नारी सशक्तिकरण के प्रतीक प्रधानमंत्री मोदी के 11 वर्ष, माता अहिल्याबाई होल्कर का स्वप्न भाजपा सरकार कर रही साकार

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2014 से लेकर 2025 तक के 11 वर्षों में भारत में महिला सशक्तिकरण को एक नई दिशा, गति और व्यापकता मिली है। उनके शासन में न केवल महिलाओं के लिए योजनाएं बनाई गईं, बल्कि उन्हें नीति निर्माण, प्रशासन, खेल और समाज के हर क्षेत्र में भागीदारी देने का प्रयास भी किया गया। यह शासन शैली देवी अहिल्याबाई होल्कर जैसी दूरदृष्टि और न्यायप्रियता से प्रेरित लगती है – जिनका प्रशासन महिला कल्याण, सामाजिक न्याय और सेवा भावना का प्रतीक था।
महिला आरक्षण: निर्णय जो इतिहास बना-2023 में पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम (महिला आरक्षण विधेयक) मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम रहा। इस कानून के अंतर्गत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। यह निर्णय दशकों से लंबित एक मांग को पूरा करता है और लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी को सशक्त बनाता है।महिला-कल्याणकारी योजनाएं और उनका प्रभाव-पीएम मोदी के कार्यकाल में अनेक योजनाएं शुरू की गईं, जिनका सीधा लाभ महिलाओं को मिला।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ बालिकाओं के अस्तित्व और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह अभियान 2015 में शुरू हुआ। इससे लिंगानुपात में सुधार और बालिका शिक्षा में वृद्धि देखी गई।
उज्ज्वला योजना: गरीब महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए। इससे उनके स्वास्थ्य और समय की बचत हुई।
जन धन योजना: महिलाओं को वित्तीय समावेशन के तहत बैंक खाते मिले, जिससे वे आर्थिक मजबूत हुईं।
सुकन्या समृद्धि योजना: बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक उच्च ब्याज दर वाली बचत योजना।
मातृत्व वंदना योजना: गर्भवती महिलाओं को पोषण और स्वास्थ्य लाभ के लिए वित्तीय सहायता।
सेवा और प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी-मोदी सरकार ने नौकरशाही, सैन्य सेवाओं और पुलिस बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई। अग्निपथ योजना के तहत महिलाओं को भी सैन्य सेवाओं में अवसर दिया गया। सीआरपीएफ और बीएसएफ में महिला बटालियनों की तैनाती की गई। मिशन कर्मयोगी के माध्यम से महिला अधिकारियों को प्रशासनिक कौशल में प्रशिक्षण और उन्नति के अवसर मिल रहे हैं। कई राज्यों में महिला पुलिस स्टेशन, महिला हेल्पलाइन और फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
खेलों में महिला शक्ति का उदय-पीएम मोदी ने खेलों में भी महिलाओं को प्रोत्साहित किया और उन्हें नारी शक्ति का प्रतीक कहा। मीराबाई चानू, पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, लवलीना बोरगोहेन के साथ-साथ नई पीढ़ी की कई महिला खिलाडिय़ों को हर मंच से सराहना मिली और उन्हें समर्थन मिला। खेलो इंडिया और टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के तहत महिला खिलाडिय़ों को आर्थिक मदद, प्रशिक्षण और विश्वस्तरीय संसाधन प्रदान किए गए।
देवी अहिल्याबाई की परंपरा का विस्तार-अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में नारी सम्मान, जनहित और धर्मनिष्ठ सेवा को सर्वोपरि रखा। उन्होंने न केवल मंदिरों व सडक़ों का निर्माण किया, बल्कि वंचितों को भी सम्मानजनक जीवन देने का प्रयास किया। पीएम का महिला सशक्तिकरण के प्रति दृष्टिकोण भी इसी परंपरा से मेल खाता है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय महिलाओं के मान सम्मान का प्रतीक सिंदूर , पहलगाम में हुए कायराना आतंकवादी हमले के विरुद्ध पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए एयर स्ट्राइक करके पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए साहसिक कदम उठाया जिसका वैश्विक मंच पर नारी सुरक्षा को बल मिला और देश के दुश्मनों को करारा जवाब दिया।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महिला कर्मियों के योगदान की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा-ऑपरेशन सिंदूर नारी शक्ति का भी प्रतीक बन गया है। हम सभी जानते हैं कि इस ऑपरेशन में बीएसएफ की भूमिका कितनी अहम थी। बीएसएफ की बेटियां जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा पर अग्रिम मोर्चे पर तैनात थीं।
पीएम मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल में महिला सशक्तिकरण एक सामाजिक आंदोलन के रूप में विकसित हुआ है। यह केवल योजनाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाने का एक सशक्त प्रयास भी रहा। भारत की महिलाएं अब निर्णय की भूमिका में हैं – संसद से पंचायत तक, खेल मैदान से स्टार्टअप तक। यह युग महिला सशक्तिकरण का है – और इसमें नेतृत्व कर रही हैं वे महिलाएं, जिन्हें आजादी के 75 साल बाद एक निर्णायक मंच और आवाज मिली है।
लेखिका भारतीय जनता पार्टी (म.प्र) की प्रदेश प्रवक्ता है