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15 साल पहले बिछड़ी नेत्रहीन बेटी, सोशल मीडिया ने मिलाया असम में बैठी गरीब मां से, भावुक कर देगी कहानी

सतना: “अब मुझे भगवान से कोई शिकायत नहीं, मेरा भरोसा और भी पक्का हो गया है।” यह शब्द हैं 20 वर्षीय मोना ...

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| सतना टाइम्स

सतना: “अब मुझे भगवान से कोई शिकायत नहीं, मेरा भरोसा और भी पक्का हो गया है।” यह शब्द हैं 20 वर्षीय मोना दास के, जो जन्म से देख नहीं सकतीं, लेकिन 15 साल के लंबे इंतजार के बाद जब उन्होंने वीडियो कॉल पर अपनी मां की आवाज सुनी, तो उनकी दुनिया रोशन हो गई।सोशल मीडिया और शहर के कुछ समाजसेवियों की लगन ने एक ऐसी कहानी को सुखद अंजाम दिया है, जो किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है।

5 साल की उम्र में लावारिस मिली थी मोना

यह कहानी 15 साल पहले शुरू हुई थी। असम के धुबरी गांव की 5 वर्षीय नेत्रहीन मोना अपने 12 साल के भाई के साथ ट्रेन से भटककर सतना आ गई थी। बस स्टैंड पर लावारिस बैठे इन बच्चों पर जब लोगों की नजर पड़ी, तो पुलिस को सूचना दी गई। भाषा की दीवार (दोनों सिर्फ असमिया जानते थे) और कोई जानकारी न होने के कारण पुलिस उनके माता-पिता को नहीं ढूंढ सकी।तब शहर के समाजसेवी और पूर्व मंत्री, स्वर्गीय डॉ. लालता खरे, इन बच्चों के लिए फरिश्ता बनकर आए। वे मोना को अपने चंद्राशय वृद्धाश्रम ले गए, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसका भाई उसे अकेला छोड़कर भाग गया।

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नेत्रहीन मोना बनना चाहती है IAS

मोना की पढ़ने की लगन को देखकर डॉ. खरे ने उसे जबलपुर के एक नेत्रहीन बोर्डिंग स्कूल में भर्ती कराया। दसवीं के बाद वह सतना लौटी और 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान आश्रम के अध्यक्ष मोतीलाल गोयल, सचिव वीडी त्रिपाठी और कोषाध्यक्ष कमलेश पटेल ने उसकी देखभाल की जिम्मेदारी संभाली, जबकि समाजसेवी महेश आयलानी ने उसकी ट्यूशन का जिम्मा उठाया।

फर्राटेदार बोलती है हिंदी और अंग्रेजी

आज मोना हिंदी और अंग्रेजी फर्राटे से बोलती है और लखनऊ की डॉ. शकुंतला मिश्रा नेशनल यूनिवर्सिटी से बीए फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रही है। उसका सपना IAS अफसर बनकर अपने परिवार की गरीबी दूर करना है।

एक वीडियो ने 15 साल बाद मिलाया

मोना को हमेशा अपने परिवार की याद आती थी, लेकिन उसे बस इतना याद था कि वह गुवाहाटी के पास किसी गांव से है। तब समाजसेवी महेश आयलानी ने एक तरकीब सोची। उन्होंने मोना का एक भावुक वीडियो बनाया, जिसमें उसकी कहानी और कुछ पहचान की निशानियां थीं, और उसे असम के सोशल मीडिया ग्रुप्स में वायरल करा दिया।

वीडियो कॉल पर कराई और मोना की माँ से बात

यह कोशिश रंग लाई। गुवाहाटी के एक शख्स ने मोना को पहचान लिया और उसकी मां मामूनी दास से संपर्क किया। इसके बाद जब वीडियो कॉल पर 15 साल बाद मां-बेटी ने एक-दूसरे की आवाज सुनी, तो दोनों के आंसू नहीं रुके। अब आयलानी और आश्रम के लोग जल्द ही मां को गुवाहाटी से लखनऊ लाकर मोना से मिलाने की तैयारी कर रहे हैं।

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