चाएं इन दिनों चल रही हैं. कई राज्य पुरानी पेंशन योजना को फिर से अपना चुके हैं. इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल है. इन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को एक बार फिर से शुरू कर दी है और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस को बंद कर दिया है. वहीं अब केंद्र सरकार और दूसरे राज्यों की सरकारों की ओर से पुरानी पेंशन योजना पर क्या कदम उठाए जाएंगे, इसको लेकर अभी भी सवालिया चिह्न बने हुए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि पुरानी पेंशन योजना क्या है? MP में सबसे तेज और भरोसेमंद खबरों के लिए डाऊनलोड करें सतना टाइम्स ऐप, इस लिंक पर करें क्लिक

    पेंशन योजना
    Old Pension Scheme के तहत सरकारी कर्मचारी को सरकार के जरिए रिटायरमेंट के बाद पूरी पेंशन राशि का भुगतान किया जाता है. जब तक कर्मचारी की नौकरी चल रही होती है, उस अवधि के दौरान कर्मचारी के वेतन से पेंशन की राशि नहीं काटी जाती है. हालांकि 2004 में एनडीए सरकार के जरिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था, तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की शुरुआत की थी.

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    पुरानी पेंशन योजना
    पुरानी पेंशन योजना के तहत सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को वर्ष में दो बार महंगाई राहत (DR) के पुनरीक्षण का लाभ मिलता था. पुरानी पेंशन योजना के तहत लास्ट सैलरी का लगभग 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्रदान किया जाता था.

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    पेंशन
    नियम के अनुसार केवल सरकारी कर्मचारी ही रिटायरमेंट के बाद पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन प्राप्त करने के पात्र थे. ओपीएस के तहत जनरल प्रॉविडेंट फंड (GPF) का प्रावधान था. GPF केवल भारत में सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है. मूल रूप से यह सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत GPF में योगदान करने की अनुमति देता है.

  • पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत कारीगरों की 145 जातियों को फायदा पहुंचायेगी केन्द्र सरकार

    भारतीय जनता पार्टी ने मोदी सरकार के माध्यम से एक बड़ी सोशल इंजीनियरिंग की तैयारी की है। बजट में घोषित प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना का फायदा देश की करीब 145 जातियों के लोग उठा सकेंगे। भाजपा कारीगरी जैसे पुश्तैनी पेशे से जुड़े इन परिवारों को ‘ग्रीनफील्ड’ के तौर पर देख रही है, क्योंकि इनके लिए अभी कोई कॉमन प्लेटफॉर्म नहीं है। जिन जातियों को योजना का हिस्सा बनाया गया है।

    वह सभी जातियां अलग-अलग प्रदेशों में ब्राह्मण, ओबीसी, एससी और एसटी में आती हैं। इन 145 जातियों में से 60 जातियों का संख्या बल यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात की दर्जनों सीटों पर ज्यादा है।

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    इस योजना को 2024 के लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

    भाजपा के एक रणनीतिकार ने बताया कि यूपी के 80 संसदीय क्षेत्रों में सपा और बसपा के कोर वोट के साथ इन जातियों का जुड़ाव नहीं है। 2014 की मोदी लहर में उत्तर प्रदेश में इन जातियों की अहम भूमिका रही है। इसलिए भाजपा इन वोटों को स्थायी रूप से अपने साथ जोड़ने के लिए विशेष योजना लाई है। योजना के दायरे में ब्राह्मण से लेकर एसटी तक हैं जिन्हें आर्थिक मदद मिलेगी।

    हुनर के कामों से जुड़ी दर्जनों जातियां आर्थिक रूप से तो पिछड़ी हैं, पर सामाजिक स्तर पर खुद को ऊंचे स्तर पर रखती हैं। विश्वकर्मा योजना के दायरे में आने वाले कई समुदाय ऐसे भी हैं, जो ब्राह्मण वर्ग में हैं। उन्हें पहली बार ऐसी किसी सरकारी योजना में हिस्सा मिला है, जो पिछड़ों के लिए होती हैं। इनमें चतुर्वेदी, मालवीय, आचार्य, साहू, रस्तोगी, द्विवेदी, उपाध्याय, महापात्र, पांचाल ब्राह्मण, विश्वब्राह्मण, पंचोली, जिंटा, पित्रोदा, झा आदि शामिल हैं।

