एकेएस के इंजीनियरिंग डीन डॉ. प्रधान और कनाडाई प्रो.फ्रांज की बैराइट माइंस का दौरा। बैराइट माइंस की विजिट और अध्ययन
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सतना।।एकेएस यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग डीन और कनाडाई प्रो.फ्रांज ने विजिट की। उन्होंने बताया की बारटेस खनिज तेल ड्रिलिंग और बहुत सारे उद्योगों में उपयोग होता है। भारत में सबसे ज्यादा बैराइट्स आंध्र प्रदेश की मंगमपेट माइंस से प्रोडक्शन होता है। यह खदान तिरूपति से 60 किलोमीटर दूर कडप्पा जिले में स्थित है। 1975 से प्रारंभ हुई इस खदान को बिस्वा खदान कहा जाता है।
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इसको देखने के लिए और इसकी बैराइट्स के लिए कनाडा से आए प्रतिनिधि डिनो इंडिया आए हैं। बेमैग इंक. कनाडा के प्रो. डॉ.-इंग हैं। फ्रांज एक्स स्पैचथोल्ज़, जो कंपनी के बोर्ड अध्यक्ष और सीईओ हैं उनका दौरा हुआ। विशाखापत्तनम में एक नई फैक्ट्री के उद्घाटन हुआ है।रिफ्रेटेक्निक ग्रुप बैंग बायमंग की एक सिस्टर कंपनी है। बैराइट माइंस की विजिट और अध्ययन के लिए ग्रुप ने एकेएस यूनिवर्सिटी के प्रो. जी.के.प्रधान का सहयोग लिया।
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डॉ. प्रधान और प्रो.फ्रांज मंगमपेट बैराइट माइन जो एपीएमडीसी – आंध्र सरकार की एक संस्था है की विजिट की और तकनीकी चर्चा में भाग लिया। इसी तरह की वैश्विक चर्चा क्षेत्र में एकेएस की प्रमुख योगदान सराहनिया है। क्या खदानों को प्रतिष्ठित खनन कंपनी थ्रिवेनी अर्थमूवर्स प्राइवेट लिमिटेड अपनी मशीनरी, अनुभव, योजना, कम्प्यूटरीकरण, पर्यावरण और सुरक्षा के साथ चल हुई है। त्रिवेणी के अधिकारियों के साथ चर्चा में कई मसलों पर विचार हुआ।