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  • आइरिस एपफेल: 102 तक स्टाइल का जीवन

    फैशन की दुनिया अपने सबसे जीवंत आइकन आइरिस एपफेल के निधन पर शोक मना रही है। एक शताब्दी से अधिक लंबे जीवन में, आइरिस साहसी, साहसिक शैली का प्रतीक बन गईं और कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं। 1 मार्च, 2024 को 102 वर्ष की आयु में आइरिस एपफेल का निधन एक युग के अंत का प्रतीक है।

    प्रारंभिक वर्ष: आइरिस बैरल

    आइरिस का जन्म 29 अगस्त, 1921 को एस्टोरिया, क्वींस में हुआ था। उनके माता-पिता, सैमुअल बैरल और साडे बैरल ने उनमें छोटी उम्र से ही फैशन के प्रति प्रेम पैदा किया। उनकी माँ एक फैशन बुटीक की मालिक थीं, और उनके पिता एक कांच और दर्पण की दुकान के मालिक थे। आइरिस ने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में कला इतिहास और विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में कला का अध्ययन किया, और इंटीरियर डिजाइन और फैशन में अपने भविष्य की नींव रखी।

    पुरानी दुनिया के बुनकरों का आगमन

    1947 में, आइरिस ने कार्ल एपफेल से शादी की। उन्होंने 1950 में ओल्ड वर्ल्ड वीवर्स, एक कपड़ा कंपनी शुरू की। कंपनी 17वीं, 18वीं, 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत के कपड़ों की नकल करने में माहिर थी। दंपति के ग्राहकों में ग्रेटा गार्बो और एस्टी लॉडर से लेकर नौ अलग-अलग राष्ट्रपतियों के तहत व्हाइट हाउस तक कई हाई-प्रोफाइल नाम शामिल थे।

    फैशन की ओर एक परिवर्तन

    हालाँकि आइरिस ने शुरुआत में इंटीरियर डिज़ाइन की दुनिया में अपना नाम बनाया, लेकिन यह उनकी व्यक्तिगत शैली थी जिसने अंततः उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई। हाउते कॉउचर और पिस्सू बाजार की खोजों के अपने उदार मिश्रण के लिए जानी जाने वाली, आइरिस की शैली व्यक्तित्व और आत्म-अभिव्यक्ति का उत्सव थी। बड़े आकार के चश्मे और रंगों और पैटर्न के बोल्ड मिश्रण के साथ उनका सिग्नेचर लुक प्रतिष्ठित बन गया।

    मान्यता और प्रशंसा

    2005 में, आइरिस की अनूठी शैली ने मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के कॉस्ट्यूम इंस्टीट्यूट का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने “रारा एविस: सिलेक्शन्स फ्रॉम द आइरिस एपफेल कलेक्शन” शीर्षक से एक प्रदर्शनी आयोजित की, जिसमें आइरिस के व्यक्तिगत संग्रह के टुकड़े शामिल थे। इस प्रदर्शनी ने आइरिस को अंतर्राष्ट्रीय स्टारडम तक पहुंचाया।

    नब्बे के दशक में एक फैशन आइकन

    अपनी उम्र के बावजूद, आइरिस नब्बे के दशक तक फैशन उद्योग में सक्रिय रहीं। 2018 में, उन्होंने वोग के लिए मॉडलिंग की और मैटल द्वारा उनकी समानता में एक बार्बी डॉल भी बनाई। 97 साल की उम्र में, आइरिस ने IMG के साथ एक मॉडलिंग अनुबंध पर हस्ताक्षर किया, जिससे साबित हुआ कि फैशन उद्योग में सफलता के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है।

    एक विरासत याद आ गई

    आइरिस एपफेल का निधन फैशन की दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति है, लेकिन उनकी विरासत जीवित है। वह कई लोगों के लिए एक आदर्श थीं, उन्होंने हमें सिखाया कि फैशन आत्म-अभिव्यक्ति का एक रूप है और अलग होना ठीक है। उनकी साहसिक शैली और जीवंत भावना फैशन प्रेमियों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