    इस योजना के तहत कारोबार शुरू करने के लिए सरकार कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक मदद देगी। इन्हें एमएसएमई शृंखला से जोड़ा जाएगा। जिन लोगों के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है, उन्हें बिना गारंटी सस्ता लोन मिलेगा। कारीगरों और शिल्पकारों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इसके जरिए स्वरोजगार बढ़ाने की योजना है।जिन लोगों के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है, उन्हें बिना गारंटी सस्ता लोन मिलेगा। कारीगरों और शिल्पकारों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

    पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना में शामिल वर्गों के मुख्य पेशे- एंटीक आइटम बनाने वाले, टोकरी, सेरामिक्स, क्लॉक मेकिंग, एम्ब्रायडरी, रंगाई, ब्लॉक प्रिटिंग, साज, डेकोरेटिव पेंटिंग, ग्लासवर्क, फैब्रिक, फर्नीचर, उपहार, होम डेकोर, जेवर, लेदर क्राफ्ट, मेटल क्राफ्ट, पेपर क्राफ्ट, पॉटरी, कठपुतली, स्टोनवर्क, वुडवर्क आदि हैं। इन सभी को योजना का लाभ मिलेगा। सरकार ने जिन जातियों को सूचीबद्ध किया है वह ये हैं- कंसाला, रावत, कंसन, रायकर, कंशाली, सागर, करगथरा, साहू, कर्माकर, सरवरिया, कॉलर, शर्मा, कॉलर पोंकोलर, शिल्पी, केसर, कुलाचर, सिन्हा, कुलारिया, सोहागर, सोनगरा, लौता, सोनार, लोहार, सोनी, महुलिया, सुथार, मैथिल, स्वर्णकार, मालवीय, ठाकुर, मलिक, ताम्रकार, राना, राधिया, राव, पल्लीवल, और मधुकर कंसाली, चेट्टियन, कांचरी, चिक्कमने, कंचुगारा, चिपेगारा, कन्नालन, चोल, कन्नालर, कन्नार (पीतल का काम करने वाला), दास, अचारी, देवगन, आचार्य थैचर, धीमान, ढोले, एक्कासले, अर्कासल्ली, गज्जर, असारी, गीड, असारी ओड्डी, गज्जिगर, असला, गिज्जेगरा, औसुल, माशूक, बघेल, गुर्जर, बदिगर, जैंगर, बग्गा, जांगिड़, बैलापाथारा, कलसी, बैलुकम्मारा, कमार भादिवाडला, कंबारा, भारद्वाज, कम्मालन, बिधानी, कमलार, विश्वकर्मा, कमलार, बोगारा, कम्मारा, बोस, कम्मारी, ब्रह्मलु, कम्मियार, चारी और कमसला मालवीय, टमटा, माताचार, तारखान, थैचर, मेवाड़ा, थाटन, मिस्त्री, उपंकर, मोहराना, उत्तरादि (स्वर्णकार), मूलेकामरास, वडला, ओझा, वद्रांसी, पांचाल, वत्स, पांचाल ब्राह्मण, विप्पाता, पंचालार, विश्वब्राह्मण, पंचोली, विश्वकर्मा, पत्थर, विश्वकर्मा मनु, मायाब्रह्म, पथरा परिदा, वक्सली, पत्थर, जिंटा, पातुरकर, प्रजापति, सतवारा, पोरकोलर, राम गड़िया, मारू आदि।

    केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत पहली बार परम्परागत कारीगरों को इस तरह की सुविधा मिलने जा रही। परम्परागत कारीगरों के कई संगठन समय-समय पर मांग करते रहे हैं कि सरकार परम्परागत कारीगरों के लिये योजना ले आये। अंततः मोदी सरकार ने संगठनों की आवाज सुन ली और इस तरह की योजना की घोषणा बजट में कर दी।

  • जनजातीय गौरव दिवस : जानिए बिरसा मुंडा सहित उन 16 नायकों की गाथा, जिन्होंने अंग्रेजों और इस्लामी आक्रांताओं के दाँत खट्टे किए

