Aurangjeb

  • Satna में भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति, जिसका इतिहास औरंगजेब भी नहीं मिटा सका

    SATNA NEWS ,सतना।।सतना जिले के गोरसरी गांव में स्थित है सैकड़ों वर्ष पुरानी प्राचीन नारायण देव स्वामी की प्रतिमा, औरंगजेब के द्वारा खंडित करने का किया गया था प्रयास।सतना जिले से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर जैतवारा तहसील अन्तर्गत आने वाले गोरसरी गांव में नारायण देव स्वामी की प्राचीन प्रतिमा स्थित है, गौरतलब है कि यहां पर दर्शन के लिए दूर-दूर से दर्शनार्थी आते हैं,

    ग्रामीण बताते हैं कि औरंगजेब द्वारा यहां पर मूर्तियों को खंडित करने का प्रयास किया था एवं कई मूर्तियों को औरंगजेब द्वारा खंडित भी कर दिया गया, गौरतलब है कि अचानक से मंदिर के अंदर से निकली हुई मधुमक्खियों के समूह ने औरंगजेब के सिपाहियों पर हमला कर दिया जिससे औरंगजेब एवं उसके सिपाहियों को वहां से भागना पड़ा।

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    24 अवतारों के दर्शन

    असल में यह मंदिर दशकों पुराना है। इसका कोई ज्ञात इतिहास नहीं है लेकिन भगवान श्री विष्णु की इस पावन मूर्ति में चौबीस अवतारों के दर्शन हो जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि तकरीबन 8 फिट के प्रस्तर में प्रधान प्रतिमा है। जिसमें भगवान नारायण चतुर्भुज अवतार में विराजे हुए हैं। जिसके चारों तरफ चौबीस अवतारों की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा दाहिने तरफ शिवलिंग और बायीं ओर अन्य प्रतिमा भी गर्भगृह में स्थापित हैं।

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    उठी नहीं तो स्थापित कर दी प्रतिमा

    इस मंदिर की प्रतिमा की स्थापना को लेकर कोई लिखित प्रमाण की जानकारी गांव वालों को नहीं है लेकिन बुजुर्गों से सुनी-सुनाई के बीच में यही बताया गया कि अरसों पहले लबाना जाति के लोग इस प्रतिमा को ले जा रहे थे। जहां आज मूर्ति स्थापित है वहीं उनकी बैलगाड़ी खराब हो गई थी।

    बैलगाड़ी के खराब होने के बाद मूर्ति को यहीं रखा गया था और जब वह बैलगाड़ी बन गई तो मूर्ति को बैलगाड़ी में लादने का प्रयास किया था, पर मूर्ति अपनी जगह से हिली नहीं। ऐसे में लबानाओं ने वहीं मूर्ति की स्थापना कर दी।

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  • MP : चित्रकूट में दीपदान के बाद लगता है गधों का ऐतिहासिक औरंगजेबी बाजार,देश के इस इकलौता अनोखे मेले को दूर दूर से देखने आते है लोग

    सतना।। आप सब ने बचपन में मेले और बाजार तो बहुत देखे सुने होंगे और घूमा भी होगा। मगर क्या आपने कभी गधों का मेला देखा है। जी हां, भले ही आप इस मेला या बाजार के बारे में पहली बार सुन रहे हैं,।लेकिन देश में इकलौता गधों का बाजार मध्य प्रदेश के सतना जिले की धार्मिक नगरी चित्रकूट में दीपावली के अवसर पर वर्षों से यह ऐतिहासिक ​मेला बाजार लगता चला आ रहा है।

    बाजार में अलग-अलग प्रदेशों से व्यापारी खच्चर-गधे लेकर चित्रकूट पहुंचते हैं। यहां खच्चरों-गधों की बोली-बोली जाती है। खरीदारों के साथ-साथ मेला बाजार घूमने वालों की भी भारी भीड़ भाड़ रहती है।इस मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा करवाई गई थी। तब से लेकर आज तक मेला बाजार लगातार लगता चला आ रहा है। यह मेला बाजार दीपदान के बाद तीन दिन तक चलता है।

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    लोगों का दावा है की मुगल शासक औरंगजेब की सेना में जब रसद और असलहा ढोने वालो की कमी हो गई तब पूरे क्षेत्र से खच्चरों-गधों के मालिकों को इसी मैदान में एकत्रित कर उनके गधे खच्चर खरीदे गए थे। तभी से प्रारंभ हुआ मेला बाजार का यह सिलसिला लगातार चला आ रहा है।

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    देश के इस इकलौता अनोखे मेले को केवल देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। दीपावली के दूसरे दिन से चित्रकूट के मंदाकिनी नदी के तट पर तीन दिनों तक मेला आयोजित होता है। मेले में काफी दूर-दूर से लोग अपने खच्चर – गधे लेकर आते हैं। और खरीद बिक्री करते हैं। तीन दिन के मेले में लाखों का कारोबार किया जाता है।यहां गधे- खच्चर खरीददारों के अलावा इनको देखने वालों की भीड़ उमड़ती है।

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    आज की टेक्नोलॉजी के दौर में जहां लोग आधुनिकता की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं, लेकिन चित्रकूट में आज भी वर्षों पुरानी परंपरा बखूबी चलती चली आ रही है। इस मेले में गधे और खच्चरों की कीमत हजारों लाखों रुपए तक बोली जाती है। व्यापारी अपने गधों के नाम फिल्म स्टारों के नाम पर रखते हैं।जैसे कोई सलमान तो कोई शारूख तो कोई कैटरीना तो कोई मोदी। हालांकि मुगल काल से प्रारंभ हुआ यह मेला अब सुविधाओं के अभाव में कम होता जा रहा है।लेकिन इस विरासत को संजों कर रखने वाले आज भी मेला बाजार का आयोजन करते आ रहे हैं।

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