    आइरिस एपफेल का जीवन साहसपूर्वक और प्रामाणिक रूप से जीने का एक प्रमाण था। उनका निधन फैशन की दुनिया के लिए एक क्षति है, लेकिन उनकी विरासत प्रेरित और प्रभावित करती रहेगी। आइरिस एपफेल सिर्फ एक फैशन आइकन नहीं थीं; वह व्यक्तित्व और आत्म-अभिव्यक्ति का प्रतीक थीं, जिसने यह साबित कर दिया कि दुनिया में अपनी छाप छोड़ने में कभी देर नहीं होती।

  • Shawl Style :भारत की विरासत को दर्शाते हैं ये 6 शॉल, आप भी इन्हें अपने फैशन स्टाइल में करे शामिल

    Shawl Style :भारत के परिधानों की बात करें तो इसमें कला के साथ-साथ विरासत का ताना-बाना भी नजर आता है। अगर सर्दियों की बात करें तो इस मौसम के फैशन में शॉल एक जरूरी चीज है। चाहे आप वेस्टन पहनें या भारतीय शॉल, यह हर पोशाक के साथ अच्छा लगता है।

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    अक्सर जब हम शॉल की बात करते हैं तो कश्मीर के पश्मीना का ही जिक्र होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विरासत की दृष्टि से पश्मीना के अलावा अन्य शॉल भी अपना स्थान रखती हैं। तो आइए जानते हैं अलग-अलग राज्यों के शॉल के बारे में जो आपके फैशन और स्टाइल में चार चांद लगा देंगे।

    पश्मीना शॉल

    Pashmina Shawl
    Pashmina Shawls Style

    कश्मीर की पशमीना शॉल की तो ग्लोबल लेवल पर अपनी एक पहचान है। यह शॉल जितनी गर्म होती है उतनी ही खूबसूरत भी। इसकी खासियत इसकी सॉफ्टनेस है। 15वीं सदी के बाद से इस शॉल को एक पहचान मिली जो आज तक कायम है। यह शॉल काफी महंगी होती है और इसकी वजह है कि यह तीन च्यांगुरी भेड़ों के ऊन से हाथ से बनाई जाती है। इसे बनाने का तरीका भी काफी पेचीदा है। मुगलों के जमाने में अपने खास दरबारियों को बादशाह अकबर पश्मीना की शॉल तोहफे में देते थे। यह सच में आज भी भारत की एक कीमती सौगात है। बस जब भी आप पश्मीना शॉल लें उसकी जीआई टैगिंग देखना न भूलें। ऐसा इसलिए क्योंकि नकली पश्मीना भी बाजार में धड़ल्ले से बेचा जाता है।


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    कुल्लू शॉल

    जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह शॉल हिमाचल प्रदेश के कुल्ल की है। ज्योमैट्रिकल पैटर्न और ब्राइट कलर इस शॉल की पहचान है। 1940 के बाद यह शॉल ज्यादा चलन में आए। इन शॉलों में फूलों का डिजाइन भी अपनी एक खासियत लिए होता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा 8 रंग शामिल होते हैं। कुल्लु शॉल भी पश्मीना की तरह हाथ से बुने जाते हैं। यह यहां की महिलाओं की आय का एक प्रमुख स्रोत है। ये बिहांग, ऑस्ट्रेलियाई मेरिनो टॉपस्, अंगोरा जैसी बकरियों की ऊन से बनाई जाती हैं। इसके रंगीन डिज़ाइन धर्म, परंपराओं, स्थानीय दर्शनों आदि पर आधारित होते हैं। कह सकते हैं कि यह कपड़े पर हिमाचल प्रदेश की संस्कृति का एक दस्तावेज है।