    Satna Times जनजातीय गौरव दिवस- 15 नवंबर 2022 वह विशेष अवसर है जब ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले जनजातीय नायकों का कृतज्ञ स्मरण प्रासंगिक है। यह स्मरण हमें हमारी स्वतंत्रता के पीछे के त्याग, बलिदान और शौर्य-गाथाओं से तो परिचित करवायेगा ही बल्कि स्वतंत्रता को अक्षुण्ण्रखने के लिए हर कीमत पर भी प्रेरित करेगा। यहाँ प्रस्तुत है देश के और मध्यप्रदेश के कुछ चुनिंदा जनजातीय नायकों के संघर्ष और बलिदानों की संक्षिप्त गाथाएँ :-

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    भगवान बिरसा मुण्डा – मुण्डा क्रांति के नेतृत्वकर्ता और जन-समुदाय द्वारा बिरसा भगवान के रूप में पूजे जाने वाले बिरसा मुण्डा का जन्म नवंबर 1875 में हुआ था। 1 अक्टूबर 1894 को उनके नेतृत्व में मुण्डाओं ने अंग्रेजों से लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया। वर्ष 1895 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। कारावास से मुक्त होने के पश्चात उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति का आह्वान किया, जो मार्च 1900 में उनकी गिरफ्तारी तक सतत रूप से चलता रहा। कारावास में दी गई यातनाओं और उत्पीड़न के कारण जून 1900 को रांची के कारावास में बिरसा भगवान की जीवन यात्रा समाप्त हुई।

    रायन्ना – कित्तूर की रानी चेन्नम्मा के विश्वस्त सेनापति रायन्ना ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया। राजा मल्लासरजा और रानी चेन्नम्मा के गोद लिए हुए पुत्र शिवलिंगप्पा को कित्तूर के सिंहासन पर वैध अधिकार दिलाने के लिए इन्होंने कंपनी के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष किया। छापेमार युद्ध शैली का प्रयोग कर इन्होंने बड़े पैमाने पर ब्रिटिश शक्ति को क्षति पहुँचाई। अंततः इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 26 जनवरी 1831 को मृत्युदंड दे दिया गया।

    सिद्धो संथाल – सिद्धो मुर्मू का जन्म भोगनाडीह (वर्तमान में झारखण्ड राज्य में) गाँव में एक संथाल परिवार में 1815 ई. में हुआ था। ब्रिटिश शासन का अत्याचारी रूप इस क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा था, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध जून 1855 में सिद्धो के नेतृत्व में एक विद्रोह की शुरुआत हुई, जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथालों ने आक्रामक ब्रिटिश सत्ता, जो तोप, बंदूकों और बड़ी मात्रा में गोला-बारूद से सुसज्जित थी, का सामना अपने परम्परागत तीर-कमान जैसे हथियारों से किया। सिद्धो ने वीरतापूर्वक युद्ध किया, परन्तु पकड़ लिए गए और इन्हें अगस्त 1855 में पंचकठिया नामक स्थान पर फाँसी दे दी गई।

    कान्हू संथाल – कान्हू संथाल का जन्म वर्ष 1820 में आज के झारखण्ड राज्य के भोगानाडीह गाँव में हुआ। ये सिद्धो संथाल के छोटे भाई और संथाल विद्रोह के सह नेतृत्वकर्ता थे। कान्हू ने जून 1855 के भीषण संग्राम में अंग्रेजों का डट कर मुकाबला किया और जिसमें इनके दो छोटे भाइयों चाँद और भैरव ने पूर्ण सामर्थ्य से साथ दिया। इस युद्ध में शक्ति और संसाधन पूर्णतः अंग्रेजों के पक्ष में थे। अदम्य साहस के प्रतीक कान्हू गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें भोगनाडीह में ही फाँसी पर चढ़ा दिया गया।

