Khajuraho :खजुराहो नृत्य समारोह में शामिल होने वाले पर्यटकों के लिए धुबेला महल घूमने के लिए खूबसूरत जगह है। छत्रसाल द्वारा 18 वी शदी ई का वना है 12 सितम्बर 1955 में प्रथम प्रधान मंत्री ने इस संग्रहालय धुबेला का उद्घाटन किया , संग्रहालय झील के तट पर निर्मित खजुराहो में सबसे अच्छी जगहों में से एक है। यह 62 किमी की दूरी पर स्थित है और आप कार द्वारा एक घंटे में वहां पहुंच सकते हैं। यह संग्रहालय आपको छत्रसाल महाराजा और उनकी विरासत और सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से एक दिलचस्प यात्रा पर ले जाता है।
संचालनालय
पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय निदेशालय, भोपाल राज्य के समृद्धि ऐतिहासिक धुबेला महल में समाधियों स्थल का संरक्षण और तकनीकी नवाचार में उत्कृष्ट के प्रतीक के रूप में उभरा है आयुक्त श्रीमती उर्मिला शुक्ला के नेतृत्व में संग्रहालय में रखी ऐतिहासिक पेंटिंग बुंदेला राजाओं के वस्त्र और विभिन्न प्रकार के हथियारों के संरक्षण क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया गया है। धुबेला महल के साथ-साथ ओरछा राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर में भी सराहनी कम हुए हैं।
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धुबेला महल, प्रभारी संग्रहाध्यक्ष श्री सुल्तान आनंद के जानकारी मुताबिक महाराजा छत्रसाल संग्रहालय को धुबेला संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। इस संग्रहालय में उनकी जीवन शैली और भव्यता के सभी प्रदर्शन हैं और इसमें राजा से संबंधित विभिन्न कलाओं और संस्कृति की कलाकृतियां भी हैं। यदि आप एक कला प्रेमी हैं, तो आप कुछ ऐसे चित्रों को पहचानेंगे जो चंदेल और कलचुरी कला सहित दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय हैं। संग्रहालय का बाहरी भाग ही सुशोभित होने वाला दृश्य है। यह न केवल स्थापत्य रूप से सुंदर है, बल्कि आसपास भी काफी प्रभावशाली है।
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यहां बुंदेला राजाओं के वस्त्र के साथ रीवा चरखारी छतरपुर एवं छत्रसाल ही विभिन्न प्रकार के हथियार बंदूक ढाल तलवार तोप कटार खुकरी कई अस्त्र शस्त्र भी देखने को मिलते हैं। पाश्र्वनाथ, ऋषभनाथ और नेमीनाथ की मूर्तियां एवं अभिलेख शाक्त प्रतिमाऐ भी यहां मौजूद हैं। म्यूजियम में अलग-अलग आठ दीर्घाएं हैं। जिनमें म्यूजियम की ओपन गैलरी पर्यटकों के लिए सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र होती है।
मध्य भारत के परम प्रतापी और शूरवीर यौद्धा महाराजा छत्रसाल के जीवन की कहानी के साथ उनके समय में करवाए गए ऐतिहासिक इमारते जैसे, मस्तानी का महल, हृदयाशाह का महल, महेबा द्वार, शीतल गढ़ी, रानीकमला पति की समाधी, बादल महल, महाराज छत्रसाल की समाधी, भले भाई की समाधी, महाबली तेली की समाधी आदि कई ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं। इन पर्यटन स्थलों और धुबेला के इतिहास से पर्यटकों को रूबरू कराने के लिए पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय निदेशालय द्वारा यह पहल शुरू की है।
सरकार ने हेरिटेज सर्किट के तहत खजुराहो के आसपास के अन्य स्थित अन्य पर्यटन स्थलों को विकसित करने का निर्णय लिया है। ओरछा-खजुराहो हेरिटेज सर्किट में धुबेला महल को भी ऐतिहासिक किलों को शामिल कर इनकी भव्यता बढ़ाई जाएगी।
झांसी-खजुराहो फोरलेन बन जाने के बाद ओरछा से खजुराहो तक का पर्यटन सर्किट शुरू हो गया है। प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों में शामिल होने के ओरछा के समुचित विकास के लिए नया मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसमें सैलानियों की सुविधाओं और भविष्य की आबादी को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य कराया जाएगा।