    नागा शॉल

    Naga Shawl
    Naga Shawls Style

    नागालैंड की अपनी एक संस्कृति और परिभाषाएं हैं। नागा शॉल की बात करें तो इसके डिजाइंस बहुत अलग होते हैं। अपनी इसी खासियत की वजह से यह इंटरनेशनल लेवल पर भी काफी फेमस हैं। ये शॉल परंपरागत अनुष्ठान में पहने जाने वाले शॉल हैं, जो आम तौर पर नागालैंड में कई स्थानीय लोगों द्वारा पहने जाते हैं। ये शॉल आपको केवल लाल, काले और नीले रंग में ही मिलेंगे। इन पर बने चित्र नागालैंड की लोक कथाओं और उनकी संस्कृति को चिह्नित करते हैं। इस शॉल में भाला और स्ट्राइप्स का डिजाइन होता है।


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    कलमकारी शॉल

    आंध्र प्रदेश की कपड़े पर की जाने वाली कला को पिछले कुछ सालों से बहुत पसंद किया जा रहा है। इसके फैब्रिक के साथ-साथ इसकी शॉल भी बहुत मशहूर है। इसमें हाथ से या ब्लॉक से डिजाइन डाला जाता है। ये डिज़ाइन श्रीकलाहस्ति और मछलीपट्टनम शैली के होते हैं और धार्मिक विषयों पर आधारित होते हैं। यह डिजाइन दिखने में बहुत सुुदर और एलिगेंट होते हैं।

    ढाबला शॉल

    Dhabla Shawl
    Dhabla Shawl

    ढाबला शब्द से अर्थ है कच्छ की रबारी और भरवाड जाती के लोगों द्वारा धारण की जाने वाली ऊनी कम्बलनुमा शॉल। वैसे तो गुजराती संस्कृति रंग रंगीली है। लेकिन यह गुजराती शॉल डिज़ाइन में काफ़ी सादा होती है और अधिकतर सिर्फ सफ़ेद और काले रंग की बनी होती है। यदि इनमें एनी रंग शामिल भी हों तो वे केवल कोनों तक ही सीमित होते हैं और बीच का कपड़ा बिलकुल सादा होता है। इसमें एंब्रायडी होती है। इसके अलावा गुजरात के अजरक के शॉल भी काफी मशहूर हैं। इसके ज्योमैट्रिकल और फ्लोरल पैटर्न की बात ही अलग है। इसकी ब्लॉक प्रिंटिंग और नेचुरल डाइज का कोई मुकाबला नहीं।

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    मूंगा शॉल

    सिर्फ असम की सिल्क की साड़ी नहीं असम की सिल्क की मूंगा शॉल का भी कोई मुकाबला नहीं। इसे आप अपने कलेक्शन में शामिल करें। आप इसे किसी वेडिंग में पहन सकती हैं। इसकी चमक अलग ही होती है। यह सुनहरी सिल्क से बनाई जाती है। यह अपनी ड्यूरेबिलिटी की वजह से भी जानी जाती है। सबसे बड़ी बात है इसका फैशन कभी पुराना नहीं होता।

  • Isha Gupta ने अपनी बोल्डनेस से इंटरनेट पर मचाया हंगामा,यूजर्स ने किया ये कमेंट

    Esha gupta :बॉलीवुड एक्ट्रेस ईशा गुप्ता अक्सर ही अपनी बोल्डनैस के कारण सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं । ईशा गुप्ता अपनी हॉटनैस से अपने फैंस का ध्यान बटोरना बखूबी जानती हैं । लेकिन इस बार ईशा गुप्ता ने अपने अलग तरह के बोल्ड अवतार से इंटरनेट का तापमान हाई किया है ।

    Image credit by isha gupta instagram

    ईशा गुप्ता का बोल्ड अवतार

    अपने बोल्ड और हॉट लुक्स के कारण लाइमलाइट में रहने वाली ईशा ने हाल ही में विमेन फीफा वर्ल्ड कप का मजा लेते हुए यूनिक स्टाइल में अपना बिकिनी पोज दिया है । फुटबॉल क्लब टीशर्ट के साथ बिकिनी बॉटम में ईशा ने अपने सेक्सी पोज से फ़ैंस को क्रेज़ी कर दिया है ।

    वर्क फ़्रंट की बात करें तो ईशा पिछली बार बॉबी देओल के साथ वेब सीरिज आश्रम सीजन 3 में नज़र आईं थी ।

     

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