    बाबा तिलका माँझी – संथाल विद्रोह भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध जनजातियों द्वारा प्रतिकार के सर्वप्रथम उदाहरणों में से एक है और इसके नायक थे बाबा तिलका मांझी। भयंकर अकाल और उस पर ब्रिटिश शोषणकारी राजस्व नीतियों के विरुद्ध तिलका मांझी ने शस्त्र उठाये और अत्याचारी कर प्रशासक ऑगस्टस क्लीवलैंड को मार गिराया। ब्रिटिश शक्ति का सामना संसाधनहीन तिलका मांझी और उनके साथी अधिक समय तक न कर सके। अत्यंत क्रूर प्रताड़नाओं के द्वारा फरवरी 1785 में उनकी इहलीला समाप्त हुई।

    अल्लूरी यांचाराम राज – वर्ष 1922 के महान रम्या संघर्ष के महानायक अल्लूरी सीताराम राजू ने तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के पूर्व गोदावरी और विशाखापट्टनम क्षेत्रों (वर्तमान आंध्रप्रदेश) में ब्रिटिश शासन को कड़ी चुनौती दी। मद्रास के 1882 के अत्याचारी जंगल कानूनों ने स्थानीय निवासियों की कृषि पर प्रतिबन्ध आरोपित किये थे, जिससे इनका अस्तित्व संकट में आ गया था। अल्लूरी सीताराम राजू ने छापामार शैली द्वारा अंग्रेजों को अनेक अवसर पर पराजित किया। अंततः मई 1924 में उन्हें अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर निर्ममतापूर्ण ढंग से उनकी हत्या कर दी गई।

    गुण्डाधुर – बस्तर के एक छोटे से गाँव में पले-बढ़े गुण्डाधुर ऐसे महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने एक लम्बे समय तक अंग्रेजों के दांत खट्टे किये। बस्तर के नेतानार में रहने वाले गुण्डाधुर को उस समय बागा धुरवा के नाम से भी जाना जाता था। वर्ष 1910 में गुण्डाधुर के नेतृत्व में एक छोटे से गाँव से शुरू होने वाले इस विद्रोह ने बस्तर के महान भूमकाल के चरम को प्रदर्शित किया जिससे अंग्रेजों की स्थिति यहाँ डांवाडोल हो गई। गुण्डाधुर को आज भी लोक कथाओं और गीतों के द्वारा एक अमर नायक के रूप में याद किया जाता है।

    सुरेन्द्र साय – संभलपुर राज्य के राजकुमार सुरेन्द्र साय ने 18 वर्ष की आयु से जीवनपर्यन्त अंग्रेजों के कुचक्रों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष किया। 23 जनवरी 1809 में संभलपुर के निकट खिंडा में जन्म लेने वाले सुरेन्द्र साय ने गोंड और विंझल जनजातीय समुदायों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सुरेन्द्र साय ने अग्रेजों को कड़ी चुनौती दी। इस दौरान उनका कार्यक्षेत्र संभलपुर से कालाहांडी और बिलासपुर तक फैला हुआ था। लम्बे संघर्ष के बाद वर्ष 1862 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के असीरगढ़ किले में कैद करके रखा गया, जहाँ 23 मई 1884 को इस महान वीर ने अपनी अंतिम साँस ली।

    शंकर शाह –  ₹गढ़ा मंडला के पूर्व शासक और महान संग्राम शाह के वंशज, शंकर शाह एक अप्रतिम क्रांतिकारी थे जो युद्ध कला में पारंगत होने के साथ ही साथ काव्य रचना में भी सिद्धहस्त थे। इन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध एक महान सशस्त्र प्रतिरोध का नेतृत्व किया और 18 सितंबर 1857 को जबलपुर में वीरगति को प्राप्त हुए।

    झलकारी देवी – वीरांगना झलकारी देवी का जन्म 22 नवम्बर 1830 को झांसी के समीप भोजला नामक ग्राम में हुआ। इनका विवाह महारानी लक्ष्मीबाई के तोपची पूरण सिंह से हुआ था। कालान्तर में अपने साहस और युद्ध कौशल के कारण महारानी लक्ष्मीबाई की सेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1857 के संग्राम में महारानी लक्ष्मी बाई के नेतृत्व में झलकारी देवी ने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया और युद्ध क्षेत्र में महारानी को सुरक्षित कर, शत्रुओं से सामना करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

