Sushant of Satna donated blood for the 19th time

  • सतना के सुशांत ने 19वीं बार किया रक्तदान, युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत

    सतना।।समाज सेवा की राह पर निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ रहे शहर के युवा समाजसेवी सुशांत सक्सेना ने एक बार फिर मिसाल कायम की है। उन्होंने 19वीं बार रक्तदान कर एक ज़रूरतमंद की जान बचाई है। उनका यह कार्य न केवल इंसानियत की मिसाल है, बल्कि सतना जिले के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणादायक संदेश बनकर उभरा है।

    Satna news

    सुशांत सक्सेना, श्री कुलदीप सक्सेना चेरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं। वह स्व. कुलदीप सक्सेना के पुत्र हैं, जिन्हें शहर के लोग ‘आवाज़ के जादूगर’ और ‘सतना गौरव अवार्ड’ से सम्मानित समाजसेवी के रूप में जानते हैं। अपने पिता के आदर्शों पर चलते हुए सुशांत ने समाज सेवा को अपना जीवन उद्देश्य बना लिया है।

    दुर्लभ रक्त समूह का दान: जान बचाने की जिद

    सुशांत का ब्लड ग्रुप B Negative है, जो अत्यंत दुर्लभ रक्त समूहों में से एक है। जैसे ही उन्हें किसी मरीज के लिए इस रक्त की आवश्यकता की जानकारी मिली, उन्होंने बिना देर किए बिड़ला अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया। यह उनका 19वां रक्तदान था, जिसे उन्होंने पूरे समर्पण के साथ किया। उन्होंने कहा, रक्तदान न केवल किसी की जान बचाता है, बल्कि यह शरीर को भी स्वस्थ रखता है। यह एक ऐसा पुण्य कार्य है, जो हर किसी को समय-समय पर करना चाहिए।

    युवाओं से की विशेष अपील

    सुशांत ने युवाओं से रक्तदान के लिए आगे आने की अपील करते हुए कहा कि आज भी देश में हजारों लोग समय पर रक्त न मिलने के कारण जान गंवा देते हैं। अगर हर युवा साल में सिर्फ एक बार भी रक्तदान करे, तो यह संकट काफी हद तक समाप्त हो सकता है।

    सामाजिक पहचान और नेतृत्व क्षमता

    सुशांत न केवल रक्तदान के लिए जाने जाते हैं, बल्कि मंच संचालन, सांस्कृतिक आयोजनों और युवा गतिविधियों में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। वह समाज के हर वर्ग के बीच लोकप्रिय हैं और उनकी आवाज़ में वह प्रभाव है, जो किसी भी मंच को जीवंत कर देती है।

    समर्थन में आगे आए साथी

    उनके इस 19वें रक्तदान के अवसर पर सौरभ त्रिपाठी, पुनीत शुक्ला, अमित चतुर्वेदी और बिड़ला अस्पताल का स्टाफ मौजूद रहा, जिन्होंने उनके इस कार्य की सराहना की और युवाओं को इस दिशा में प्रेरित होने की बात कही।

    समाज के लिए समर्पित एक चेहरा

    आज जब समाज में अधिकांश युवा सोशल मीडिया और व्यस्त जीवनशैली में उलझे हैं, ऐसे में सुशांत सक्सेना का यह समर्पण न केवल उन्हें विशेष बनाता है, बल्कि यह बताता है कि समाज बदल सकता है बस एक इंसान को शुरुआत करनी होती है।

Back to top button