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  • Satna News :सिद्धा पहाड़ में प्रभु श्रीराम की प्रतिमा और विकास कार्यों का लोकार्पण

    सतना,मध्यप्रदेश।। अयोध्या में भगवान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में सोमवार को सतना जिले के चित्रकूट क्षेत्र के प्रसिद्ध स्थल सिद्धा पहाड़ में निश्चर विहीन धरती करने का प्रण लेते हुये प्रभु श्रीराम की विशाल नवनिर्मित प्रतिमा और सिद्धा पहाड़ को धार्मिक स्थल के रुप में विकसित करने के लिये किये गये विकास कार्यों का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर सिद्धा धाम में सुंदरकांड का पाठ किया गया तथा हवन-पूजन उपरांत पहाड़ की सीढ़ियों तथा प्रवेश द्वार पर दीप मालिकाओं में दीप प्रज्वलित किये गये।

    सतना टाइम्स डॉट इन

    सांसद गणेश सिंह ने भगवान श्रीराम की प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम में कहा कि चित्रकूट क्षेत्र में जहां प्रभु श्रीराम साढ़े ग्यारह वर्ष तक वनवास में रहे हैं। वहां इस क्षेत्र में अनेक ऐसे भगवान राम से जुड़े अनेक तीर्थस्थल हैं, जिनका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। राम वन पथ गमन न्यास की चित्रकूट में हुई बैठक में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भगवान राम के वन गमन के सभी मार्गों को तीर्थ स्थल के रुप में विकसित करने का निर्णय लिया है। सांसद श्री सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश राज्य के भीतर रामवन पथ गमन के तीर्थ स्थलों में सतना जिले के स्थल सबसे ज्यादा हैं। उन्होने कहा कि सिद्धा पहाड़ के प्रति लोगों की आस्था और श्रद्धा को देखते हुये इसका नामकरण सिद्धा धाम के रुप में किया जा रहा है।

    चित्रकूट क्षेत्र में सिद्धा धाम का विकास एक पवित्र तीर्थ स्थली के रुप में किया जायेगा। उन्होने कहा कि प्रभु श्रीराम आज अपनी अयोध्या में विराजे हैं। यह अद्भुत पल नये युग का सूत्रपात कर रहा है। इसके पूर्व अनुविभागीय अधिकारी फॉरेस्ट मझगवां ने बताया कि सांसद श्री सिंह के प्रयासों से 5 जून 2023 को सिद्धा पहाड़ के संरक्षण के लिये 50 लाख रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी।

    फ़ोटो सतना टाइम्स इन

    कार्यकारी एजेंसी वन विभाग ने इस पहाड़ को 10 हेक्टेयर क्षेत्र में फेन्सिंग, एक किलोमीटर परिक्रमा पथ का निर्माण और पहाड़ की चोटी पर जाने के लिये रेलिंग सहित 180 सीढ़िया भी बनवाई है। इन सीढियों पर रामचरित मानस का वृतांत, चौपाइयां, दोहे भी अंकित कराये गये हैं। उन्होने बताया कि जनसहयोग एवं अन्य मदों से पहाड़ की चोटी पर प्रभु श्रीराम की ‘‘निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह’’ को प्रदर्शित करते हुये आकर्षक प्रतिमा भी स्थापित की गई है। सांसद श्री सिंह और विधायक चित्रकूट सुरेंद्र सिंह गहरवार ने सिद्धा धाम की चोटी पर पहुंचकर प्रभु श्रीराम की प्रतिमा के सम्मुख हवन-पूजन और दीप प्रज्वलन कर प्रतिमा का लोकार्पण किया। सिद्धा पहाड़ पर पौधारोपण भी किया गया।

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    इस मौके पर ग्रामीणजनों द्वारा पूरे सिद्धा पहाड़ पर आतिशबाजी की गई। इस अवसर पर कलेक्टर अनुराग वर्मा, सीईओ जिला पंचायत डॉ परीक्षित झाड़े, डीएफओ विपिन पटेल, एसडीएम जितेंद्र वर्मा सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, आसपास की ग्राम पंचायतों के सरपंच, पंच एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।

  • Satna में भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति, जिसका इतिहास औरंगजेब भी नहीं मिटा सका

    SATNA NEWS ,सतना।।सतना जिले के गोरसरी गांव में स्थित है सैकड़ों वर्ष पुरानी प्राचीन नारायण देव स्वामी की प्रतिमा, औरंगजेब के द्वारा खंडित करने का किया गया था प्रयास।सतना जिले से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर जैतवारा तहसील अन्तर्गत आने वाले गोरसरी गांव में नारायण देव स्वामी की प्राचीन प्रतिमा स्थित है, गौरतलब है कि यहां पर दर्शन के लिए दूर-दूर से दर्शनार्थी आते हैं,

    ग्रामीण बताते हैं कि औरंगजेब द्वारा यहां पर मूर्तियों को खंडित करने का प्रयास किया था एवं कई मूर्तियों को औरंगजेब द्वारा खंडित भी कर दिया गया, गौरतलब है कि अचानक से मंदिर के अंदर से निकली हुई मधुमक्खियों के समूह ने औरंगजेब के सिपाहियों पर हमला कर दिया जिससे औरंगजेब एवं उसके सिपाहियों को वहां से भागना पड़ा।

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    24 अवतारों के दर्शन

    असल में यह मंदिर दशकों पुराना है। इसका कोई ज्ञात इतिहास नहीं है लेकिन भगवान श्री विष्णु की इस पावन मूर्ति में चौबीस अवतारों के दर्शन हो जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि तकरीबन 8 फिट के प्रस्तर में प्रधान प्रतिमा है। जिसमें भगवान नारायण चतुर्भुज अवतार में विराजे हुए हैं। जिसके चारों तरफ चौबीस अवतारों की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा दाहिने तरफ शिवलिंग और बायीं ओर अन्य प्रतिमा भी गर्भगृह में स्थापित हैं।

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    उठी नहीं तो स्थापित कर दी प्रतिमा

    इस मंदिर की प्रतिमा की स्थापना को लेकर कोई लिखित प्रमाण की जानकारी गांव वालों को नहीं है लेकिन बुजुर्गों से सुनी-सुनाई के बीच में यही बताया गया कि अरसों पहले लबाना जाति के लोग इस प्रतिमा को ले जा रहे थे। जहां आज मूर्ति स्थापित है वहीं उनकी बैलगाड़ी खराब हो गई थी।

    बैलगाड़ी के खराब होने के बाद मूर्ति को यहीं रखा गया था और जब वह बैलगाड़ी बन गई तो मूर्ति को बैलगाड़ी में लादने का प्रयास किया था, पर मूर्ति अपनी जगह से हिली नहीं। ऐसे में लबानाओं ने वहीं मूर्ति की स्थापना कर दी।

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