    रघुनाथ शाह – राजा शंकर शाह के पुत्र और गढ़ा मंडला के शौर्य के ध्वज वाहक रघुनाथ शाह ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष का नेतृत्व किया। जबलपुर स्थित ब्रिटिश सेना को संघर्ष के लिए प्रेरित किया, जिसने इस क्षेत्र के अंग्रेजों के हृदय में महान भय का संचार कर दिया। 18 सितंबर 1857 को जबलपुर में अपने पिता शंकर शाह के साथ वीरगति को प्राप्त हुए।
    टंट्या भील – अपनी लोककल्याणकारी छवि के चलते मामा के नाम से प्रसिद्ध क्रांतिकारी टंट्या भील ने कई वर्षों तक ब्रिटिश शासन को चैन की साँस नहीं लेने दी और उनके लिए एक चुनौती बने रहे। वर्ष 1874 से अपनी गिरफ्तारी तक इन्होंने अनेक अवसरों पर सरकारी खजानों को लूटा और उसे जन-साधारण में बाँट दिया। जीवन के अंतिम समय में गिरफ्तार कर लिये गये और पहले इंदौर तथा बाद में जबलपुर की जेल में रखा गया। इस दुर्घर्ष योद्धा को ब्रिटिश शासन ने 19 अक्टूबर 1889 को मृत्युदण्ड दिया ।
    खाज्या नायक – सन् 1857 की क्रांति के जनजातीय नायकों में से एक खाज्या नायक ने सन् 1856 से कम्पनी के विरुद्ध विद्रोह छेड़ दिया और एक बड़ी सेना एकत्र की। बड़वानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाज्या का प्रभाव फैल गया। सन् 1857 की क्रांति के समापन के बाद भी खाज्या नायक ने ब्रिटिश शासकों को चैन नहीं लेने दिया। यह वीर नायक धोखे का शिकार हुआ और अक्टूबर 1860 को वीरगति को प्राप्त हुआ।
    भीमा नायक – तत्कालीन बड़वानी राज्य के पंचमोहली क्षेत्र में जन्में भीमा नायक ने सन् 1857 की क्रांति के दौरान ब्रिटिश शासन को गंभीर चुनौती प्रस्तुत की। भीमा नायक का प्रभाव क्षेत्र पश्चिम में राजस्थान के क्षेत्रों से लेकर पूर्व में नागपुर तक फैल चुका था। महान क्रांतिकारी तात्या टोपे के साथ इनका लगातार संपर्क रहा। सन् 1867 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और अभियोजन में दोष सिद्ध करार दे दिए जाने के पश्चात पोर्टब्लेयर भेज दिया गया जहाँ 29 दिसम्बर 1876 में इन्होंने आखिरी साँस ली।
    सीताराम कंवर – सन् 1857 की क्रांति के दौरान होलकर और बड़वानी राज्य के नर्मदा पार के क्षेत्र, जिनमें आज का निमाड़ क्षेत्र सम्मिलित है, में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक बड़े विद्रोह का नेतृत्व सीताराम कंवर ने किया। कंवर ने सतपुड़ा श्रेणी के भीलों को विदेशी शासन उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया और पेशवा तथा तात्या टोपे के साथ गहन संपर्क स्थापित किया। कंपनी की शक्तिशाली सेना का सामना यह महान नायक अपनी सीमित शक्ति एवं संसाधनों के साथ करता रहा। अक्टूबर 1858 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इस कैद के दौरान ही उन्होंने संसार से विदा ली।
    रघुनाथ सिंह मंडलोई – रघुनाथ सिंह मंडलोई, जो टांडा बरूद के निवासी थे और स्थानीय भील एवं भिलाला समुदाय के प्रतिष्ठित नेतृत्वकर्ता थे, ने अंग्रेजी शासन के विरूद्ध हुए एक सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया। इनके प्रभाव के कारण निमाड़ क्षेत्र में विदोह की ज्वाला धधक उठी। अंग्रेजी कम्पनी की सेना ने इन्हें अक्टूबर 1858 में बीजागढ़ के किले में घेर लिया और इन्हें बंदी बना लिया गया। इसके पश्चात उनके जीवन से संबंधित किसी भी घटना का उल्लेख अप्राप्य है।


