One day research seminar organized in Garhkundar on the political and cultural splendor of Khangar dynasty in Bundelkhand region.

  • बुंदेलखंड क्षेत्र में खंगार राजवंश का राजनीतिक एवं संस्कृति वैभव का गढ़कुंण्डार में एक दिवसीय शोध संकोष्टि का आयोजन

    निवाड़ी: संस्कृति विभाग संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल के तत्वावधान में आज दिनांक 28/12/2023 को उप संचालक पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय मध्य प्रदेश उत्तरी क्षेत्र ग्वालियर द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र में खंगार राजवंश का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक वैभव विषय पर एक दिवसीय शोध संगोष्ठी का आयोजन गढ़कुंण्डार निवाड़ी जिले में किया गया है।

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    जिसका दीप प्रज्वलन कर उपसंचालक श्री पी सी महोबिया, पुरातत्व अधिकारी श्री रमेश चंद्र यादव द्वारा शोध संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया।जिसमें डॉक्टर प्रमोद कुमार अग्रवाल, डॉक्टर गोविंद बाथम, श्री भोलानाथ खंगार, वर्षा कौशल, श्री संतोष कुमार पटेरिया श्री पन्नालाल असर’ (लोकभूषण),श्री आरिफ शहडोली, डॉक्टर रामशंकर भारती, श्री वासुदेव सिंह आदि विद्वानों/शोधार्थियों द्वारा अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए।

    उक्त कार्यक्रम के अंत में श्री पी सी महोबिया, उपसंचालक पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय ग्वालियर द्वारा सभी विद्वानों एवं गणमान्यों का आभार व्यक्त किया गया।इस मौके पर उपसंचालक श्री पीसी महोबिया पुरातत्व अधिकारी श्री रमेश चंद्र यादव विशेष तौर उपस्थित रहेंगे।

    डॉ प्रमोद कुमार अग्रवाल के द्वारा बताया गया पृथ्वीराज चौहान का विश्वसनीय एवं बहादुर सूबेदार और सामंत खेतसिंह खंगार था। वह सन 1992 के बाद स्वतंत्र हो गया और खंगार के हाथ में जो जुझौती वर्तमान बुंदेलखंड का अधिकांश भाग 80 वर्ष के लगभग रहा।इस बीच मुसलमानों ने जो जुझौती पर कई हमले किये परंतु दीर्घकाल तक कभी भी यह प्रदेश मुसलमान की अधीनता में नहीं रहा। कुंडार का अंतिम खंगार राजा हुरमतसिंह था। जिसकी अधीनता में कुछ बुंदेली सरदार भी थे।

    हुरमतसिंह के पुत्र ने बुन्देलों के सरदार मोहन पाल की लड़की को जबरदस्ती हथियाना चाहा जो बुन्देलों को स्वीकार नहीं हुआ। उन्होंने खंगार राजा को संवाद भेजा श कि वह लड़की देने को तैयार है। विवाह के दौरान खंगार को अधिक मदिरा पान करा दिया 1288 में बुन्देलों ने जैन बच्चों सहित उनका नाश कर दिया।

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