    मंशु ओझा – सन् 1942 के ऐतिहासिक भारत छोड़ो आन्दोलन में बैतूल के मंशु ओझा ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अनेक क्रांतिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। नवम्बर 1942 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 20 जुलाई 1944 तक नरसिंहपुर जेल में कैद रखकर इन्हें कठोर यातनाएँ दी गई। घोड़ाडोंगरी जिला बैतूल में 28 अगस्त 1981 को उनका देहावसान हुआ।

  • PM आवास घोटाला : पीएम आवास योजना में 66 लाख का घोटाला,पूर्व सरपंच समेत जीआरएस एवं पंचायत समन्वयक अधिकारी पर मुकदमा दर्ज

    सतना।।सतना जिले के नागौद जनपद पंचायत अंतर्गत रहिकवारा गांव के बहुचर्चित पीएम आवास घोटाला मामले में गांव के पूर्व सरपंच बलवेंद्र प्रताप सिंह, पंचायत समन्वयक अधिकारी राजेश्वर कुजूर के अलावा जीआरएस बृजकिशोर कुशवाहा के खिलाफ नागौद थाना में धारा 420, 409 एवं 34 के तहत  मुकदमा पंजीबद्ध कराया गया है।

    यह एफआईआर शिकायतकर्ता खण्ड पंचायत अधिकारी विजयेंद्र प्रताप सिंह ने जिला पंचायत के सीईओ डॉ परीक्षित राव झाड़े की मौजूदगी में कराई है। गौरतलब है कि रहिकवारा में व्यापक पैमाने पर प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत आवास घोटाला सामने आया है। 18 अक्टूबर को जनसुनवाई के दरमियान कलेक्टर अनुराग वर्मा को सौंपे गए शिकायतीपत्र में आरोप लगाया गया है कि गांव में 55 पीएम आवासों का करीब 66 लाख रुपए आहरित कर लिया गया जबकि ये आवास बनाए ही नहीं गए।

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    जनसुनवाई में 2015-16 से लेकर 2022 तक के आवासों में अनियमितता की शिकायत की गई थी। जिन हितग्राहियों के नाम ये राशि निकाली गई अब वो न्याय के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। सीईओ जनपद की जांच के बाद बुधवार को जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ झाड़े रहिकवारा गांव पहुंचे और पीड़ित हितग्राहियों से मुलाकात की। सीईओ ने जनपद पंचायत के अन्य अधिकारियों के साथ मौका मुआयना भी किया जहां आवास नहीं पाए गए। इसी आधार पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर का निर्णय लिया गया।

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    26 अक्टूबर को रहिकवारा पहुंचीं 6 अधिकारियों की टीम ने पाया कि हितग्राहियों को आवास का लाभ न देकर फर्जी तरीके से शासकीय राशि का गबन किया गया है। योजना के प्रारंभ वर्ष 2016-17 से अबतक रहिकवारा में कुल 663 आवास स्वीकृत हैं। जबकि पोर्टल के मुताबिक 496 आवास पूर्ण हो चुके हैं। एफआईआर के मुताबिक शिकायत में मिले 61 पूर्ण आवासों के अलावा ग्राम पंचायत में पूर्ण 496 आवासों का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जा रहा है। हैरत की बात तो ये है कि जिस ग्राम रोजगार सहायक के खिलाफ आज एफआईआर कराई गई वह बीते 2019 से पंचायत सेकेट्री के प्रभार पर भी है और उसे वित्तीय अधिकारी हासिल हैं। प्रथम दृष्टया जिला पंचायत ने 9 लाख 60 हजार रुपए का गबन पाया है। रहिकवारा गांव में बने सभी 653 पीएम आवास अब जांच के दायरे में आ गए हैं। 

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्म दिवस 17 सितम्बर को आएंगे मध्यप्रदेश,कूनो राष्ट्रीय उद्यान में कराएंगे चीतों का प्रवेश

    भोपाल।। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अपने जन्म-दिवस 17 सितंबर को कूनो पधारेंगे। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दक्षिण अफ्रीका से आ रहे चीतों का कूनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश कराया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी कराहल (श्योपुर) में महिला स्व-सहायता समूह के

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    सम्मेलन को संबोधित भी करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रशासनिक और मानवीय दृष्टि से बहुत जरूरी स्थानांतरण के लिए 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तक छूट दी जाएगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि शत-प्रतिशत पात्र व्यक्तियों को हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ सुनिश्चित कराने के लिए 17 सितंबर से जन सेवा अभियान आरंभ होगा।

  • #TeachersDay2022: शिक्षकों से बोले पीएम मोदी, ‘250 साल तक हम पर राज करने वालों को इकोनामी में पछाड़ने में ज्यादा आनंद आया’

    #TeachersDay2022: बकौल पीएम मोदी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने में हमारे टीचर्स का बहुत बड़ा रोल रहा है।

    #TeachersDay2022: 5 सितंबर शिक्षक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों के साथ संवाद किया। इस दौरान भारत की उपलब्धियों के साथ ही आने वाले समय में शिक्षकों की भूमिका पर अपने बात रखी। पीएम मोदी ने कहा, 250 वर्ष तक जो हम पर राज करके गए, उनको पीछे छोड़कर हम दुनिया की इकोनामी में आगे निकल गए हैं। दुनिया की इकोनामी में छठे स्थान से पांचवे स्थान में आने से ज्यादा आनंद उन्हें पीछे छोड़ने में आया है। बकौल पीएम मोदी, 2047 में देश गढ़ने का काम आज जो वर्तमान में शिक्षक हैं, आने वाले 10-20 साल तक जो सेवाएं देने वाले हैं, उनके हाथ में है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने में हमारे टीचर्स का बहुत बड़ा रोल रहा है। लाखों की तादात में हमारे शिक्षकों ने इसे बनाने में अपना योगदान दिया है।

    #TeachersDay2022: पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

    पीएम मोदी ने कहा, देश भी आज नए सपने, नए संकल्प लेकर एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है कि आज जो पीढ़ी है, जो विद्यार्थी अवस्था में हैं, 2047 में हिंदुस्तान कैसा बनेगा ये उन्हीं पर निर्भर होने वाला है। उनका जीवन आप शिक्षकों के हाथ में है। देश आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षाविद डॉ. राधाकृष्णन जी को उनके जन्म दिवस पर आदरांजली दे रहा है। ये हमारा सौभाग्य है कि हमारे वर्तमान राष्ट्रपति भी शिक्षक हैं। उनका जीवन का प्रारंभिक काल शिक्षक के रूप में बीता।

    आज जब देश आजादी के अमृतकाल के अपने विराट सपनों को साकार करने में जुट चुका है, तब शिक्षा के क्षेत्र में राधाकृष्णन जी के प्रयास हम सभी को प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर मैं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त सभी शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

  • PM Modi in Denmark: भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे पीएम मोदी, आज जाएंगे फ्रांस

    कोपेनहेगन [डेनमार्क],एएनआई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूरोप दौरे पर हैं। तीन दिन के इस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी और डेनमार्क के बाद आज फ्रांस जाएंगे। यूरोप की अपनी 3 दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन से मिलने के लिए पेरिस जाने से पहले डेनमार्क में दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

    PM Modi in Denmark: भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे PM मोदी

    डेनमार्क, आइसलैंड, फिनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे के प्रधान मंत्री 2018 में स्टॉकहोम, स्वीडन में आयोजित पहले शिखर सम्मेलन के बाद दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

    पीएम मोदी ने तीन दिवसीय यात्रा शुरू करने से पहले अपने प्रस्थान बयान में कहा था, ‘सम्मेलन महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन, नवाचार और प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और भारत-नॉर्डिक जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा और आर्कटिक क्षेत्र में देगा सहयोग।’

    नॉर्डिक देशों के नेताओं से भी करेंगे मुलाकात 

    पीएम मोदी ने कहा कि वह शिखर सम्मेलन से इतर अन्य नॉर्डिक देशों के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे और उनके साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने जर्मनी और डेनमार्क के बिजनेस लीडर्स से भी मुलाकात की।नवनिर्वाचित फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मुलाकात के लिए शिखर सम्मेलन के बाद प्रधान मंत्री पेरिस में एक संक्षिप्त ठहराव करेंगे। प्रधान मंत्री मोदी ने अपनी वर्तमान यात्रा के दौरान जर्मनी और डेनमार्क के नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय बातचीत की है, और बर्लिन और कोपेनहेगन दोनों में भारतीय प्रवासी कार्यक्रमों को संबोधित किया है।

    पीएम मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान जर्मनी और डेनमार्क दोनों के व्यापारिक नेताओं के साथ भी बातचीत की।

    सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी छठे भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श में भाग लेने से पहले जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के साथ द्विपक्षीय चर्चा के लिए बर्लिन पहुंचे। प्रधान मंत्री मोदी ने अंतर-सरकारी परामर्श को उपयोगी बताया।

    नौ समझौतों पर किए गए हस्ताक्षर

    कुल मिलाकर, भारत और जर्मनी के बीच नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप पर एक संयुक्त घोषणापत्र (JDI) शामिल है, जिसके तहत जर्मनी ने 2030 तक भारत को 10 बिलियन यूरो की नई और अतिरिक्त विकास सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई।

    प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय समुदाय को किया संबोधित

    भारतीय प्रधानमंत्री ने बर्लिन में भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया जहां उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बात की, विशेष रूप से शासन के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के क्षेत्र में।

    अपनी यात्रा के हिस्से के रूप में, भारतीय प्रधान मंत्री दूसरे दिन कोपेनहेगन पहुंचे, जहां उन्होंने अपने डेनिश समकक्ष मेटे फ्रेडरिकसेन से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच व्यापार और पर्यावरण संरक्षण पर सहयोग सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

    कोपेनहेगन में दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच हरित सामरिक साझेदारी पर प्रगति की समीक्षा के लिए प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी की।

    पीएम मोदी और उनके समकक्ष के बीच चल रहे संघर्ष के राजनयिक समाधान पर भी चर्चा हुई। पूर्व ने शत्रुता की शीघ्र समाप्ति के लिए भारत के रुख को दोहराया।

    विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार डेनमार्क में भारतीय समुदाय के छात्रों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों और व्यावसायिक व्यक्तियों के 1000 से अधिक सदस्यों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

    अपनी यात्रा के दूसरे दिन, पीएम मोदी ने कोपेनहेगन के अमालियनबोर्ग पैलेस में क्वीन मार्गरेट II द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भाग लिया, जो उनके एजेंडे में अंतिम आइटम था।

  • फिर पैर पसार रहा कोरोना! मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे पीएम मोदी, हो सकते हैं अहम फैसला

    देश में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोमवार को स्थिति की समीक्षा करेंगे। इस बैठक के दौरान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी मौजूद रहेंगे। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्रालयों से अधिकारी बैठक में हिस्सा लेंगे। 

    सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण महामारी की स्थिति को लेकर प्रजेंटेशन देंगे। वह वैक्सिनेशन की स्थिति और बूस्टर डोज की भी जानकारी देंगे। बता दें कि पिछले दो सप्ताह से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं औऱ इसलिए चौथी लहर का डर सताने लगा है। रविवार को कोरोना के 2593 नए मामले सामने आए। लगातार दूसरा दिन है जब कोविड के 2500 से ज्यादा केस मिले हैं। 

    अब तक देश में 4,30,57,545 केस सामने आ चुके हैं और 5,22,193 लोगों की जान जा चुकी है। देश में अभी 15873 ऐक्टिव केस हैं। कोरोना की स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु समेत कई राज्यों ने मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। 

    बता दें कि 1 अप्रैल से ही देश में डिजास्टर मैनेजमेंट ऐक्ट को हटाया गया था। इसके बाद कई तरह की छूट दी जानी थी लेकिन फिर उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने फिर से पाबंदियां लगानी शुरू कर दीं। कर्नाटक सरकार ने अब तक छूट देने पर कोई फैसला नहीं लिया है। संभव है कि कोरोना के मामलों को संभालने के लिए फिर से कुछ पाबंदियां लगाई जाएं

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